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Updated: 08 जनवरी, 2022 10:31 PM
सरिता निर्झरा
सरिता निर्झरा
  @sarita.shukla.37
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नई गाड़ी की चमक, उसकी खुशबू अलग होती है. नहीं? सोचिये आप निकलो रविवार के दिन सजधज कर नई गाड़ी में बैठ ,'आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा', गाते हुए. आप चले जा रहे हैं, अपनी धुन में और नुक्क्ड़ पर टेम्पो वाला स्क्रैच मारता हुआ निकले. बेडा गर्क. अब गर्दन निकाल उसको गरियाते हुए आप रेड लाइट पार कर जाएं, लेयो मजा. अरे ट्रैफिक का मुद्दा नहीं है, ऐसे में जो खीज होती है, वो मुद्दा है. खीज, गुस्सा जज़्ब करना कितना मुश्किल न? या फिर याद कीजिये कि क्रिकेट के मैच में आखिरी बल्लेबाज को चार बॉल पर छह रन बनाने हों. हो सकता है, यकीनन हो सकता है. यकीनन हो सकता है कि हम जीत सकते हैं और....ऐन मौके पर बल्लेबाज आउट हो जाये. कितना गुस्सा, खीज, हैरानी, परेशानी होती है. जी चाहता है लोढ़ा ले कर सिर पर दे मारें. है न? ऐसा ही इस भकत हमरा जी भी चाह रहा है की नउआ की कुर्सी पर बिठा कर एक एक उंगली खूंची. मने आपन सर पटकी की तोहे अद्धा उठा के दे मारी?

Jawed Habib, Jawed Habib News, Woman, Hair, Viral Video, Hair Stylist, Beauty Parlorजावेद हबीब ने हेयर कट के नाम पर महिला के सिर पर थूककर एक नयी बहस को पंख दे दिए हैं

छोड़िये जब खीज से किचकिचा जाते है तब ये पुरबिहा भाषा अपने आप निकलती है. मुद्दा है या नहीं है, या बन जायेगा, ये नहीं पता पर हरकत बाकमाल वाहियातपने की सरहदों को छूती हुई किये हो जावेद बाबू! मतलब लड़के लड़कियां तुम्हारे 'सैलून' में बाल कटा कर इंस्टाग्राम पर स्टोरी डालते हैं विद हैशटैग #GelledHair अब क्या वो #SpittedHair लगाएंगे?

क्या थी ये हरकत और क्यों थी?

देश में अलग अलग जाति धर्म के लोग रहते हैं. साथ साथ रहते थे अब करीब करीब रहते हैं. करीब करीब रहने की वजह यह की हमारी जनसंख्या बहुत ज़्यादा है और दूर दूर रहने की जगह है नहीं. तो पहले दिल और घर सब करीब थे अब केवल घर करीब हैं, ब्रदिलों में स्मॉग जैसा कुछ भर गया है जो सांस लेने में तकलीफ देता है और आँखों और सीने में जलन की शिकायत फैलने लगी है तो ऐसे में पानी का छिड़काव करने वाली मशीनों के मुंह पर ढक्क्न नहीं लगाते और तुम यही हरकत किये हो.

उन जैसों के मुंह पर ढक्क्न लगा दिए, जो कहते हैं कि जाहिल है जो ऐसी हरकतें करते हैं. तुम अनपढ़ तो लगते नहीं लेकिन हो ऐसा हमको मालूम होता है. जादा छानबीन की आदत तो हैं नहीं क्योंकि खलिहर हम हैं नहीं. लेकिन हवा का रुख समझते है. ना ना वैसे हमको जानने की जरूरत नहीं है क्योंकि सवर्ण - अपर कास्ट ब्राह्मण है. कुल गोत्र सब जगन्नाथ पूरी से ले कर केदारनाथ और बोधगया में भी लिखा आये हैं. तो हमको तो क्या है की खाली नया नउआ ढूंढना पड़ेगा, पर तुमको?

ए बाबू, तोहें तो सिरे से अपने आप के खोजक पड़ी. और क्या बोले की पानी की कमी हो तो थूक दें?? अरे मूढ़मति, अनपढ अलूफ़ फ्रॉम थे रियलिटी ऑफ एनवायरनमेंट - ग्लेशियर पिघल रहे हैं. हर साल मिलीमीटर समुद्र का पानी 4-6 सेंटीमीटर बढ़ रहा है तो तुम हम बच भी गए तब भी हमारी नस्लें डूब कर मरेंगी. न न शर्म में नहीं वो तो बेच कर हमने इंटरनेट के हाई स्पीड केबल लगवा लिए ताकि पानी बचाने के 101 वजहें हम होली पर सुने.

तो जावेद भाई कमाल करते हो यार. न माहौल देखते हो, न हवा का रुख और यूं 'थूक' देते हो एक लड़की के सिर पर? न हुई हमारे नखलऊ की सड़क पर कूद कूद कर मारने वाली वो लड़की के खानदान की कोई - एक रैपटा पड़ता और तुम वहीं के वहीं! तुम ऐसी दुराचारी हरकत किये वो भी तब जब तुम्हारे विकिपीडिआ में तुम्हारे नाम के बाद हेयरस्टाइलिस्ट से पहले पोलिटिशियन लिखा है.

पॉलिटिशियन वो भी भाजपा के!

तुमको बनाया कौन ?या तुम ही उन सबको बना दिए हो ? जो भी है मामला गंभीर है. इस किस्म की विडिओ आती रहती है. यकीन जानो दिल और दिमाग से बीमार लगते हैं ऐसे लोग और दिल अमूमन वही चाहता है,ऊपर पढ़ो! ऊंगली ऊंगली खूंची उन सबहिं के.'

हम सेमी-धार्मिक लोग हैं जावेद भाई. आप अपनी अज़ान पढ़ो हम अपना सुंदरकांड करेंगे. हमे कोई समस्या है नहीं लेकिन जनाब ये हरकत? पढ़े लिखे हो. हमारे प्रधानमंत्री आपको एक हाथ में कुरान और एक में लैपटॉप देना चाहते हैं और आप बेसिक सिविक सेन्स न सीख पाए ? इस स्कीम की अधिक जानकारी नहीं है सब अपना अपना फैक्ट चेक कर लेना.

और क्या है ये कि 'इस थूक में जान है!' क्यों आपके ग्लैंड यानि ग्रंथियां आब-ए- जमजम रिलीज़ करती हैं. ऐसा कुछ जादुई है तो वो भी बताइये. मत भूलिए हालात इस समय पर चार बॉल पर छह नहीं बारह रन बनाने वालें है. नट की रस्सी बारीक़ कर दी गई है और नीचे आग लगी हैं. बड़ी मुश्किल से तार तार होते विश्वास के धागो को बचाने की कोशिश में गिने चुने लोग हैं. अलाव की फूंकनी न बनो. मज़ाक मज़ाक में कहीं आग फ़ैल न जाये.

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लेखक

सरिता निर्झरा सरिता निर्झरा @sarita.shukla.37

लेखिका महिला / सामाजिक मुद्दों पर लिखती हैं.

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