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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 04 अगस्त, 2022 05:03 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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स्मृति ईरानी (Smriti Irani) की राहुल गांधी से सीधी लड़ाई चलती ही रहती है. कांग्रेस के बाकी नेताओं से भी दो-दो हाथ का कोई न कोई मौका बन ही जाता है. हाल फिलहाल ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है. सोनिया गांधी से संसद में भिड़ने के बाद अब वो प्रियंका गांधी को अमेठी से चुनाव मैदान में उतरने के लिए भी चैलेंज कर चुकी हैं, ताकि किस्सा ही खत्म हो जाये.

लेकिन हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस नेता (Congress Leaders) स्मृति ईरानी के आगे हथियार डालने को तैयार नहीं नजर आ रहे हैं. गोवा बार लाइसेंस मामले में हाई कोर्ट के नोटिस के बाद तो लगा था जयराम रमेश और पवन खेड़ा माफी मांग लेंगे और मामला खत्म हो जाएगा - मगर, वे तो डंके की चोट पर कह रहे हैं कि तथ्यों के साथ अदालत के नोटिस का जवाब देंगे. मतलब, कांग्रेस नेताओं को भरोसा है कि कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बावजूद कानूनी लड़ाई लड़ने का स्कोप अभी खत्म नहीं हुआ है.

प्रवर्तन निदेशालय के यंग इंडिया का दफ्तर सील किये जाने और सोनिया गांधी और राहुल गांधी के घरों पर सुरक्षा बढ़ाये जाने के बाद तो कुछ देर के लिए अलग ही माहौल बन गया था. तरह तरह की बातें होने लगी थीं. करीब करीब वैसे ही जैसे राहुल गांधी से ईडी के अधिकारियों की पूछताछ के दौरान गिरफ्तारी की आशंका जतायी जाने लगी थी.

सोशल मीडिया पर तो अलग ही चर्चाएं चल रही हैं. किसी पोस्ट पर कोई कमेंट किया गया तो टिप्पणियों का लंबा दौर शुरू हो जा रहा है. आलम ये है कि लोग चर्चा कर रहे हैं कि 'तिहाड़ में इटैलियन शेफ बुला लिये गये हैं'. दरअसल, यंग इंडिया का दफ्तर सील करने के ईडी के एक्शन को भी लोग कोई खास संकेत के तौर पर अपने अपने हिसाब से समझने और समझाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि लोग डिटेल के चक्कर में नहीं पड़ रहे हैं, बस बहस को आगे बढ़ाये जा रहे हैं. दरअसल, ईडी ने वो दफ्तर अस्थायी तौर पर सील किया हुआ है - क्योंकि वहां सर्च का काम मल्लिकार्जुन खड़गे के समय न देने की वजह से रुका पड़ा है.

गांधी परिवार के दो सदस्यों के साथ पूछताछ पूरी हो जाने के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अलग ही भड़के हुए हैं. 'हर घर तिरंगा' अभियान को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घेरने के बाद राहुल गांधी अब डंके की चोट पर कह रहे हैं, 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डरते नहीं है... जो करना है कर लें.' 2019 के आम चुनाव से पहले जब रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस मिला था तब भी कांग्रेस ने ऐसे ही संकेत दिये थे - और प्रियंका गांधी वाड्रा पति को छोड़ने ईडी दफ्तर तक गयी थीं. सोनिया गांधी और राहुल गांधी के मामले में भी प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिलकुल वैसा ही किया था.

क्या जयराम रमेश और पवन खेड़ा को ताकत राहुल गांधी के आक्रामक अंदाज से मिल रही है? आखिर कांग्रेस नेतृत्व को ये ताकत कहां से मिल रही है? क्या कांग्रेस ने खुद अपनी लड़ाई लड़ने का फैसला कर लिया है? क्या कांग्रेस को विपक्ष के साथ मिलने से हौसला बढ़ा है?

कांग्रेस के हौसले के पीछे कौन से तथ्य हैं?

जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेताओं के आरोपों को प्रेस कांफ्रेंस में खारिज किया था, दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश भी बिलकुल वैसा ही आया - प्रथम दृष्टया कोर्ट की नजर में कांग्रेस नेताओं के आरोपों को झूठा, तल्ख और व्यक्तिगत हमले की साजिश के तौर पर लिया गया.

smriti irani, rahul gandhiकांग्रेस नेताओं के तेवर से तो लगता है स्मृति ईरानी के लिए लड़ाई आसान नहीं रह गयी है

हाई कोर्ट की तरफ से जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा को नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर उनसे अपने ट्वीट डिलीट करने को कहा गया. साथ ही, कोर्ट की तरफ से जवाब दाखिल करने को भी कहा गया.

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि गोवा का सिली सोल्स कैफे ऐंड बार पर स्मृति ईरानी की बेटी जोइश इरानी का मालिकाना हक है. बार के लिए लाइसेंस भी गलत तरीके से लिये जाने का आरोप लगा. ये कि जिस शख्स के नाम पर बार का लाइसेंस जारी किया गया उसकी महीने भर पहले ही मौत हो गयी थी. आबकारी अधिकारी के नोटिस का भी हवाला दिया गया, और अधिकारी के ऊपर ट्रांसफर के दबाव की बात भी कही गयी. तभी गोवा निवासी एक परिवार ने आबकारी विभाग को बताया कि रेस्ट्रां के असली मालिक वे ही हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच ने स्मृति ईरानी का पक्ष सुन कर मान लिया है, स्मृति ईरानी का गोवा के कैफे से कोई नाता नहीं है. स्मृति ईरानी के लिए हैरानी की बात हुई होगी कि हाई कोर्ट के उनकी बातें मान लेने और अदालत का नोटिस मिलने के बाद भी कांग्रेस नेताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ा. जयराम रमेश ने ट्विटर पर अपडेट किया कि हाई कोर्ट का आदेश उनको मिल चुका है और समय सीमा के भीतर ही वो कोर्ट की हर टिप्पणी का जवाब देंगे.

जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा, ‘हम इस मामले में सही और तथ्यात्मक विवरण कोर्ट में पेश करेंगे. सत्यमेव जयते!'

इस बीच, इंडियन एक्सप्रेस की एक इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट में सिली सोल्स कैफे ऐंड बार को केंद्र में रख कर एक विस्तृत रिपोर्ट आयी है. रिपोर्ट से एक बात तो साफ है कि स्मृति ईरानी का गोवा के कैफे बार से किसी तरह का कोई भी नाता नहीं है, लेकिन उनके परिवार के लोगों के कैफे-बार से संबंध होने की बात से इनकार नहीं किया गया है.

सबूत के तौर पर GSTIN रिकॉर्ड में दर्ज पते का हवाला दिया गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो पता ईरानी परिवार के मालिकाना हक वाली दो कंपनियों के 'प्रिंसिपल प्लेस ऑफ बिजनेस' के रूप में दर्ज है, संयोग से वही पता सिली सोल्स बार ऐंड कैफे का भी है.

रिपोर्ट में ईरानी परिवार की कंपनियों में सबकी हिस्सेदारी तो बतायी गयी है, लेकिन अखबार ने ये जानकारी नहीं दी है कि ईरानी परिवार की कंपनियों और सिली सोल्स कैफे ऐंड बार के बीच किसी तरह का वित्तीय लेन देन रहा है या नहीं?

क्या कांग्रेस नेताओं के पास कोई और भी तथ्य हो सकता है, जिसे वे हाई कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रहे हैं? कांग्रेस नेताओं ने एक वकील को आरटीआई के जरिये मिले जवाब के आधार पर ही स्मृति ईरानी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश थी, जो हाई कोर्ट में भी सही नहीं माना गया है.

ED के खिलाफ सब साथ साथ हैं

प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा नेशनल हेराल्ड केस की जांच पड़ताल के बीच यंग इंडिया का दफ्तर सील किये जाने के बाद राहुल गांधी का और भी आक्रामक रूप देखा जा रहा है. राहुल गांधी ने कहा है, 'अब सत्याग्रह नहीं, अब रण होगा.' यंग इंडिया का दफ्तर सील किये जाने का संसद में विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं के साथ कुछ देर तक सोनिया गांधी को भी खड़े देखा गया था.

सत्याग्रह खत्म, जंग शुरू : कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है - हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डरते नहीं है... जो करना है कर लें... हमारा काम संविधान की रक्षा के लिए लड़ना है... देश के सम्मान के लिए लड़ना है... ये जंग जारी रहेगी.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी से पूछताछ के दौरान कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को सत्याग्रह नाम दिया गया था, लेकिन राहुल गांधी की बातों से लगता है कि लड़ाई को व्यापक तरीके से लड़ने की तैयारी हो रही है.

राहुल गांधी के बयान बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि न तो उनको कानून से लड़ने दिया जाएगा, न ही भागने दिया जाएगा - देश का कानून सबके लिए एक है... वो न कांग्रेस अध्यक्ष के लिए बदल सकता है और न ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के लिए... वे भारत के कानून से भिड़ना चाहते हैं... न उन्हें कानून से रण करने दिया जाएगा न ही RUN करने दिया जाएगा.

ध्यान देने वाली बात ये है कि प्रवर्तन निदेशालय के एक्शन के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस को इस बार विपक्ष का सबसे बड़ा सपोर्ट मिला है. एक साझा बयान तो विपक्ष की तरफ से तब भी जारी हुआ था जब सोनिया गांधी प्रवर्तन निदेशालय के सामने पूछताछ के लिए पेश हुई थीं.

ED के आगे राजनीतिक विरोध किनारे: प्रवर्तन निदेशालय के मुद्दे पर एक बार फिर से विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस के साथ खड़े हुए हैं. खास बात ये है कि इस बार कांग्रेस को टीएमसी ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी भी साथ खड़ी हो गयी है.

आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेतृत्व का हमेशा ही 36 का रिश्ता रहा है. बस राष्ट्रपति चुनाव का ही एक ऐसा मामला है जिसमें अरविंद केजरीवाल विपक्ष के साथ खड़े नजर आये हैं. 2017 में भी और इस बार भी अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष के साथ पाये गये हैं.

विपक्षी दलों की तरफ से सोनिया गांधी से हुई पूछताछ के खिलाफ भी विपक्ष की तरफ से एक साझा बयान जारी किया गया था, लेकिन उससे तो ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने भी दूरी बना ली थी - लेकिन मुद्दा चूंकि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारों का है, इसलिए अरविंद केजरीवाल भी साथ खड़े हो गये हैं.

27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने PMLA यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय को मिले पावर को मंजूरी दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के PMLA के तहत गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा - और कहा कि ईडी को सर्च, सीज और गिरफ्तारी की प्रक्रिया कोई मनमानी नहीं है.

अब देश के कई विपक्षी दलों ने एक साझा बयान जारी कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खतरनाक बताया है. बयान पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, सीपीएम, समाजवादी पार्टी और राष्‍ट्रीय जनता दल के नेताओं ने दस्तखत किये हैं. बताते हैं कि विपक्षी नेता फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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