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Updated: 30 अप्रिल, 2019 01:37 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान पर जो चौतरफा दबाव बनाया गया था, उसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं. भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान में चल रहे जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को तबाह किया, बल्कि पाकिस्तान की दी जाने वाली हर मदद रोक दी. पूरी दुनिया से पाकिस्तान को अलग-थलग करने का हर संभव प्रयास किया. अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (FATF) ने पाकिस्‍तान पर सबसे बड़ा प्रहार किया. पाकिस्‍तान में आतंकियों की टेरर फंडिंग रोकने को लेकर इस एजेंसी पाकिस्‍तान सरकार के दावों को झूठा करार दिया था. कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्‍तान के लिए FATF के अलावा IMF से मदद न मिल पाना, और गंभीर हालात ले आया. आखिरकार अब यूं लग रहा है कि पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने आ गई है, लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ है? तो क्या भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है? या इसके पीछे कोई और वजह है?

पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कुछ बातें कही हैं, जो दिखाता है कि फिलहाल पाकिस्तान घुटनों पर आ चुका है. मेजर ने कहा है कि वह मदरसों को आतंक फैलाने से रोकने के लिए उन्हें सरकारी नियंत्रण में लाएंगे और उनका सिलेबस भी बदलेंगे. आपको बता दें कि बालाकोट में भी मदरसे की आड़ में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ट्रेनिंग मिल रही थी. खैर, पाकिस्तान में प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति से अधिक सेना की धाक है. ऐसे में सेना ने ये बात कही है तो हो सकता है कि इस पर अमल भी हो, लेकिन क्या वाकई इससे कुछ बदलेगा? और सबसे बड़ा सवाल, क्या वाकई सेना कुछ बदलना चाहती है या फिर बेलआउट पैकेज पाने के लिए अच्छा बच्चा बनने का ढोंग कर रही है?

पाकिस्तान, मदरसा, सेना, आतंकवादपाकिस्तानी सेना मदरसों को आतंक फैलाने से रोकने के लिए उन्हें सरकारी नियंत्रण में लाएगी और उनका स्लेबस भी बदलेगी.

पाकिस्‍तानी मदरसों को लेकर क्या बोले मेजर गफूर?

मेजर जनरल आसिफ गफूर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि जब देश में सोवियत यूनियन आया तो उससे लड़ने के लिए जिहाद पैदा हुआ. मदरसों में लोगों को जिहादी बनाया जाने लगा. लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं, ऐसे में मदरसों का स्लेबस बदलने की जरूरत है. उन्होंने ये भी माना है कि पाकिस्तान करीब 30,000 मदरसों में से 10 फीसदी में भड़काने वाली चीजें सिखाई जाती हैं. वह मानते हैं कि करीब 100 मदरसे ऐसे हैं, जहां बच्चों को हिंसात्मक चीजें पढ़ाई जाती हैं. वह बोले कि धर्म के बारे में बच्चों को हमेशा की तरह ही शिक्षा दी जाती रहेगी, लेकिन उसके साथ ही अन्य अहम चीजें भी सिखाई जाएंगी, जिसके बाद वह बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर, फौजी या और कुछ बन सकें. उन्होंने ये साफ किया कि नए स्लेबस में अन्य धर्मों के प्रति नफरत नहीं होगी, बल्कि उनके प्रति इज्जत करना सिखाया जाएगा.

आसिफ गफूर के अनुसार 1 जनवरी 2019 को ही इस बात का फैसला हो गया था कि प्रोस्क्राइब्ड ऑर्गेनाइजेशन्स को सरकारी नियंत्रण में लाया जाएगा. इन ऑर्गेनाइजेशन के अस्पताल हैं, मदरसे हैं. वह कहते हैं कि 10 फीसदी को छोड़ दें तो 90 फीसदी तादाज पाकिस्तान के हित में काम कर रही है. उन्होंने शिक्षा की बात करते हुए कहा कि दुनिया में शिक्षा के मामले में पाकिस्तानी नीचे से दूसरे नंबर पर है. 2.5 करोड़ पाकिस्तानी बच्चे स्कूल से बाहर हैं. 25 लाख बच्चे मदरसों में तालीम लेते हैं. ऐसे में ये अहम हो गया है. मेजर ने तो ये भी साफ कर दिया है कि इसमें पहले साल करीब 2 अरब रुपए खर्च होंगे, जबकि अगले साल से 1 अरब रुपए का खर्च आएगा. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि मेजर गफूर का ये प्लान आईएसआई और पाकिस्तान के बाकी आला अधिकारी सफल होने देते हैं या नहीं.

आईएसआई क्यों बदलने देगा मदरसों का ढांचा?

पाकिस्तान में सेना ही सुप्रीम है, ये कोई दबी-छुपी बात नहीं है. लेकिन आईएसआई सेना को ऐसा करने क्यों देगा? वो आईएसआई को भारत के खिलाफ आए दिन कोई न कोई साजिश रचता रहता है, उसे आतंकी कहां से मिलेंगे? और हां, ये बता दें कि खुद मेजर गफूर ने ये माना है कि पाकिस्तान में आतंकियों का कोई संगठित ढांचा भले ना हो, लेकिन असंगठित ढांचा मौजूद. उन्होंने माना है कि कुछ मदरसे हिंसात्मक चीजें सिखाते हैं. अब जब आतंकियों का संगठित ढांचा है नहीं, तो मदरसे ही तो आईएसआई की आतंकियों की जरूरत को पूरा करते हैं. किसी भी मदरसे से आतंकी नहीं निकलेंगे तो आईएसआई की साजिशों को अंजाम कौन देगा. अब आप ही सोचिए, आखिर आईएसआई मदरसों का स्लेबस बदलने क्यों देगा?

मदरसों का ट्रांसफॉर्मेशन बेशक पाकिस्तानी सेना की एक अच्छी पहल है, क्योंकि बच्चों के कोरे मन में नफरत के बीच इन मदरसों में ही बो दिए जाते थे. जैसे-जैसे वह बड़े होते थे, उनके दिलों में अन्य धर्मों के प्रति एक नफरत घर कर लेती थी. पाकिस्तान में सेना की सबसे अधिक चलती है तो मुमकिन है कि मदरसों का स्लेबस बदल जाए, लेकिन पाकिस्तान के जिन लोगों के दिलों-दिमाग में बचपन से ही नफरत का बीज बोया था, उसका क्या? उन मौलवियों के मन से भारत और हिंदुओं के प्रति नफरत कौन निकालेगा, जो सुबह-शाम जहर उगलते हैं?

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