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Updated: 04 मार्च, 2018 05:55 PM
बिजय कुमार
बिजय कुमार
  @bijaykumar80
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पूर्वोत्तर में बीजेपी के बेहतरीन प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मोदी लहर बरक़रार है. कहा जा सकता है कि मौजूदा वक़्त में बीजेपी को हराना आसान नहीं होगा. पूर्व में, उत्तर प्रदेश में हमने देखा था कि कैसे पिछले साल पार्टी ने जबर्दस्त प्रदर्शन कर राज्य की दोनों बड़ी पार्टियों एसपी और बीएसपी को काफी पीछे छोड़ दिया था. राज्य में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में कुल 403 सीटों में से बीजेपी ने 312 उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 4 सीटें जीती थीं. समाजवादी पार्टी 47 और बहुजन समाज पार्टी मात्र 19 सीटें ही जितने में कामयाब हो पायी थी.

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वैसे हाल ही में हुए पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुए उप-चुनावों में बीजेपी को उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिल पायी थी. लेकिन उत्तर प्रदेश की सत्ता में लम्बे समय तक काबिज रहीं एसपी और बीएसपी यहां बीजेपी को फिर कोई मौका नहीं देना चाहतीं. यही वजह है कि इस उप-चुनाव में बीएसपी ने एसपी को समर्थन देने का फैसला किया है. बीएसपी के गोरखपुर के प्रभारी घनश्याम चंद्र खरवार ने गोरखपुर उपचुनाव में एसपी के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद को समर्थन देने की घोषणा की. तो वहीं इलाहाबाद में बीएसपी के जोनल कोऑर्डिनेटर अशोक गौतम ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता बीजेपी को हटाना चाहते हैं इसलिए बीएसपी के सदस्यों ने ये फैसला किया है कि वो फूलपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नागेंद्र सिंह पटेल का समर्थन करेंगे और उन्हें वोट देंगे".

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव के लिए वोट डालें जायेंगे और 14 मार्च को मतगणना होगी.

बता दें कि बीएसपी उपचुनावों में शिरकत नहीं करती है. ऐसे में इन दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ रहकर बीजेपी को मात देना चाहेगी और अगर ऐसा होता है तो ये सन्देश भी दे सकेगी कि बीजेपी को हराया जा सकता है. इन सीटों का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि गोरखपुर जहां खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट रही है तो फूलपुर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सीट रही है.

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अगर बीजेपी को इन दोनों सीटों पर हार मिलती है तो इससे विपक्ष को आने वाले लोकसभा चुनाव में काफी बल मिलेगा तो वहीं अगर बीजेपी इन दोनों सीटों को जितने में कामयाब हो जाती है तो एक बार फिर ये सन्देश जायेगा कि प्रदेश की जनता फ़िलहाल बीजेपी में ही भरोसा दिखा रही है. वैसे इन दोनों सीटों में से फूलपुर में विपक्ष के लिए जीत आसान हो सकती है लेकिन गोरखपुर में बीजेपी को हराना आसान नहीं होगा.

वैसे ये तो वक़्त ही बताएगा कि कौन बाजी मारता है लेकिन एसपी को समर्थन देकर बीएसपी ने उसे मजबूत तो जरूर किया है और अब इन सीटों पर सीधी लड़ाई इन्हीं दोनों (बीजेपी और एसपी) के बीच होगी. बता दें कि इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी उतारें हैं. हमने देखा था कि कैसे विधानसभा चुनाव में एसपी और कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ साथ आये थे लेकिन उसका ज्याद कुछ फायदा नहीं हुआ और इन चुनावों में फिर दोनों अलग-अलग लड़ रहे हैं.

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बीएसपी के फैसले से समाजवादी पार्टी कि उम्मीदें इस चुनाव में बढ़ गयी हैं, एसपी प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट किया कि " बीएसपी और समाजवादी पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. यह आधिकारिक फैसला है. दोनों दलों और सभी सदस्यों को बधाई. अब समय है उस जीत का"

इस खबर के आते ही प्रदेश कि राजनीति में हलचल तेज हो गयी है और प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं बीजेपी के नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा है कि " एसपी और बीएसपी बीजेपी के रूप में आयी बाढ़ के कारण एक होने पर मजबूर हुए हैं. सुना था जब बाढ़ आती है, सांप और नेवला एक ही डाल पर बैठ जाते हैं, दुश्मनी छोड़ देते हैं. जब प्यास लगती है, शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पी लेते हैं. ऐसा ही ये गठबंधन है".

अभी कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन इतना तो तय है कि उसके खेमे में भी इन दोनों के साथ आने से खलबली जरूर मची होगी. बता दें कि इससे पहले 1993 में एसपी-बीएसपी एक साथ चुनाव लड़ चुके हैं और तब भी इनके सामने प्रतिद्वंदी बीजेपी ही थी. लेकिन इन दोनों में गेस्ट हॉउस कांड के रूप में ऐसी घटना घटी जिसके कारण ये अलग हो गए और फिर कभी साथ नहीं आये.

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बिजय कुमार बिजय कुमार @bijaykumar80

लेखक आजतक में प्रोड्यूसर हैं.

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