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Updated: 06 अगस्त, 2022 04:10 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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काले लिबास में कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन (Congress Black Protest) को अमित शाह (Amit Shah) ने मुस्लिम तुष्टिकरण के प्रयोग से जोड़ दिया है, लेकिन 5 अगस्त को ही संसद में कुछ ऐसे संयोग भी देखने को मिले जिससे एक बीजेपी सांसद भी काफी देर तक साथी सदस्यों को सफाई देती देखी गयीं.

सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा ब्लैक ड्रेस में तीन और सांसद सदन में अपनी अपनी सीट पर बैठे देखने को मिले - काली पोशाक में ही डीएमके सांसद एम. कनिमोझी भी संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले रही थीं, जबकि महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में उनको हिस्सा नहीं लेना था.

डीएमके सांसद की तरफ इशारा कर कांग्रेस के कई सांसद आपस में ये कहते भी सुने गये, 'कनिमोझी भी हमारे साथ ही हैं' - ये सुन कर कनिमोझी सिर्फ मुस्कुरा कर रह गयीं. भला और कुछ कहतीं भी क्या?

मध्य प्रदेश के सीधी से बीजेपी सांसद रीति पाठक के सामने सबसे ज्यादा अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गयी थी. हंसी मजाक में ही सही, लेकिन बीजेपी की ही कई महिला सांसद रीति पाठक से यहां तक पूछने लगीं कि कहीं वो भी कांग्रेस के ब्लैक प्रोटेस्ट में हिस्सा तो नहीं लेने वाली हैं!

बीजेपी नेता रीति पाठक को साथी सांसदों से लगातार सफाई देते महसूस किया गया. कनिमोझी की पार्टी तो तमिलनाडु में कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी है, लेकिन रीति पाठक अकेले नहीं थीं जिनके सामने ऐसी उलझन की स्थिति उत्पन्न हो गयी हो - यूपी के लालगंज से बीएसपी सांसद संगीता आजाद भी संयोग से काले रंग की साड़ी पहन कर ही आयी थीं. बीएसपी नेता मायावती का गांधी परिवार और कांग्रेस के साथ तो हमेशा ही छत्तीस का रिश्ता होता है, यूपी चुनावों में तो सिर्फ बीजेपी का साथ देने के आरोप ही लगे थे, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में तो खुलकर एनडीए उम्मीदवार का सपोर्ट कर चुकी हैं.

संसद से राहुल गांधी तो कांग्रेस दफ्तर से महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मोर्चा (Priyanka Gandhi Vadra) संभाले हुए थीं - और निकलते ही पुलिस ने दोनों के हिरासत में ले लिया था. हिरासत में लिये जाने का विरोध तो राहुल गांधी ने भी किया, लेकिन ज्यादा गुत्थमगुत्थी वाले वीडियो प्रियंका गांधी के ही वायरल हुए हैं.

कांग्रेस के विरोध के तरीके और तारीख को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अयोध्या में चल रहे राम मंदिर निर्माण के विरोध से जोड़ा तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी 'जन अनुरागी भगवान राम' का नाम लेकर पलटवार किया है - शायद इसलिए भी क्योंकि वो कांग्रेस की यूपी की प्रभारी हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफी की डिमांड की है.

ब्लैक प्रोटेस्ट पर शाह और योगी ने कांग्रेस को घेरा

कांग्रेस की तरफ से विरोध प्रदर्शन के लिए 5 अगस्त की तारीख चुने जाने पर सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह का सवाल रहा, 'आखिर कांग्रेस ने प्रदर्शन के लिए आज का ही दिन क्यों चुना?'

और फिर याद दिलाया - क्योंकि 'आज ही के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि पर मंदिर का शिलान्यास किया था.' कांग्रेस नेतृत्व पर आरोप लगाते हुए बोले, 'ये प्रदर्शन इसलिए किया गया ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2020 में राम मंदिर की नींव रखे जाने का विरोध किया जा सके.' अमित शाह पहले भी अक्सर कांग्रेस पर राम मंदिर निर्माण में बाधा पहुंचाने के आरोप लगाते रहे हैं.

priyanka gandhi vadra, amit shahक्या महंगाई पर कांग्रेस के विरोध को काउंटर करने के लिए बीजेपी पास राम मंदिर के अलावा कोई हथियार नहीं बचा है?

अमित शाह का कहना रहा, 'आज का दिन कांग्रेस ने काले कपड़ों में विरोध के लिए इसलिए चुना - क्योंकि वे इसके माध्यम से संदेश देना चाहते हैं कि हम राम जन्मभूमि के शिलान्यास का विरोध करते हैं - और अपनी तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं.'

ये भी इल्जाम लगाया कि चूंकि कांग्रेस खुले तौर पर राम मंदिर का विरोध नहीं कर सकती, इसलिए गुप्त संदेश देने की कोशिश हो रही है. अमित शाह का दावा है कि कांग्रेस मंदिर निर्माण पर अपना विरोध जता रही है - और प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई और महंगाई के मुद्दे तो महज बहाना हैं.

अमित शाह ने ये तो याद दिलाया कि 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन हुआ था, लेकिन ये नहीं बताया कि ठीक उसी तारीख को तीन साल पहले जम्मू और कश्मीर से धारा 370 को हटाया गया था - 5 अगस्त, 2019 को.

बीजेपी की राजनीति में मुख्य तौर पर दो ही एजेंडा देखने को मिलते हैं - एक हिंदुत्व और दूसरा राष्ट्रवाद. ध्यान दें तो पाएंगे की कांग्रेस को भी बीजेपी हमेशा ही इन दोनों मुद्दों को अलग अलग तरीके से उठाकर घेरने की कोशिश करती है.

अब ये बात अलग है कि हिंदुत्व के मुद्दे से जुड़े राम मंदिर के बहाने तो अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोला लेकिन जाने किन राजनीतिक वजहों से जम्मू-कश्मीर से 370 हटाये जाने को कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन से नहीं जोड़ा.

असल बात तो ये है कि कांग्रेस शुरू से ही धारा 370 हटाये जाने का विरोध करती आयी है. राहुल गांधी तो धारा 370 हटाये जाने के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं के साथ जम्मू-कश्मीर जाने की कोशिश भी किये थे, लेकिन सभी को श्रीनगर एयरपोर्ट से ही लौटा दिया गया था.

सवाल तो ये भी है कि जब धारा 370 हटाये जाने और भूमि पूजन की तारीख एक ही है, तो बीजेपी की तरफ से दोनों की बराबर चर्चा क्यों नहीं की जाती? क्या इसलिए क्योंकि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित क्षेत्र बनाये जाने के बाद से घाटी की हालत में कोई खास सुधार दर्ज नहीं किया गया है? हर महीने वैसे ही हत्यायें हो रही हैं. पहले की ही तरह हर महीने सुरक्षा बलों के जवान शहादत दे रहे हैं.

रही बात कांग्रेस के राम मंदिर के विरोध की तो भूमि पूजन के विरोध की तो, भूमि पूजन की पूर्व संध्या पर प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर बाकायदा एक लंबा चौड़ा बयान जारी किया था. प्रियंका गांधी ने लिखा था, '...रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने.'

कांग्रेस की रणनीतियों में तमाम खामियों के बाद भी ऐसा भी नहीं लगता कि गांधी परिवार के सलाहकार बड़े पैमाने पर उसी मुद्दे के विरोध का कार्यक्रम बनाने को कहेंगे जिसका साल भर पहले सपोर्ट किया हो - लेकिन ये बात तो है ही कि कांग्रेस नेतृत्व ने प्रोटेस्ट के लिए 5 अगस्त की तारीख सोच समझ कर ही चुनी होगी. ये भी तो हो सकता है कि राहुल गांधी को छुट्टी पर जाना हो इसलिए यही तारीख ठीक लगी हो? असल बात तो कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी के रणनीतिकार ही जानते होंगे.

अपमान! और माफी की मांग: अमित शाह की बात को आगे बढ़ाते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सवाल उठाया है कि कांग्रेस ने काले कपड़े पहन कर प्रदर्शन करने के लिए खास दिन क्यों चुना, जबकि रोजाना प्रदर्शन सामान्य कपड़ों में होता रहा?

श्रीराम जन्मभूमि के मंदिर निर्माण के शुभारंभ की याद दिलाते हुए योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि 5 अगस्त हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है - और फिर कांग्रेस के एक्ट को कई तरह का अपमान बताते हैं.

योगी आदित्यनाथ का कहना है - ये सभी राम भक्तों और राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन में बलिदान देने वालों का अपमान है. ये सुप्रीम कोर्ट का अपमान है - और कांग्रेस को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिये.

योगी-शाह पर प्रियंका का पलटवार

ट्विटर पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की पोस्ट को सीनियर नेता जयराम रमेश ने रीट्वीट किया है, जिसमें लिखा है - सवाल महंगाई, GST, बेरोजगारी पर - और जवाब में फिर वही मंदिर-मस्जिद... लगता है जनता के सवाल साहेब के पाठ्यक्रम से बाहर के हैं.'

बीजेपी पर जयराम रमेश का प्रत्यारोप है कि महंगाई, बेरोजगारी और जीएसटी के खिलाफ कांग्रेस के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को बदनाम करने और उससे ध्यान भटकाने के लिए अमित शाह ने अयोध्या से जोड़ दिया है. कहते हैं, 'सिर्फ बीमार मानसिकता के लोग ही ऐसे फर्जी तर्क दे सकते हैं... साफ है, आंदोलन से उठी आवाज सही जगह पहुंची है.'

पुलिस हिरासत में ले जाये जाने के वीडियो के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्विटर पर बीजेपी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को चुनौती दी है कि गिरफ्तार करके भी वो जनता से सच को छुपा नहीं सकती. राहुल गांधी ने भी कहा था कि सच्चाई को बैरिकेड से नहीं रोका जा सकता.

अमित शाह के बयान पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा है - लोकतंत्र में ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार सवाल पूछ रही है, जबकि सवाल पूछने का काम विपक्ष का है. पायलट का आरोप है कि महंगाई के मुद्दे पर सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है - लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी को जवाब उसी की भाषा में देने की कोशिश की है.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक ही ट्वीट में बगैर नाम लिये अमित शाह और योगी आदित्यनाथ दोनों को ही जवाब देने का प्रयास किया है. अमित शाह के लिए प्रियंका गांधी ने लिखा है, 'जो महंगाई बढ़ाकर दुर्बल जन को कष्ट देता है वह भगवान राम पर वार करता है' - और योगी आदित्यनाथ के अपमान की बात पर लिखती हैं, 'जो महंगाई के विरुद्ध आंदोलन करने वालों को मिथ्या वचन कहता है वो लोकनायक राम और भारत के जन का अपमान करता है.'

कांग्रेस की तरफ से विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रियंका गांधी के जमीन पर बैठ जाने वाली तस्वीर को ठीक पहले की राहुल गांधी की भी वैसी ही एक तस्वीर के साथ ट्वीट किया गया है - हालांकि, उस दिन राहुल गांधी काले कपड़े नहीं पहने थे.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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