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Updated: 30 अक्टूबर, 2016 01:53 AM
आर.के.सिन्हा
आर.के.सिन्हा
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अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन कर दीपावली की बधाई दी. उसके बाद मोदी ने एक ट्वीट करके कहा कि यह जानकर अच्छा लगा कि व्हाइट हाउस में भी दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. अमेरिका में वर्ष 2009 में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में दीपोत्सव का परंपरागत दीया जलाया था. इस बार तो अमेरिका में चुनाव अभियान चल रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रम्प उनकी 34 वर्षीय बेटी और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने भी हिन्दू मंदिरों और प्रवासी भारतियों के संगठनों में जा जाकर अभी से दीये जलाने शुरू कर दिए हैं.

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 दिवाली मनाते बराक ओबामा और मिशेल ओबामा

दरअसल अब आलोक पर्व दीपावली सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रह गई है. इसे सारे संसार के चप्पे-चप्पे में मनाया जाता है. यह महापर्व भारत की सीमाओ को तो बहुत पहले ही लांघ चुका है. अब तो दीपावली एक तरह से क्रिसमस और ईद की तरह से विश्व पर्व की श्रेणी में रखा जा सकता है.

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दरअसल भारत से दशकों पहले (सन 1834 से 1884 के बीच) सात समंदर पर चले गए भारतीय अपने तीज-त्योहारों को अब भी बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के भाव से साथ मनाते हैं. नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. विद्याधर सूरज प्रसाद नायपाल पहली बार 1961 में दीपावली की रात को ही बम्बई पहुंचे. यह देखकर उन्हें भारी निराशा हुई कि यहां पर ज्यादातर घरों के बाहर मोमबतियां से आलोक सज्जा हो रही थी. उनके देश त्रिनिडाड में दीपावली पर अब भी मिट्टी के दिए जलाने का ही प्रचलन है. मोमबत्ती जलाने की परम्परा चर्चों के आविर्भाव के बाद प्रारंभ हुई. यानि दो हजार वर्ष पूर्व. जबकि, दीपक की परम्परा हजारों वर्ष पूर्व रामायण और महाभारत काल में भी मिलती है. वास्तव में मोमबत्ती जलने से प्रदूषण फैलता है. इसके ठीक विपरीत मिटटी के दीये में तिल, तीसी,अरंड, करंज, सरसों, नारियल यदि के तेल में या शुद्ध घी में रूई की बाती जलाने पर, वातावरण शुद्ध होता है और बरसात में उत्पन भिन्न प्रकार के कीड़े मकोड़े जो फसलों के लिए नुकसानदायक हैं, नष्ट हो जाते हैं. अगर डॉ. नायपाल देश के किसी गांव में जाते तो उन्हें कतई निराशा नहीं होती. क्योंकि, छोटे शहरों और गांवों में अब भी दीये जलाए जाते हैं. दीपोत्सव की तैयारियां कई देशों में दो-दो हफ्ते पहले चालू हो जाती हैं.

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 इंडोनेशिया की दिवाली

मैं बीते दिनों सिंगापुर गया था किसी निजी कार्य के सिलसिले में. अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से ही टापू राष्ट्र पर दीपावली का खुमार चढ़ चुका था. भारतीय आबादी के गढ़ से रंगून या लिटिल इंडिया के बाजार और तमाम सड़कें दीपावली के लिए सज चुकी थीं. यह आलम चीनी आबादी बाले क्षेत्रों से लेकर एयरपोर्ट तक है. प्रकश पर्व अब सिंगापुर की सांस्कृतिक पहचान में शामिल हो चुका है. जमकर खरीददारी हो रही है. सिंगापुर में दीपावली के त्योहार को लेकर खास प्रबंध किया गया है. सिंगापुर में चलने वाली मेट्रो को दीपावली के लिए खासतौर पर तैयार किया गया है.

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 सिंगापुर में मेट्रो रेल को दीवाली थीम पर सजाया गया है

सिंगापुर में इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है. वहां की दीपावली को देखकर लगता है, जैसे नन्हे भारत’में दीपावली मनाई जा रही है. वहां हिन्दू एंडाउमेंट बोर्ड ऑफ सिंगापुर’कई बड़े सांस्कृतिक आयोजन भी करता है.श्रीलंका, म्यांमार,  थाईलैंड,  मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया,दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका वगैरह में भी दीपावली की छटा देखते ही बनती है.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बीते साल दीपावली पर मांट्रियल में भारतीय आबादी के साथ डांस फ्लोर पर डांस किया. उनका जोश हैरान करने वाला था. वे दीपावली पर आयोजित कार्यक्रम में कुर्ता-पायजामा पहनकर एक पंजाबी गाने पर झूमते हुए नजर आए.

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कैरेबियाई टापू देश त्रिनिदाद और टोबैगो में बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं और वहां खूब धूमधाम से दीपावली मनाई जाती है. लोग घरों में पूजा करते हैं. त्रिनिदाद और टोबेगो की आबादी में लगभग एक चौथाई हिन्दू हैं. त्रिनिदाद में सन 1845 में भारतवंशियों की पहली टुकड़ी पहुंची थी. उसी वर्ष से वहां दीपावाली का उत्सव मनाया जाता है. त्रिनिदाद और टोबेगो में दीपावली के पर्व पर राष्ट्रीय अवकाश होता है. त्रिनिदाद के करीबी देश गुयाना में भी हिन्दुओं की तादाद खासी है. वहां पर भी आलोक पर्व को बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है. गुयाना के तत्कालीन राष्ट्रपति छेदी जगन को इस बात का गौरव हासिल है कि वे पहले भारतीय मूल के शख्स थे,जिन्हें देश से बाहर राष्ट्राध्यक्ष बनने का गौरव मिला. वे 1961 में गुयाना के राष्ट्रपति बने थे. बाद में मारीशस आजाद होने के बाद जब आम चुनाव हुए तो भारतीय मूल के सर शिवसागर रामगुलाम मारीशस के प्रथम प्रधानमंत्री और बाद में राष्ट्रपति भी बने.

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त्रिनिदाद के दिवाली नगर में दिवाली मनाते लोग

त्रिनिदाद और टोबेगो और गुयानामें त्योहारों की धूम गणेश जयंती के साथ ही शुरू होती है. गणेश जयंती के बाद 15 दिनों तक पितृपक्ष, उसके बाद नवरात्रि, रामलीला आदि उत्सव मनाए जाते हैं. फिर मनाई जाती है दीपावली. त्रिनिडाड के पूर्व प्रधानमंत्री वासुदेव पांडे एक बार बता रहे थे त्रिनिदाद के किसी भी छोटे-बड़े शहर का दीपावली पर नजारा भारत के किसी गांव की तरह का ही होता है. भारत के विपरीत प्रवासी भारतीय अपने घरों और अन्य इमारतों पर तेल के दीये ही जलाते हैं. जब ये ढेर सारे दीये दीपावली की रात को एक साथ प्रकाशमय होते हैं, तो दृश्य ही अदभुत होता है.

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 त्रिनिदाद के किसी भी छोटे-बड़े शहर का दीपावली पर नजारा भारत के किसी गांव की तरह का ही होता है

त्रिनिदाद की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन शहर के तो एक बड़े चौराहे का नाम ही दीवाली स्ट्रीट है. अंग्रेज भारत के गन्ना प्रधान प्रदेशों, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार तथा दक्षिण में महाराष्ट्र और तमिलनाडू के लोगों को गन्ने के खेतों में खेती करवाने के लिए इन देशों में बंधुआ मजदूर बनाकर ले गए थे. चूँकि इनसे एक एग्रीमेंट पर दस्तखत या अंगूठे का निशान लगवाया जाता था, इसीलिए इन्हें प्रचलित भाषा में “गिरमिटिया” कहा जाने लगा.   

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जैसे-जैसे भारतीय प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे दीपावली मनाने वाले देशों की संख्या भी बढ़ रही है. कनाडा में तो तेज आवाज वाले पटाखे छोड़ने पर रोक है. यहां अलग-अलग भारतियों के क्लब या केंद्र हैं, जहां पर भारतीय अपने त्योहार मनाने के लिए एकत्र होते हैं. दीपावली वाले दिन भारतीय अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और शाम को दीपावली उत्सव के लिए एक स्थान पर इकट्ठे हो जाते हैं. पकवानों के साथ भारतीय संगीत का आनंद भी उठाते हैं.

पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडो सहित सभी नगरों में दीपावली का पर्व पांच दिन तक मनाया जाता है. परंपरा वैसी ही है जैसी भारत की है. हां, थोड़ी भिन्नता भी है. पहले दिन कौवे को और दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है. लक्ष्मी पूजा तीसरे दिन होती है. इसी दिन से नेपाल संवत शुरू होता है, इसलिए व्यापारी इसे शुभ दिन मानते हैं. चौथा दिन नए साल के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन महापूजा होती है और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है. पांचवा दिन“भाई टीका” होता है, जब बहनें भाइयों का तिलक करती हैं.

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 नेपाल में दीपावली का पर्व पांच दिन का होता है, पहले दिन कौवे को और दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है

अगर बात अफ्रीकी देश मारीशस की करें तो वहां भारतवंशी दीपावली पर लक्ष्मी पूजन पूरी विधि विधान से करते हैं. भारत के विपरीत वहां पर मिठाइयां घरों में ही पकाने की ही परम्परा  है. सबसे गौरतलब बात यह है कि दीपोत्सव पर  भारतवंशी परम्परगत भारतीय वेषभूषा में ही होते हैं.

अगर बात दक्षिण अफ्रीका की करें तो भारतीय समुदाय बहुल इलाकों जैसे जोहांसबर्ग के निकट लेनासिया और चैट्सवर्थ और डरबन के फोनेक्स में दीपावली बहुत ही भव्य तरीके से मनाई जाती है. दक्षिण अफ्रीका में दक्षिणभारतीय मूल के भारतीय अधिक हैं. भारतीय मूल के लोग महंगी मिठाइयां, लैंप्स और उपहार खरीद कर रोशनी का उत्सव मनाने के लिए किसी जगह पर एकत्र होते हैं. श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोग इस दिन भी तेल स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और ‘पोसई’(पूजा) कर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. शाम को पटाखे छोड़े जाते हैं.

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 श्रीलंका की दिवाली

कहते हैं कि भारत के बाद सर्वाधिक भारतीय रहते हैं अमेरिका, साऊथ अफ्रीका और मलेशिया में. इन सब देशों में इनकी आबादी कई करोड है. मलेशिया में बर्मा में, बंगला देश, थाईलैंड और ब्रिटेन के विभिन्न शहरों में भी दीप पर्व मनाया जाता हैं. लेस्टर में तो बहुत बड़ा आयोजन होता है.

ऑस्ट्रेलिया में भी दीपावली की धूम रहती है और मेलबोर्न में तो श्री शिवविष्णु मंदिर में दीपावली की रौनक देखते ही बनती है. न्यूजीलैंड में भी रह रहे भारतीय रोशनी का पर्व मनाते हैं. दोनों ही देशों में दीपावली पर सार्वजनिक अवकाश रहता है. और भले ही पाकिस्तान में हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाए पर वहां भी हिन्दू रोशनी का पर्व धूमधाम से मनाते हैं. कराची के स्वामी नारायण मंदिर में हिन्दू एकत्र होकर पूजा-अर्चना करते हैं और पटाखों के साथ दीपावली मनाते हैं. पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी हिन्दुओं को संबोधित किया था और पर्व की शुभकामनाएं दी थीं. यानी आपके साथ इस बार भी दीपावली  दुनिया के तमाम भागों में भारतवंशी के साथ साथ पूरा विश्व पूरी श्रद्धा भाव और उल्लास के साथ मनाएंगे.

लेखक

आर.के.सिन्हा आर.के.सिन्हा @rksinha.official

लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं.

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