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Updated: 15 अगस्त, 2019 03:46 PM
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जीवन में बहुत से ऐसे मौके आते हैं, जब कुछ लोगों की तुलना भगवान से की जाती है. किसी कि तुलना मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम से होती है, तो किसी की भगवान कृष्ण से. कभी सीता-राम की जोड़ी का उदाहरण दिया जाता है, तो कभी कृष्ण-अर्जुन की दोस्ती का. ये उदाहरण हमेशा किसी के अच्छे कामों को देखते हुए दिए जाते हैं, जिनका मतलब ये नहीं होता है कि उन्हें वही भगवान मान लिया जाता है. ना ही ये होता है कि भगवान की जिंदगी जैसे चली थी, वैसा ही फिर से होगा. किसी पति-पत्नी की जोड़ी की सीता-राम से तुलना का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आज के युग में भी पत्नी को अग्नि परीक्षा देनी होगी. बिल्कुल वैसे ही, किसी की जोड़ी को कृष्ण-अर्जुन की जोड़ी कहने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि महाभारत का युद्ध हो जाएगा.

पिछले दिनों रजनीकांत ने मोदी-शाह की जोड़ी की तुलना कृष्ण-अर्जुन की जोड़ी से की थी. उनका आशय दोनों की दोस्ती से था और जिस तरह दोनों लोग एक दूसरे का साथ देते हुए काम करते हैं, उससे था. रजनीकांत का मतलब ये नहीं था कि मोदी-शाह कृष्ण-अर्जुन जैसे हैं, तो अब देश में महाभारत होगी. लेकिन असदुद्दीन ओवैसी ने इसका मतलब यही निकाला है. उन्होंने कहा है- 'तमिलनाडु के एक अभिनेता (रजनीकांत) ने अनुच्छेद 370 हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को 'कृष्ण तथा अर्जुन' की संज्ञा दी है... तो इन हालात में कौरव और पांडव कौन हैं...? क्या आप देश में एक और 'महाभारत' चाहते हैं...?'

जिस तरह के महाभारत की बात ओवैसी कर रहे हैं, वह तो नहीं होगा, लेकिन यकीनन एक महाभारत का युद्ध शुरू हो चुका है, जिसमें वो पांडव भी हैं, जिनके हक छीने गए हैं. वो कौरव भी हैं, जो भारी संख्या में हैं और अत्याचारों की इंतेहां पार कर रहे हैं. इस महाभारत में सकुनी माना का पात्र भी निभाया जा रहा है. और सबसे अहम, ये एक धर्मयुद्ध है. आइए वहां के पांडवों और कौरवों से भी मिल लेते हैं-

अन्‍याय से पीडि़त 5 पांडव

1- दलित: जम्मू-कश्मीर में दलितों की हालत बेहद खराब है. वाल्मीकि समुदाय के दलित तो कश्मीर में करीब 70 सालों से सिर्फ सफाई का काम ही कर रहे हैं. उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया, हां उन्हें दबाए रखने के लिए संविधान में ये जरूर संशोधन कर दिया कि वाल्मीकि समुदाय के लोग सिर्फ सफाई कर्मचारी का काम कर सकते हैं और विधानसभा चुनाव में वोट भी नहीं दे सकते. देखा जाए तो उनके हक से उन्हें वंचित किया गया, जैसे पांडवों को किया था. अब धारा 370 हटने के बाद हर दलित को अन्य नागरिकों जैसे अधिकार भी मिलेंगे और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सरकार कुछ कदम भी उठाएगी.

2- महिलाएं: जम्मू-कश्मीर की धारा 370 की सबसे अधिक सताई हुई तो वहां की महिलाएं थीं. इसी की वजह से अगर कोई कश्मीरी महिला किसी अन्य राज्य के पुरुष से शादी कर लेती थी तो उसे जायदाद के हक से वंचित कर दिया जाता था. अब जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और वहां की महिलाओं को भी सारे हक मिलेंगे.

3- जम्‍मू-लद्दाख के लोग: जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर अगर थोड़ा गौर करें तो पता चलता है कि पूरा जम्मू-कश्मीर सिर्फ घाटी के लोगों के इशारे पर चल रहा है. ना तो जम्मू के लोगों के राजनीति में कोई खास जगह मिलती थी, ना ही लद्दाख के लोगों को. अब धारा 370 हटाए जाने के बाद सभी को बराबरी का हक मिलेगा. जिसमें काबीलियत होगी, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक नहीं सकता.

4- कश्‍मीरी पंडित: 1980 का वो नरसंहार कौन भूल सकता है, जिसमें कश्मीरी पंडितों को सरेआम जान से मार दिया गया था. महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था. नतीजा ये हुआ कि कश्मीरी पंडितों को जम्मू-कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा. लाखों कश्मीरी पंडितों ने जम्मू-कश्मीर से पलायन कर लिया. जब इन कश्मीरी पंडितों को ये पता चला कि धारा 370 को हटाया जा रहा है तो वह सभी बेहद खुश हुए. यहां तक कि बहुत सारे कश्मीरी पंडित दोबारा वापस जाकर जम्मू-कश्मीर में रहना भी चाहते हैं.

5- कानून व्‍यवस्‍था संभालने में लगे सुरक्षा बल: सुरक्षा बल भी एक पांडव ही हैं, जिन पर आए दिन पत्थरबाजी होती है. बहुत से जवान तो इस पत्थरबाजी का शिकार भी हो चुके हैं और जान गंवा बैठे हैं. भले ही वह कानून व्यवस्था संभालने के लिए कई बार सख्त फैसले लेते हैं, लेकिन ऐसे भी कई घटनाएं हुई हैं, जब देखा गया है कि सेना के जवान काफी कुछ सहते हैं, लेकिन गोली नहीं चलाते.

सौ नहीं, अनगिनत कौरव

यूं तो महाभारत में 100 कौरव थे, लेकिन आज की महाभारत में कौरवों की संख्या अनगिनत है. चलिए एक नजर इन पर डाल लेते हैं.

अलगाववादी दुर्योधन: महाभारत में दुर्योधन का चरित्र जैसा था, कुछ वैसा ही हाल कश्मीर के अलगाववादियों का भी है. वहां दुर्योधन एक इंच भी जमीन पांडवों को नहीं देना चाहता था. सब कुछ हथिया लेना चाहता था. वही तो कश्मीर में अलगाववादी भी कर रहे हैं. आजाद कश्मीर चाहिए उन्हें.

आतंकवादी दु:शासन: द्रौपदी का चीरहरण कौन भूल सकता है. जिस तरह महाभारत का दुःशासन अत्याचार का पर्याय बन चुका था, कुछ वैसा ही कश्मीर में आतंकी कर रहे हैं. धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर का ये आतंकी चीरहरण ही कर रहे हैं. दहशत फैला रखी है. आए दिन कहीं न कहीं बम धमाका, लोगों की हत्या. सब कुछ तबाह करने पर तुले हैं.

शकुनि बना पाकिस्‍तान: महाभारत का एक अहम पात्र था शकुनि मामा. ये वो शख्स था जिसका काम था साजिश रचना. कान भरना. भड़काना. वही काम इस समय पाकिस्तान करने में लगा हुआ है. कश्मीर के लोगों को भड़का रहा है. आए दिन साजिशें रचता है कि कैसे भारत में दहशत फैलाई जाए और कश्मीर पर कब्जा किया जाए. यहां तक कि अपनी धरती पर आतंकवाद को पनाह दे रखी है, जो आए दिन घुसपैठ करते हैं और कभी जनता को मारते हैं तो कभी सेना के जवानों को.

कट्टरपंथ ने बनाया धृतराष्‍ट्र: पाकिस्तान ने बहुत से कश्मीरी लोगों के दिलों में इतना जहर भर दिया है कि उनकी हालत धृतराष्ट्र जैसी हो गई है. महाभारत में धृतराष्ट्र के सामने कौरवों द्वारा पांडवों पर अन्याय होता रहा, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा. दरअसल, वह तो देख नहीं सकते थे, लेकिन सुन तो सकते थे, पर कुछ नहीं कहा. खैर, अभी तो जम्मू-कश्मीर के कुछ लोगों पर कट्टरपंथ इतना हावी हो चुका है कि उसने उनकी आंखों पर जैसे पट्टी बांध दी है. या यूं कहें कि कट्टरपंथ ने उन्हें अंधा ही बना दिया है.

चीन भी धर्म के विपरीत: कौरवों में चीन का एक ऐसा किरदार है जो कौरवों के साथ दोस्ती तो दिखा रहा है, लेकिन सिर्फ अपने मतलब के लिए. इस धर्म युद्ध में भारत सरकार की कोशिश है कि जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों को उनके अधिकार मिलें. लेकिन चीन इस धर्म के खिलाफ है. वह सिर्फ भारत पर दबाव बनाने और पाकिस्तान के जरिए अपने राजनीतिक हित साधने के मकसद से पाकिस्तान का साथ देता रहता है.

कश्मीर में चल रहे इस धर्म युद्ध में कृष्ण और अर्जुन का किरदार तो असदुद्दीन ओवैसी जानते ही हैं, उम्मीद है कि अब उन्हें ये भी पता चल गया होगा कि यहां पांडव और कौरव कौन हैं. यहां ये समझना जरूरी है कि ये लड़ाई अपनों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जो अपना होने का ढोंग तो कर रहे हैं, लेकिन पीठ में छुरा घोंपने वाले काम करते हैं. जैसे अलगाववादी, जो रहते भारत में हैं, गाते पाकिस्तान की हैं. ये युद्ध उस शकुनि मामा के खिलाफ है, जो कश्मीर के युवाओं को भड़का रहा है और उन्हें पत्थरबाज बना रहा है. धीरे-धीरे यही पत्थरबाज अलगाववादी बनते हैं और फिर आतंकी की शक्ल इजात कर लेते हैं. अब ये सब रुकेगा... जरूर रुकेगा.

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