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Updated: 07 जनवरी, 2019 04:01 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हो रही टेस्ट सीरीज पर भारत ने 2-1 से कब्जा कर लिया है. ऑस्ट्रेलिया की ही जमीन पर इतिहास में पहली बार भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है और इसका सबसे बड़ा क्रेडिट जाता है चेतेश्वर पुजारा को. उनके शानदार प्रदर्शन के लिए तो उन्हें मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी दिया गया. जीतने के बाद भारतीय टीम ने मैदान पर ही जश्न मनाया और इसके लिए उन्होंने एक अजीब सा ही डांस किया. ये डांस देखने वाले भी यही सोच रहे हैं कि आखिर ऐसा अजीब सा डांस क्यों किया, लेकिन विराट कोहली ने इस अजीब से डांस का राज खुद ही खोल दिया है.

विराट कोहली ने इसे 'पुजारा डांस' का नाम दिया है. यानी ये साफ है कि ये डांस सिर्फ पुजारा के स्टाइल को देखते हुए किया गया. विराट बोले कि इस डांस को इसलिए चुना गया, क्योंकि ये बेहद आसान और साधारण सा है. वह बोले कि पुजारा बेहद साधारण शख्स हैं. यहां तक कि जब वह चलते हैं तो हाथ भी अधिक नहीं हिलाते. इसलिए ऐसा डांस किया गया जो पुजारा की स्टाइल को सूट करता हो. उन्होंने कहा कि यह डांस पुजारा के चलने के स्टाइल का एक्सटेंशन है. हालांकि, कोहली बोले कि पुजारा ये डांस भी नहीं कर सके, जबकि साथी क्रिकेटर उन्हें बार-बार नचाने की कोशिश करते रहे.

क्यों डांस नहीं कर पाते पुजारा?

चेतेश्वर पुजारा के डांस नहीं कर पाने की वजह उनका पिछला जीवन और उसमें पुजारा द्वारा पालन किया गया अनुशासन है. चेतेश्वर पुजारा के पिता अरविंद शिवलाल पुजारा बेहद सख्त हैं, जो खुद भी क्रिकेटर रह चुके हैं. उन्होंने बचपन से ही चेतेश्वर पुजारा पर बहुत सारी पाबंदियां लगा दी थीं. खेलने और पढ़ने के अलावा उन्हें कुछ भी करने की इजाजत नहीं थी. पुजारा ने अपने पिछले जीवन और पिता के सख्त होने के बारे में एक इंटरव्यू में कई बातें बताई हैं.

चेतेश्वर पुजारा, क्रिकेट, भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीजजिस बच्चे ने बचपन में डांस न किया हो, वह जवानी में डांस कैसे कर पाएगा.

न होली, न दिवाली, ना ही गरबा...

एक इंटरव्यू के दौरान चेतेश्वर पुजारा ने बताया कि उनके पिता कितने सख्त हैं. वह बोले- 'मेरे पिता मुझे बहुत सारी चीजें नहीं करने देते थे. मुझे कोई त्योहार मनाने को नहीं मिलता था. यहां तक कि होली भी नहीं खेलने दी जाती थी कि कहीं किसी रंग से मेरी आंखें खराब ना हो जाएं. दिवाली के दौरान मुझे पटाखे नहीं फोड़ने दिए जाते थे, क्योंकि मेरे पिता का डर था कि कहीं पटाखों से मेरा हाथ ना जल जाए या फिर कोई चोट न लग जाए. मुझे गरबा भी खेलने की इजाजत नहीं थी. मुझे सिर्फ इतनी ही इजाजत थी कि मैं गरबा देख सकता था. मैं कभी अपने पिता को इस बात के लिए नहीं मना पाया कि गरबा से मेरे पैरों की एक्सरसाइज हो जाएगी. मेरा फुटवर्क सुधरेगा. गरबा भी मैं सिर्फ रात 10.30 बजे तक ही देख सकता था, क्योंकि मुझे समय पर वापस आकर समय से सोना जरूरी होता था. ऐसा बिल्कुल नहीं था कि जब तक गरबा खत्म ना हो मैं तक तक देखूं या फिर 12 बजे तक देखूं.'

इंटरव्यू में आगे चेतेश्वर पुजारा से पूछा गया कि क्या अब उनके पिता उन्हें ये सब करने की छूट देते हैं या अभी भी उतने ही सख्त हैं. इस पर पुजारा कहते हैं कि उनकी पत्नी ने इस मामले में उनके पिता को मनाया और कहा कि अगर मैं कुछ चाहता हूं या फिर बाहर जाता हूं तो इसमें कुछ गलत नहीं है. पुजारा ने इसके बाद अपने बचपन का एक और वाकया शेयर किया. उन्होंने कहा- 'बचपन में मुझे टेनिस बॉल से खेलने की इजाजत भी नहीं थी.' इस लाइन ने इंटरव्यू लेने वाले शख्स को भी हैरान कर दिया कि ऐसा कैसे हो सकता है, जबकि 99 फीसदी क्रिकेटर टेनिस बॉल से ही खेले हैं. इस पर पुजारा ने अपने पिता का तर्क उन्हें समझाया. उन्होंने कहा- 'मेरे पिता मानते हैं कि टेनिस बॉल का बाउंस सीजन बॉल से काफी अलग होता है, जिसकी वजह से मेरा खेल बिगड़ सकता है. जब मैं गली क्रिकेट भी खेलता था तो मुझे बैटिंग या बॉलिंग करने की इजाजत नहीं थी, मैं सिर्फ विकेट कीपिंग करता था.'

चेतेश्वर पुजारा ने इस इंटरव्यू में जो बातें कहीं, उनसे ये साफ पता चलता है कि उनके पिता कितने सख्त हैं और उन्होंने अपने बेटे को कितने अनुशासन के साथ ट्रेनिंग दी है. चेतेश्वर पुजारा हमेशा अपने खेल पर ध्यान देते थे और उनके पिता भी हमेशा इसी की तरफदारी करते थे. कोई त्योहार या उत्सव मनाने की भी उन्हें छूट नहीं थी. उस समय भले ही पुजारा को अपने पिता का अनुशासन जेल जैसा लगता होगा, लेकिन उनका बलिदान आज अपना रंग दिखा रहा है. उन्हें जो सख्त ट्रेनिंग पिता से मिली है, उसी की बदौलत आज इतिहास में पहली बार भारत ने ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर कोई टेस्ट सीरीज जीती है.

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