सिनेमा | 6-मिनट में पढ़ें

Tribhanga Review: नयनतारा और अनु औरत हैं, और औरत होकर ऐसा कैसे कर सकती हैं!
फिल्म त्रिभंग (Tribhanga) कहानी है नयनतारा (Tanvi Azmi) और अनु (Kajol) की. फिल्म में तमाम वो बातें हैं जिन्हें हमारे समाज को इसलिए भी देखना चाहिए क्योंकि इससे कई मिथक टूटेंगे और पता चलेगा चाहे गृहणी हो या फिर ऑफिस जाने वाली हर महिला की अपनी एक ज़िंदगी है.समाज | 2-मिनट में पढ़ें

महिला-पुरुष दो हाथों की तरह हैं, एक के ना होने से जीवन भले कट जाए पर अपंगता आ जाती है!
19 नवंबर 'अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस' (international Men's Day)पर हमारे आसपास मौजूद उन सभी पुरुषों का शुक्रिया जो पग-पग पर मजबूत सहारा बन खड़े रहे, जिन्होंने रोने के लिए कांधा दिया और हंसने की सौ वजहें भी दीं. आप और हम दो हाथों की तरह हैं, एक के ना होने से जीवन भले कट जाए पर अपंगता आ जाती है.समाज | 3-मिनट में पढ़ें

एक मां का दूसरा जीवन साथी चुनना उसके बच्चों की नजर में कितना बड़ा गुनाह है?
कर्नाटक में एक पुत्र ने अपनी ही मां का बलात्कार कर हत्या कर दी. वजह थी कि उसकी विधवा मां अपने जीवन में एक साथी चाहती थी, वह साथी उसे मिल भी गया था जिसके साथ वह रहना चाहती थी, जो उसके बेटे को मंज़ूर नहीं हुआ और इसलिए उसने यह कुकर्म किया.समाज | 3-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | 3-मिनट में पढ़ें

Scam 1992: शॉर्टकट मत लेना बस यही हर्षद मेहता पर बनी वेब सीरीज का सार है
Scam 1992 अदाकारी, निर्देशन, पटकथा हर मामले में कसी हुई सीरीज़ (Web Series). तकनीकी और आंतरिक जानकारी के साथ बना बेहतरीन सिनेमा पीस, जो देखा-समझा जाना चाहिए. और यह गांठ बांध लेनी चाहिए कि बईमानों के साथ मिलकर बेईमानी के रास्ते से ऊंचे उठोगे तो बुरी तरह गिरने की चांसेस भी उसी शॉर्टकट से होकर गुज़रेंगे जिनसे चढ़े थे.समाज | 3-मिनट में पढ़ें

फ्रांस मामले में मुसलमानों को जैन समाज से प्रेरणा लेनी की जरूरत है
फ्रांस में जो हिंसा हो रही है उसके विरोध के लिए खुद मुसलमानों को आगे आना होगा. मुसलमानों का संगठित होकर इस कुकर्म के खिलाफ़ आवाज़ ना उठाना क्या उचित है? मुस्लिम समाज को समझना होगा कि उनके धर्म को बदनाम कोई दूसरा नहीं उनके अपने बीच के लोग कर रहे हैं. अब भी वक़्त है वरना दूसरों से की जा रहीं अपेक्षाएं अनुचित हैं.समाज | 4-मिनट में पढ़ें

Navratri से पहले बेटियों के लिए प्रतिज्ञा लेनी होगी
आपकी बेटियां (Daughters) इतनी नादान क्यों है कि कोई भी उन्हें बहला-फुसलाकर, मूर्ख बनाकर उनका बलात्कार (Rape) कर दे या लव-जिहाद (Love Jihad) कर दे. इस बदलते वक़्त में उन्हें मां दुर्गा, रानी लक्ष्मी, रानी दुर्गावती या सैनिक की तरह पालिए जो हर समय ख़ुद पर होने वाले हमले के लिए चौकन्ना रहे और उस हमले को ध्वस्त कर दे.सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें

Masaba Masaba series और हकीकत में जमीन-आसमान जितना ही फर्क है
मसाबा-मसाबा (Masaba Masaba web series) स्त्री की आर्थिक और आत्मिक स्वतंत्रता पर अच्छी सीरीज है. लेकिन इतनी सरल ज़िन्दगी पेज 3 वालों या अति अमीर परिवार वालों को ही नसीब होती है कि वे अचानक एक दिन अपना तलाक़ इंस्टाग्राम पर एनाउंस कर दें और उनसे कोई सवाल तक ना करे. आम ज़िन्दगी में ऐसा नहीं होता.समाज | 2-मिनट में पढ़ें
