New

होम -> समाज

 |  बात की बात...  |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 20 नवम्बर, 2017 03:57 PM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
  • Total Shares

दिल्ली की 123 प्राइम प्रॉपर्टी यूपीए सरकार ने जाते-जाते वक्फ बोर्ड को दे दी. अब मोदी सरकार इसकी छानबीन करवा रही है. क्योंकि जमीन वक्फ के नाम हुई नहीं कि उसकी हेराफेरी शुरू हो जाती है. आइए समझते हैं वक्फ और उसके घपलों को-

वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है वह प्रॉपर्टी जो अल्लाह के नाम पर दान की गई है. ताकि उसका इस्तेमाल गरीबों की भलाई के लिए हो सके. भारत में वक्फ संस्थाओं का वजूद 800 साल से है. शुरुआत हुई मुस्लिम बादशाहों द्वारा दान की गई जमीनों की देखभाल करने से. देश में अब वक्फ बोर्ड के नाम करीब तीन लाख रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी हैं. चार लाख एकड़ के करीब तो जमीन ही है. रेलवे और डिफेंस के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ के पास है. लेकिन ज्यादातर प्रॉपर्टी विवादों में घिरी हुई हैं.

गड़बड़ियों का बोर्ड

- देशभर में वक्फ बोर्ड के घपले लगभग एक जैसे हैं. बिल्डर या बिजनेसमैन वक्फ की जमीन की पहचान कर बोर्ड मेंबरों से संपर्क करते हैं. औने-पौने दाम पर जमीन बेच दी जाती है और सदस्यों को उनका हिस्सा मिल जाता है.

- जिन राज्यों में वक्फ की जमीन आसानी से नहीं बिक पाती है, वहां बेहद आसान लीज पर इन्हें बिल्डरों या कारोबारियों को सौंप दिया जाता है. यहां भी बोर्ड के सदस्यों को उनका हिस्सा मिल जाता है, क्योंकि वे लीज के नियम कुछ इस तरह बना देते हैं ताकि प्रॉपर्टी का आसानी से कमर्शियल उपयोग हो सके.

- देश में कई इमारतें, होटल, मॉल और फैक्टरियां वक्फ की जमीनों पर खड़ी हैं. या तो बेहद कम कीमत पर ये जमीनें बेच दी गईं या फिर बहुत कम किराए पर मुहैया करा दी गईं.

- उम्मीद तो यह की जाती है कि वक्फ मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए पैसों का इंतजाम करेगा. लेकिन देशभर के वक्फ बोर्ड में अनियमितता और भ्रष्टाचार की भरमार रही है. इस संस्था में जवाबदेही न के बराबर है.

wakf boardघोटालों का पिटारा है वक्फ बोर्ड

नेताओं से गठजोड़

- देश में फिलहाल 30 वक्फ बोर्ड हैं. किसी भी वक्फ बोर्ड में कम से कम 5 सदस्य होने चाहिए. इन सभी सदस्यों को राज्य सरकारें नोमिनेट करती हैं. यानी वे ही इस बोर्ड में शामिल होते हैं, जिन्हें उस राज्य की सरकार चाहती है.

- इन बोर्ड में वही नेता सदस्य बन पाते हैं, जिन्हें सरकार में जगह नहीं मिल पाई होती है.

- ऐसे में गरीब मुस्लिम समुदाय के लिए कुछ खास करने के बजाए, इनकी नजर हमेशा भू-माफिया या अतिक्रमण करने वालों से सांठगांठ करने पर रहती है.

- 1995 वक्फ एक्ट के अनुसार सभी बोर्ड का नियमित ऑडिट सर्वे होना चाहिए. लेकिन कई सरकारों ने जानबूझकर ऐसा नहीं कराया.

इस्लाम खतरे में है...

- जब भी कभी वक्फ बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच को लेकर बात आती है तो बोर्ड सदस्य अकसर ये जुमला दोहरा देते हैं- 'इस्लाम खतरे में है'. ऐसा कहकर वे खुद को बचा रहे होते हैं.

- भारतीय पुरातत्व सर्वे द्वारा जिन मकबरों और मजारों की देखरेख की जा रही है, उन्हें लेकर वक्फ का अपना दावा रहा है. लेकिन इन धार्मिक दावों के पीछे लड़ाई पैसों की ही है.

अतिक्रमण को बढ़ावा...

- बोर्ड खुद ही कई स्मारकों का अतिक्रमण करवाता है. पहले मुस्लिमों से कहा जाता है कि वे नमाज पढ़ें. फिर इसे इबादत की जगह घोषित कराकर आसपास बस्तियां बनवा दी जाती हैं. इन अवैध बस्तियों के पास की जमीन को बेचना या लीज पर देना आसान हो जाता है.

इन सब गड़बडि़यों का ही नतीजा है कि आज देश में वक्फ की 70 फीसदी प्रॉपर्टी अतिक्रमण का शिकार है. ये सब या तो वक्फ बोर्ड मेंबरों की मेहरबानी से है या फिर सरकारी महकमों की अनदेखी से.

ये भी पढ़ें-

लगे हाथ 2019 के लिए भी वोट मांग ले रहे हैं योगी आदित्यनाथ

कोर्ट के बाहर बाबरी मस्जिद मामले को निपटाना भाजपा की साजिश है!

राम मंदिर को लेकर श्रीश्री की फालतू कवायद और बीजेपी का फायदा !

#वक्फ, #मुस्लिम, #अतिक्रमण, वक्फ, मुस्लिम, अतिक्रमण

लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय