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Updated: 22 जुलाई, 2022 01:53 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जब भी अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमला बोल रहे हैं, बैकफायर हो जा रहे हैं. बीजेपी नेताओं की कौन कहे, अब तो टीआरएस नेताओं की तरफ से भी पलटवार होने लगा है - और ये हाल तब है जब के. चंद्रशेखर राव ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का सपोर्ट किया है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को राहुल गांधी भी वैसे ही घेर रहे हैं, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. बस फर्क ये है कि मोदी की तरह केसीआर पर राहुल गांधी परिवारवादी राजनीति का आरोप नहीं लगाते.

राहुल गांधी के दौरे की बात पर तेलंगाना राष्ट्र समिति की नेता के. कविता पूछ डालती हैं, 'वो आजकल कहां हैं? राहुल गांधी भारत में ही हैं?'

राहुल गांधी 21 जुलाई को तेलंगाना की यात्रा पर जाने वाले हैं. राहुल गांधी का तेलंगाना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था. ये नेपाल वाले वायरल वीडियो के ठीक बाद की बात है - वो पूछ रहे थे, क्या बोलना है?

और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को तो राहुल गांधी को घेरने के लिए कोई भी बहाना चाहिये. अगर यूं ही बहाना नहीं मिलता तो वो खुद खोज लेती हैं. 2019 में अमेठी में शिकस्त देने के बाद से तो ऐसा ही देखने को मिला है - और इस बार तो स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 'अनुपयोगी' तक बता डाला है. यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अनुपयोगी और उपयोगी का फर्क समझाते हुए योगी आदित्यनाथ को उपयोगी बताया था जिसकी काफी चर्चा रही.

बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि वो लोक सभा के कामकाज पर भी अंकुश लगाने पर अड़े हैं. हैरानी जताते हुए कहती हैं, 'सदन में कभी कोई निजी विधेयक भी पेश नहीं किया है.'

स्मृति ईरानी कटाक्ष करती हैं, 'वो राजनीतिक तौर पर अनुपयोगी हो सकते हैं, लेकिन उनसे मैं कहना चाहती हूं कि वो संसद की उत्पादकता पर अंकुश लगाने की कोशिश निरंतर न करें.'

कांग्रेस के नये मीडिया प्रभारी बनाये गये जयराम रमेश (Jairam Ramesh) के साथ भी बीजेपी नेता वैसे ही व्यवहार कर रहे हैं जैसा राहुल गांधी के साथ स्मृति ईरानी या प्रधानमंत्री मोदी करते हैं. हाल फिलहाल जिस भी मुद्दे पर जयराम रमेश ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी या बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं, बीजेपी की तरफ से सबूतों के साथ पलटवार होने लगा है.

ऐसे में राहुल गांधी की कांग्रेस के लिए कुछ ऐसे तौर तरीकों और नये आइडिया की दरकार लगती है जो बीजेपी को कठघरे में मजबूती से खड़ा कर सके - और हां, उसके बैकफायर न होने की पूरी गारंटी हो.

पुराने तरीके बैकफायर कर रहे हैं

कांग्रेस नेताओं को कम से कम ऐसी चीजों से तो बचना ही चाहिये, जो कभी न कभी पार्टी के लिए फजीहत की वजह बने हों. 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों को मुद्दा बनाया था तो पांच साल बाद राहुल गांधी ने 2019 में वही दोहराने की कोशिश की - और कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गयी.

rahul gandhi, narendra modiराहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीेजपी के खिलाफ कोई ठोस रणनीति नहीं अपनायी तो बाकी तरीके दीवार सिर टकराने जैसे ही साबित होंगे

2020 के दिल्ली दंगों के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हटाये जाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म की नसीहत देने की मांग की - और जैसे ही बीजेपी नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस बुला कर 1984 के सिख दंगों की याद दिला कर सवाल खड़े करना शुरू किया तो सन्नाटा छा गया.

अब अगर कांग्रेस आतंकवाद के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने का प्रयास करती है तो लेने के देने पड़ जा रहे हैं - जयराम रमेश के कई ट्वीट के साथ ऐसा हो चुका है.

उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन पर सवाल: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए पूछा था - कैंडिडेट कौन है? वीडियो एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के नामांकन के मौके का है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी उम्मीदवार जगदीप धनखड़ से हाथ मिला रहे हैं.

जयराम रमेश के सवाल का जवाब देने के लिए आगे आये हैं झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे जो वैसी ही एक तस्वीर शेयर कर कांग्रेस से जुड़े वाकये की याद दिला रहे हैं - तस्वीर में सोनिया गांधी, हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी साथ में हैं.

संसद में धरने पर रोक का मामला: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने हाल ही में एक ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'विषगुरु' बताते हुए संसद परिसर में धरने पर रोक वाले आदेश की कॉपी को शेयर किया था. जयराम रमेश ने लिखा, 'विषगुरु का नया काम - D(h)arna मना है.' असंसदीय शब्दों की सूची के विरोध में भी जयराम रमेश ने ट्विटर पर 'विषगुरु' शब्द का इस्तेमाल किया था.

ठीक वैसे ही एक पुराने आदेश की कॉपी ट्विटर पर ही शेयर कर बीजेपीके आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय पूछते हैं 2013 से 2014 तक सत्ता में कौन था?

आतंकवादियों से रिश्ते के आरोप-प्रत्यारोप: कांग्रेस की तरफ से बीजेपी पर हाल फिलहाल एक बड़ा आरोप लगाया गया है. कांग्रेस का दावा है कि उदयपुर में कन्हैयालाल के हत्या के दो आरोपियों में से एक बीजेपी का सदस्य है - और जम्मू-कश्मीर में हाल में गिरफ्तार एक आतंकवादी का संबंध भी बीजेपी से है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का ही दावा है, 'एक के बाद एक कई आतंकवादियों के तार भाजपा से जुड़ने के सबूत मिले हैं... भाजपा का आतंकवादियों से नाता है.'

ये सुनते ही बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा धावा बोल देते हैं और याद दिलाने लगते हैं कि कैसे दिल्ली के बाटला हाउस में हुई मुठभेड़ की तस्वीरों को देख कर सोनिया गांधी के आंखों में आंसू आ गये थे. संबित पात्रा आतंकवाद पर फंडिंग के लिए दोषी पाये जाने वाले यासीन मलिक को यूपीए सरकार के दौरान सम्मानित किये जाने की बात करते हैं - और जाकिर नाइक के साथ कांग्रेस के रिश्तों की याद दिलाने लगते हैं.

सर्वदलीय बैठक पर तकरार: ऐसे ही एक ट्वीट में जयराम रमेश ने मॉनसून सेशन से पहले बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिस्सा न लेने पर सवाल खड़ा किया था - और बीजेपी कांग्रेस के कार्यकाल की याद दिलाने लगी.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना रहा, 'मैं उनका बताना चाहता हूं कि 2014 से पहले प्रधानमंत्री ने किसी भी सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लिया... आखिर कितनी बार मनमोहन सिंह जी ने सर्वदलीय बैठक में भाग लिया था?

नये आइडिया/उपाय कैसे हों?

1. असल बात तो ये है कि कांग्रेस को NYAY जैसे आइडिया की जरूरत है - और सिर्फ ऐसी स्कीम ही नहीं उसे सही तरीके से लोगों तक पहुंचाने की भी जरूरत है.

न्याय स्कीम अगर बेहतरीन आइडिया रहा तो उसे पेश करने का राहुल गांधी का तरीका बिलकुल घटिया रहा. एक तो चुनावों के ऐन पहले पेश किया गया - और दूसरे उसे सही तरीके से प्रजेंट भी नहीं किया गया. लगा जैसे बगैर किसी तैयारी के मार्केट में उतार दिया गया.

असलियत तो ये रही कि बीजेपी नेतृत्व दबाव में आ गया था. तभी तो बजट में मिलते जुलते कार्यक्रम की घोषणा करनी पड़ी. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद लोगों के बीच जाकर किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा करनी पड़ी थी.

कांग्रेस की तरफ से एक और बड़ी गलती हुई कि पहले से बीजेपी के हमलों को काउंटर करने को लेकर कोई तैयारी नहीं की गयी. बीजेपी ने सवाल खड़े कर दिये कि पैसे कहां से आएंगे - और लोगों को समझा दिया कि मध्य वर्ग से ज्यादा टैक्स वसूला जाएगा.

2. कांग्रेस को महंगाई जैसी बुनियादी चीजों पर फोकस की जरूरत है - और इसके लिए सबसे पहले राहुल गांधी को समझ लेना होगा कि अगर कांग्रेस महंगाई पर रैली बुलाये तो उसी पर बोलने की कोशिश करनी चाहिये - मन की बात कई बार बेवक्त की शहनाई हो जाती है.

जयपुर में राहुल गांधी ने ऐसा ही किया था. मंच पर खड़े हुए और बोले महंगाई पर तो बोलेंगे, लेकिन उससे पहले हिंदुत्व पर बोलेंगे - फिर हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुत्ववादी राजनीति के बारे में ज्ञान देने लगे. महंगाई का मुद्दा जहां का तहां छूट गया.

3. जो बीजेपी की कमजोरियां हैं और जहां लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है, कांग्रेस को उन पर फोकस करना चाहिये - और हां, ये भी ध्यान रहे कि उसमें घिरने की संभावना न के बराबर हो.

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सवाल तो बिलकुल वाजिब है - राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा उदयपुर क्यों नहीं गये?

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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