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योगी का मंत्रिमंडल कई समीकरणों का मेल है !
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल को यथा जाति और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर संतुलित करने का प्रयास किया है. इस कैबिनेट को देख कुछ नए सवाल भी खड़े होते हैं.
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बीजेपी के फायर ब्रांड हिंदूवादी चेहरा योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन उनके मंत्रिमंडल में जिन नामों को शामिल किया गया है उन्हें देखने पर साफ लगता है कि बीजेपी ने अपनी कैबिनेट के गठन में हर उस पहलू को समाहित करने का प्रयास किया है जिससे साफ संतुलन का संदेश जाए. मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी मंशा साफ कर चुके हैं कि प्रदेश को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए कानून व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी. इसके लिए सरकार हर संभव कोशिश करेगी. सरकारी नौरकियों में भी भ्रष्टाचार खत्म होगा, सुशासन लाया जाएगा और मंत्री अपनी संपत्ति का खुलासा करेंगे. महिला सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाए जाएंगे.
साफ है कि उन्हें अपने सहयोगी मंत्रियों से इस सन्दर्भ में सहयोग की उम्मीद होगी. ये तब और भी साफ हो जायेगा जब जल्द ही कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को उनका कार्य भार और विभाग सौपा जायेगा. लेकिन अब हम देखते हैं कि कैसे मुख्यमंत्री योगी ने अपने मंत्रिमंडल को यथा जाति और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर संतुलित करने का प्रयास किया है. तो क्या खास है इस मंत्री परिषद में -
पहली बार किसी सरकार के मंत्रिमण्डल में लखनऊ से डिप्टी सीएम समेत छह मंत्री बनाये गए हैं. लखनऊ से पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रजा को राज्यमंत्री का दर्जा मिला है, साथ ही रीता बहुगुणा जोशी व स्वाति सिंह, दो महिलाओं को एक ही शहर से मंत्री पद मिला है.
दलबदलुओं को खास जगह-
सरकार में दूसरे दलों से आए नेताओं को खासी तवज्जो मिली है. ऐसे नौ नेताओं को मुख्यमंत्री महंत आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया है.
गठबंधन के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी भागीदारी मिली है, इनमें सात को कैबिनेट मंत्री व दो को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है. इनमें बसपा छोड़कर आए स्वामी प्रसाद मौर्य व बृजेश पाठक तथा कांग्रेस छोड़कर आने वाली डॉ. रीता बहुगुणा जोशी व नंद गोपाल नंदी प्रमुख हैं. इन चारों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. धर्म सिंह सैनी, अनिल राजभर, एसपी सिंह बघेल, चौ. लक्ष्मी नारायण, दारा सिंह चौहान को भी मंत्री मंडल में जगह मिली है.
बुंदेलखंड में भाजपा को सभी सीटों पर जीत मिली, लेकिन प्रतिनिधित्व कम है. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह को किसी सदन का सदस्य न होने के बावजूद स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाकर बुंदेलखंड में संतुलन साधने का प्रयास किया गया है.
ये भी हैं लिस्ट में -
अल्पसंख्यक कोटे से बिलासपुर के विधायक बलदेव सिंह औलख (सिख समाज) और संगठन से जुड़े मोहसिन रजा को राज्यमंत्री बनाया गया.
चर्चा इस बात पर भी हुयी कि :
एक ओर लालजी टंडन के बेटे आशुतोष को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, वहीं राजनाथ सिंह के पुत्र और नॉएडा विधायक पंकज सिंह मंत्री बनाने से चूक गए.
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वह गोरक्ष पीठ के महंत का पद छोड़ देंगे? क्योंकि प्रदेश की जिम्मेदारियों के साथ पीठ का काम उन पर दोहरी जिम्मेवारी आ जाएगी.
मंत्री परिषद में दलबदलू नेताओं को तरजीह देने से ऐसा प्रतीत होता है कि क्या भाजपा कांग्रेस की राजनीति कर रही है?
क्षेत्रवार विवेचना करें तो 17 मंत्री प्रदेश के पूर्वी भाग से, 12 पश्चिमी उत्तर प्रदेश से और 11 मध्यभाग से मंत्री बने. जातिवार -मंत्रिमंडल में 13 ओबीसी, 5 दलित, 8 ठाकुर, 7 ब्राह्मण, 4 वैश्य, 2 जाट, 2 भूमिहार, 1 मुस्लिम, 1 कायस्थ मंत्री बने.
आंकड़ों की बात करें तो सरकार में 20% बाहरी यानी दूसरे दलों से आए नेता मंत्री हैं. 61% नए चेहरे हैं. 36% मंत्री पिछड़े, 55% अगड़े और 5% अल्पसंख्यक. वहीं 75% मंत्री करोड़पति है, 5 मंत्री नेताओं के परिवार से यानि मंत्रिमंडल का 09%, मंत्रिमंडल की 55 साल औसत उम्र.
प्रदेश के सीएम योगी अढैया नाथ ने मंत्रियों को नसीहत दी है कि वो अनाप-शनाप बयान से दूर रहें और जल्द अपनी सम्पति की घोषणा करें. मैसेज साफ है भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. खबर है कि अब मंत्री लालबत्ती का इस्तेमाल नहीं करेंगे. सरकार की मंशा लोगों की उम्मीद पर पूरी तरह खरा उतारना है और योगी कहीं भी किसी तरह की ढील और प्रशाशनिक चूक के लिए जगह देने को तैयार नहीं हैं. विकास और सुशासन के साथ सबका साथ और सबका विकास के लक्ष्य प्राप्ति और भाजपा के लिए नए मानदंड स्थापित करने के साथ 2019 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी को प्रदेश में आशातीत सफलता दिल सकें. तो क्या विश्वास करें की उत्तर प्रदेश में एक नए युग की शुरुआत हो गई?
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