New

होम -> समाज

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 07 जुलाई, 2020 12:51 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
  • Total Shares

कोरोना वायरस (Coronavirus) से अब कोई भी देश अंजान नहीं है. यह एक वैश्विक महामारी (Global Pandemic) है जो पूरी दुनिया में अपना आतंक दिखा रही है. पूरी दुनिया इसके बचाव के लिए वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है. भारत सहित विश्व के कई देश हैं जो इस वायरस की वैक्सीन बनाने का परीक्षण कर रही हैं. कई देश की कंपनियां जानवरों पर सफल परीक्षण करने के बाद अब इंसानों पर इसका ट्रायल कर रही हैं. भारत में भी 7 जुलाई से इंसानों पर इस वायरस की को-वैक्सीन का परीक्षण शुरू हो चुका है. लेकिन इस बीच विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) को दुनिया भर के 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने जो खत लिखा है वह बेहद डरावना है. इऩ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस हवा में भी मौजूद होता है. सीधे शब्दों में कहें तो यह हवा में फैलता है. वैज्ञानिकों ने इसी दावे को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन से मांग की है कि वह कोरोना वायरस की नई गाइ़डलाइन (Coronavirus New Guidelines) जारी करें ताकि इस वायरस से लोग अपना बचाव कर सकें. दुनिया भर के लगभग 32 देशों से 239 वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के हवा में रहने के सबूत भी दिए हैं.

Coronavirus, WHO, Science, Scientist, Pandemicकोरोना के स्वरुप और उसके बर्ताव ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है

वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ संगठन को जो पत्र लिखा है उसे अगले सप्ताह वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित भी किया जाएगा. वहीं दूसरी ओर WHO यह मानता है कि यह वायरस हवा के जरिेए नहीं फैलता है, इस वायरस के हवा में पाए जाने के जिन सबूतों की बात की जा रही है वह यकीन करने लायक नहीं है.

WHO यह मानता है कि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तब ही फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उस संक्रमित व्यक्ति के मुंह या नाक से निकलने वाली पानी की बूंद छोटे या बड़े कण के रूप में किसी वस्तु के जरिए या किसी दूसरे तरीके से व्यक्ति के नाक तक पहुंचती है तो दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है.

जबकि दूसरी ओर इन वैज्ञानिकों का मानना है कि संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदे किसी कमरे जितनी लंबाई तक हवा में फैल सकती है. यह हवा में मौजूद रहती है जो किसी दूसरे व्यक्ति को सांस लेने से ही संक्रमित कर देती है. अप्रैल महीने में भारत की राजधानी दिल्ली में हुयी एक स्टडी में भी इस बात को हवा मिली थी कि इस वायरस के कण की हवा में भी फैलने की संभावनाएं हैं.

इसके अलावा दुनिया भर के अन्य स्टडी में भी इसकी संभावना जताई जा रही थी लेकिन WHO हमेशा से ही इस वायरस के हवा में होने की बात को अस्वीकार्य करता रहा है. अब जब 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने खुला पत्र लिख कर इसके सबूत दिए हैं तो एक बार फिर यह बहस छिड़ चुकी है.

कोरोना वायरस को जन्में लगभग 9 महीने हो चुके हैं लेकिन अभी इस पर पूरी तरह से स्टडी नहीं हो सकी है. अब तक न तो इसके लिए कोई दवा कारगर साबित होने पाई है और न ही कोई वैक्सीन बन पाई है. कोरोना वायरस की अबतक की स्टडी के मुताबिक कोरोना की वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है, वर्तमान समय में कई कंपनी वैक्सीन का परीक्षण इंसानों पर कर रही हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि साल के आखिर तक कोई सफलता जरूर हाथ लग जाएगी.

लेकिन WHO के पास पहुंचे इस पत्र ने अब यह सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या अभी इस वायरस को लेकर संगठन पूरी तरह से जानकारी नहीं एकत्र कर पाई है या फिर यह वायरस अपना रंगरूप ही बदल रहा है. कोरोना वायरस दुनिया भर के कई देशों में अपना अलग-अलग असर दिखा रहा है. कुछ देशों में इसकी मृत्यु दर बहुत ही अधिक है तो कुछ देशों में बेहद कम. भारत में भी अलग-अलग राज्यों में इसका दर अलग अलग ही रहा है.

कोरोना वायरस को लेकर WHO कई बार कह चुका है कि इसकी जानकारी कुछ देश छुपा रहे हैं. लोग इस वायरस को हल्के में ले रहे हैं जबकि अभी न तो यह वायरस पीक पर पहुंचा है और न ही इसका दूसरा चरण शुरू हुआ है जो बेहद घातक होगा. इसके लिए जो दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं उसका पालन जरूरी है वरना हालात को संभालना भी मुश्किल हो जाएगा.

साथ ही WHO यह भी मानता है कि इस वायरस की वैक्सीन कोई जादुई छड़ी नहीं होगी लोगों को हर हाल में अपना बचाव स्वंय ही करना होगा. WHO का अगला कदम क्या होता है इसका इंतजार तो सभी को है लेकिन 239 वैज्ञानिकों की चिठ्ठी ने एक बार फिर भय का माहोल खड़ा कर दिया है. भारत सरकार को इस पूरे प्रकरण को हल्के में नहीं लेना चाहिए बल्कि इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए सभी को मास्क पहनने के लिए मजबूर करना चाहिए.

कोरोना वायरस से जुड़ी इस जानकारी ने इतना तो बतला दिया है कि अभी इस वायरस की पूरी जानकारी हाथ नहीं लग पाई है इसपर लगातार स्टडी हो रही है और नई चीजें सामने आ रही हैं या फिर ये भी मुमकिन है कि वायरस समय के साथ साथ अपना रंग ही बदलता जा रहा है जिससे चीजों में बदलाव हो रहा है. इसके पहले भी नई जानकारियां मिलने के बाद WHO ने अपनी गाइडलाइन में बदलाव किया था. तब बिना लक्षण के संक्रमित मरीज और कुछ अन्य लक्षण स्टडी में सामने आए थे जिनके बाद इन गाइडलाइन को बदला गया था.

ये भी पढ़ें -

COVID-19 Corona vaccine क्या 15 अगस्त तक आ पाएगी? जवाब यहां है...

Corona से कदमताल करते हुए अक्षय ने 'Bell Bottom' को विस्तार दे दिया है!

COVID-19 vaccine progress: जानिए कोरोना वैक्सीन के कितना नजदीक हैं हम

लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय