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Updated: 11 जनवरी, 2023 05:10 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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वह पुरुष है, बहक सकता है. तुम पत्नी हो, उसे रिझाया करो. उसके नाम का श्रृंगार किया करो. जब वह कुछ बोले तो गौर से सुना करो. तुम उस पर ध्यान दिया करो. उसके बिना बोले उसकी बातें समझ जाया करो. वह बाहर जाता है. काम करता है थक जाता है तुम दिन भर घर में रहकर करती क्या हो?

वह नौकरी करता है, घर का खर्च चलाता है. तुम रानी की तरह घऱ में राज करती हो. वह माता-पिता की जरूरतों का ध्यान देता है. वह बच्चों की स्कूल की फीस भरता है. तुम बस सबका ख्याल ही तो रखती हो. उसने ही यह मकान खरीदा है तुमने तो सिर्फ इस घर को संभाला है. वह पैसा कमाता है तुम्हारे रसोई में रहने भर से घरावलों को खाना नहीं मिल जाता है. वह मेहनत करता है तुम दिन भर आराम फऱमाती है. तुम उसे नहीं समझोगी तो कौन समझेगा?

House wife, Wife, Husband, Love, Marriage, Attraction, House, Home, Romance, Love, Relationship, Women Empowerment, Women, Women rights, Men, Kitchen, Food, Coocking, Children, Fther in Law, Mother In Law, Mother, Domestic Violenceतुम उसकी पत्नी हो वह तुम पर गुस्सा नहीं करेगा तो किस पर करेगा?

वह पुरुष है, उसका दिमाग खऱाब हो सकता है. वह तुम पर चिल्ला सकता है. तुम उसकी पत्नी हो वह तुम पर गुस्सा नहीं करेगा तो किस पर करेगा? तुम्हें उसे माफ करने की आदत डालनी होगी. घऱ में शांति बनाना तुम्हारा फर्ज है, तुम ना नुकूर करोगी तो बात तो बिगड़ेगी ही. वह गुस्सा करे तो तुम चुप हो जाया करो. अपनी मीठी बातों से उसे हंसाया करो. तुम फिल्में नहीं देखती, जिसमें हिरोइन कैसे हीरो को रिझाती है. कम से कम सीरियल में ही देख लिया करो. कभी सरप्राइज प्लान, कभी फेवरेट खाना...अरे कुछ तो किया करो.

सुना है दिल का रास्ते पुरुष के पेट से होकर जाता है, तो तुम उसके लिए उसकी पसंद की खीर क्यों नहीं बनाती? तुम उसे आलू के पराठे क्यों नहीं खिलाती? ये क्या तुमने अपना हाल बना रखा है? काम का बहाना बना रखा है? तुमने अपने बालों को जूड़े में क्यों समेट रखा है? तुम्हारी साड़ी स्त्री क्यों नहीं है? तुम सुहागन हो ऐसा लगता क्यों नहीं है? तुम ऐसे रहोगी तो उसका ध्यान तुम्हारे पर कैसे जाएगा? तुम्हें उसे अपने पल्लू से बांधकर रखना है. इसलिए तुम्हें सजना-संवरना है.

कहीं उसका ध्यान भटक गया तो? अगर वह पराई स्त्री के वश में हो गया तो गलती तुम्हारी होगी. तुम्हें उसे संभालना ना आया. अपना रिश्ता बचाने ना आय़ा. तुमने ही उसे ऐसा करने पर मजबूर किया. कैसा स्त्री हो अपनी गृहस्थी नहीं बचा पाई?

वह औऱ प्रेम होगा जहां यह सब करने की जरूरत नहीं होती. जहां एक-दूसरे के रंग-रूप से फर्क नहीं पड़ता. यौवन 4 दिन का खेल है आत्मा जन्मों का मेल है. ये सारी कहानियां किताबों औऱ फिल्मो में होता है.

असल जीवन में पत्नी का फर्ज पति को रिझाना होता है. वह रूठे तो उसे मनाना होता है. उस पर न्यौछावर हो जाना पड़ता है. यह उसका अधिकार है. इतना करने के बाद भी अगर वह बहक जाए तो उसे माफ करना पत्नी का फर्ज है. अपनी दुनिया बचाना पत्नी का धर्म है. वह पुरुष जो ठहरा....तुम स्त्री हो, कर ही क्या सकती हो?

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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