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Updated: 10 जुलाई, 2020 08:37 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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कानपुर कांड (Kanpur kand) में 8 पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने वाला गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey Encounter) खुद भी गोली का ही शिकार हो गया है. विकास दुबे बीते दिन ही मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) शहर से गिरफ्तार हुआ था. हालांकि उसकी गिरफ्तारी जितनी नाटकीय तरीके से हुयी उसी नाटकीय ढ़ंग से उसका एनकाउंटर भी कर दिया गया है. पुलिस के अनुसार उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान बर्रा इलाके में एसटीएफ की वो गाड़ी ही दुर्घटना का शिकार होकर पलट गई जिसमें विकास दुबे मौजूद था. पुलिस का कहना है कि दुर्घटना का फायदा उठाकर विकास दुबे ने एक पुलिसकर्मी से हथियार छीनकर भागने का प्रयास किया लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो पाया बल्कि मारा गया. हालांकि, पुलिस की यह दलील संदेह को गहरा करती हैं औऱ एक नहीं कई नए सवालों को जन्म देती है जिनका जवाब अबतक नहीं मिल सका है.

Vikas Dubey, Encounter, UP Police, Kanpur, Yogi Adityanathजिस गाड़ी में विकास दुबे सवार था वो पलट गयी जिससे विकास भग्नदुबे को भागने मौका मिला और पुलिस ने उसे मार गिराया

क्या यह एनकाउंटर महज एक रहस्य बन जाएगा या फिर इन गुत्थियों को खोलने का प्रयास किया जाएगा. क्या हैं वो सवाल जो विकास दुबे के मरने पर उपजे हैं और लोग इसका जवाब टटोलना चाहते हैं.

पहला सवाल

पहला सवाल यह है कि जब अपराधी को एयरलिफ्ट करके लाया जाना था तो अचानक ही उसे सड़क के जरिए क्यों लाने का फैसला लिया गया? और अगर जहाज से लाए जाने की कोई योजना ही नहीं थी तो इस झूठी खबर का मीडिया के जरिए खंडन क्यों नही किया गया ?

दूसरा सवाल

पुलिस के अनुसार जब गाड़ी पलटी तब विकास दुबे ने पिस्तौल छीन कर भागने की कोशिश की, ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर जब गाड़ी पलटी तो पुलिसवालों के साथ क्या विकास दुबे घायल नहीं हुआ? और फिर वह पुलिसकर्मी से पिस्तौल कैसे छीन सकता है? क्या उसके हाथ में हथकड़ी नहीं पहनाई गई थी? अगर हथकड़ी नहीं भी पहनाई गई तो फिर पुलिसकर्मी इतने लापरवाह तरीके से अपने हथियार को क्यों रखे हुए थे? जबकि अंदेशा तो रहता ही है कि अपराधी भागने का प्रयास भी कर सकता है. अब गैंगेस्टर को पकड़ कर ला रही टीम इस आशंकाओं से तो अंजान हो नहीं सकती है.

तीसरा सवाल

विकास दुबे उज्जैन से जब पुलिस की हत्थे चढ़ा तबसे ही मीडिया लगातार उसके मूवमेंट को कवर कर रही थी. यहां तक की उज्जैन से कानपुर आते वक्त भी विकास दुबे को कवर करने के लिए कई मीडियाकर्मी उस पुलिस की टीम के पीछे पीछे ही थे. लेकिन अचानक ही मीडिया की गाड़ियों को रोक दिया जाता है? जिसपर किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई कि अचानक इन लोगों को क्यों रोक दिया गया?

चौथा सवाल

आखिर काफिले की वही गाड़ी अचानक कैसे पलटी जिसमें विकास मौजूद था? और फिर उस गाड़ी को देखने से साफ जाहिर होता है कि गाड़ी बहुत अधिक स्पीड में चलती हुयी नहीं पलटी हुयी होगी क्योंकि गाड़ी के शीशे चकनाचूर नहीं हुए थे जो आमतौर पर किसी दुर्घटना के दौरान होते ही हैं.

पांचवा सवाल

एक दिन पहले जिस नाटकीय अंदाज में विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. अधिकतर लोगों का यही मानना है कि उसने खुद मंदिर पहुंच कर सरेंडर किया. वह एनकाउंटर से बचना चाहता था इसलिए उसने विश्वप्रसिद्ध धर्मस्थल में ही सरेंडर करने की योजना बनाई क्योंकि उसे मालूम था वहां उसका कभी भी एनकाउंटर नहीं हो सकता है. अब सवाल यह है कि यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो उसने सरेंडर किया ही क्यों? यदि कल उसने सरेंडर कर दिया तो आज उसने भागने की कोशिश क्यों की?

छठा सवाल

पुलिस ने विकास दुबे के एक साथी प्रभात को भी इसी तरह एनकाउंटर में मार गिराया था क्या पुलिस को एक दिन पहले जो हुआ उस घटना के बारे में जानकारी नहीं थी? अगर जानकारी थी तो क्यों विकास दुबे को सुरक्षित तरीके से कानपुर तक पहुंचाने में पुलिस नाकाम साबित हुयी?

क्या पुलिस इतनी कमजोर हो गई कि वह एक अपराधी को पहले तो हफ्तों तक गिरफ्तार ही न कर सकी और किसी तरह वह पकड़ में आया तो उसे 24 घंटे तक अपनी सुरक्षा में सुरक्षित नहीं रख सकी.

क्या पुलिस किसी शातिर अपराधी को 700 किलोमीटर की दूरी से सुरक्षित ला पाने में भी सक्षम नहीं है?

सातवां सवाल

यह बात सभी जानते हैं कि विकास दुबे के दोनो पैर में स्टील की राड पड़ी हुयी है वह अधिकतम 500 मीटर से ज्यादा ठीक से चल भी नहीं सकता था भागना तो दूर, फिर विकास दुबे ने भागने की हिम्मत कैसे जुटाई वह भी तब जब उसे पुरा यकीन भी था कि उसने अगर ऐसा कुछ किया तो वह मार दिया जाएगा. विकास दुबे मौत से बहुत डरता था उसने ऐसा कदम क्यों उठाया होगा?

आठवां सवाल

पुलिस बल को ट्रेनिंग दी जाती है मुठभेड़ के दौरान अपराधी के पैर पर गोली दागने के लिए ही उनको तैयार किया जाता है. और खासतौर पर एसटीएफ जैसी टीम को ऐसे मुठभेड़ के लिए ही तैयार किया जाता है. फिर विकास दुबे को टांग पर गोली मारने के बजाए सीने पर गोली क्यों मारी गई? और फिर विकास दुबे के सीने पर गोली कैसे लगी और किन हालातों में लगी यह भी पुलिस को समझाना होगा.

नवां सवाल

एक जानकारी के मुताबिक कहा जा रहा है कि जो गाड़ी पलटी है विकास तो उस गाड़ी में सवार ही नही था, फिर ऐसा क्या हुआ कि विकास को दूसरी गाड़ी में बिठाया गया और अगर विकास दुबे जिस गाड़ी पर सवार था वही गाड़ी पलटी ही नहीं तो विकास दुबे कैसे भागा?

एनकाउंटर नाम ही ऐसा है जो हमेशा सवालों के घेरे में होता है लेकिन विकास दुबे का एनकाउंटर इसलिए भी सुर्खियां बटोर रहा है क्योंकि इसका सीधे तौर पर राजनैतिक जुड़ाव था. पुलिस का एनकाउंटर कितना सही कितना गलत यह तो वक्त तय करेगा फिलहाल पुलिस को इन तमाम सवालों के जवाब देने हैं जो लगातार सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक नाच रहे हैं. पुलिस को पूरे ही घटनाक्रम को समझाना पड़ेगा जिससे पुलिस की ओर उठ रही शक की सुई थम सके.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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