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Updated: 02 अगस्त, 2020 09:19 PM
अंकिता जैन
अंकिता जैन
  @ankita.jain.522
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Friendship Day 2020 अक्सर ही ऐसा माना जाता है कि एक लड़का (Boy ) और एक लड़की (Girl) कभी 'सिर्फ़' दोस्त (Friend) नहीं हो सकते. उनके रिश्ते का अंत या तो प्रेम से होगा या शारीरिक संबंध से. भारतीय समाज लड़का-लड़की के संबंध को एक ही चश्मे से देखता है. अब जबकि पिछले दो-तीन दशकों में यह बदलाव आए हैं कि लड़कियां ख़ुलकर पुरुषों से मित्रता कर सकती हैं. तब भी अधिकांश परिवारों में इन संबंधों को उस तरह की स्वीकृति अभी नहीं मिली है जैसी दो लड़कियों या दो लड़कों की मित्रता को मिले. मैं निजी अनुभव से कहूं तो मैंने पाया कि मित्रता के मामले में पुरुष स्त्रियों से ज़्यादा भरोसेमंद, समर्पित होते हैं. उनमें द्वेष की भावना भी कम ही होती है. इसे सामान्यीकरण ना बनाते हुए मैं इसे बस 'निजी अनुभव' कह रही हूं.

Friendship Day 2020, Boys, Girls, Friend, Societyएक लड़के और एक लड़की के बीच की दोस्ती को आज भी हमारा समाज एक अलग निगाह से देखता है

ऐसा नहीं है कि मेरी क़रीबी महिला मित्र नहीं हैं, जो हैं वे बेहद क़रीब और वर्षों के रिश्ते वाली हैं. किंतु तात्कालिक मित्रता के संदर्भ में कहूं तो मैंने पुरुषों को मित्रता निभाने में मामले में स्त्रियों से बेहतर पाया. ख़ैर, आपका अनुभव बेशक़ मुझसे अलग हो सकता है.

को-एड में पढ़ने, अलग-अलग नौकरी करने, और भी कई कारणों से मेरे अब तक कई पुरुष मित्र बने जिनमें से कुछेक ऐसे हैं. जिनसे छुटपन से अब तक दोस्ती है कुछ ऐसे हैं जिनसे कभी बहुत अच्छी दोस्ती रही फिर ज़िन्दगी की भागदौड़ में बिछड़ गए. एक मित्र मुझे सबसे अधिक याद आता है. वह मेरा 'एनिमेशन फ़िल्म' फ्रेंड था.

हमारी दोस्ती भले कुछ कॉमन सॉर्स से हुई हो लेकिन मित्रता प्रगाढ़ हुई इस वजह से कि हम दोनों को ही 'एनिमेशन फ़िल्में' देखने का बहुत शौक़ था. हमारी बातों में 90% नई एनिमेशन फ़िल्मों की बातें होती. हम साथ बैठकर घंटों या पूरी रात पेट पकड़कर हंसते-हंसते एनिमेशन फ़िल्म देख चुके हैं. यह ज़रूरी नहीं कि इतनी क़रीबी मित्रता होते हुए भी आपका सामने वाले के लिए शारीरिक आकर्षण हो सिर्फ इसलिए कि वह 'अपोज़िट सेक्स' का है.

हम एक-दूसरे के साथ उतना ही सहज, शालीन, घुले-मिले थे जितने दो लड़कियां या दो लड़के होते हैं. एक लड़का और एक लड़की बंद कमरे के भीतर हमेशा सेक्स ही नहीं करते कई बार वे एनिमेशन फ़िल्म्स भी देख रहे होते हैं. एक-दूसरे से टॉम एंड जेरी की तरह लड़ रहे होते हैं. एक-दूसरे के आंसू पोंछ रहे होते हैं. एक-दूसरे को लात मारकर उठा रहे होते हैं.

चिढ़ा रहे होते हैं. गले मिल रहे होते हैं. गालियां देकर एक-दूसरे को जीवन में कुछ करने के लिए ख़ुद को पहचानने के लिए प्रेरित भी कर रहे होते हैं. ब्रेकअप के बाद के अवसाद से बाहर निकाल रहे होते हैं. वे हर वह काम कर रहे होते हैं जो दो समलिंगी मित्रों द्वारा किए जा सकते हैं सिवाय सेक्स के. तो मित्रों, अगली दफ़ा किसी लड़के और लड़की को हाथ पकड़कर जाते देखें या परवाह करते देखें तो उन्हें सिर्फ आशिक़ी के चश्मे से मत देखिएगा. क्या पता वे 'सिर्फ़ मित्र' हों.

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अंकिता जैन अंकिता जैन @ankita.jain.522

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