New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 15 नवम्बर, 2017 04:56 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर अयोध्या मसले पर मध्यस्थता की पहल कर रहे हैं. ये पहल ऐसे वक्त पर हुई है जब यूपी में नगर निकायों के लिए चुनाव हो रहे हैं. लोगों से मिलते जुलते श्री श्री रविशंकर अयोध्या पहुंच रहे हैं - और वहीं से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने चुनावी मुहिम की शुरुआत की है. योगी ने दिवाली पर भी अयोध्या में भव्य आयोजन करवाया था.

योगी आदित्यनाथ का कहना है कि वो अयोध्या का गौरव वापस दिलाकर रहेंगे, जिसे गैर-बीजेपी सरकारों ने खत्म कर दिया. श्री श्री रविशंकर इसलिए पहल कर रहे हैं ताकि आपसी बातचीत से कोई नतीजा निकले और अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सके. लेकिन श्री श्री की ये मुहिम शुरुआती दौर में ही विवादों का शिकार हो गयी है.

श्री श्री और योगी की मुलाकात

लखनऊ में योगी आदित्यनाथ से पहले श्री श्री रविशंकर को दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलना था, लेकिन आखिरी वक्त में ये मीटिंग कैंसल हो गयी. राजनाथ सिंह से श्री श्री के साथ अजमेर शरीफ के धार्मिक प्रमुख भी मिलने वाले थे. श्री श्री तो लखनऊ निकल गये लेकिन अजमेर शरीफ के कुछ लोगों ने मुलाकात की. बाद में मालूम हुआ कि जिसे अजमेर शरीफ का प्रमुख बताया गया वो कोई और ही था. ये बात अजमेर शरीफ के प्रमुख के खंडन के बाद सामने आयी.

yogi adityanath, sri sri ravishankarबस अयोध्या की खातिर...

लखनऊ में श्री श्री रविशंकर ने योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात की. योगी तो अयोध्या में ही श्री श्री के प्रयासों की सराहना कर चुके थे. ये तो कांग्रेस ने जब श्री श्री को बीजेपी सरकार का एजेंट करार दिया तो सरकार को भी सफाई देनी पड़ी. सफाई देते हुए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि बातचीत में सरकार की कोई भूमिका नहीं है.

वैसे योगी आदित्यनाथ से मिलने से पहले श्री श्री रविशंकर की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुखी, हिंदू महासभा के चक्रपाणि, गरीब नवाज फाउंडेशन के मोहम्मद अंसार रजा, निर्मोही अखाड़े के नरेंद्र गिरि सहित कई लोगों से मुलाकात कर चुके हैं.

अयोध्या विवाद में तीन पक्षकार हैं - निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड. निर्मोही अखाड़ा का दावा है कि चूंकि वो शुरू से पूजा करता आ रहा है इसलिए वो जगह उसे सौंपी जानी चाहिये. रामलला विराजमान की उस जगह पर दावेदारी है जहां रामलला विराजमान हैं. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड वहां बाबरी मस्जिद होने के चलते जगह उन्हें सौंपने की बात कहता है.

अयोध्या के रास्ते में और वहां पहुंच कर श्री श्री रविशंकर इस मसले से जुड़े सभी पक्षों से मिलने वाले हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ को छोड़ कर अब किसी ने कोई उम्मीद नहीं जताई है. विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने तो पहले ही श्री श्री रविशंकर को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि बातचीत से यह समस्या हल हो ही नहीं सकता.

अयोध्या और चुनाव

चुनाव अभियान शुरू करने अयोध्या पहुंचे योगी आदित्यनाथ के साथ राज्य बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय भी रहे. नगर निकाय चुनाव दोनों ही नेताओं के लिए अग्नि परीक्षा की तरह हैं और इसीलिए दोनों चुनाव जीतने की जीतोड़ कोशिश में जुटे हैं.

बीजेपी अध्यक्ष ने इसे अपने तरीके से समझाया - 'उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही हमारे दो आस्था केंद्रों अयोध्या और मथुरा में नगर निगम की स्थापना की. देश को राष्ट्रीय विचारों का संदेश देने का केंद्र अयोध्या है, इसलिए हमने पहली सभा अयोध्या में चुनी.'

योगी आदित्यनाथ ने भी बताया कि अयोध्या में पहली बार नगर निगम का चुनाव होने के चलते उनकी पहली सभा अयोध्या में हुई. मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी कई बार अयोध्या का दौरा कर चुके थे, लेकिन तस्वीर तब साफ हुई जब अयोध्या में दिवाली मनायी गयी.

योगी के अयोध्या से लौटते ही उसी मसले पर बात करने श्री श्री रविशंकर उनसे मिलने पहुंचते हैं - तब जाकर अयोध्या निकलते हैं. श्री श्री की टीम ने पहले ही पहुंच कर मोर्चा संभाल लिया है. कब और किससे मुलाकात करनी है सब कुछ तय हो चुका है.

योगी आदित्यनाथ और श्री श्री की मुलाकात को लेकर यूपी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है, 'यूपी के सीएम भी संत हैं - और एक संत दूसरे संत से मिल रहा है तो कुछ लोग आपत्ति क्‍यों कर रहे हैं? मंदिर वहीं है और वहीं रहेगा... दो ही रास्‍ते हैं एक है कोर्ट और एक आम स‍हमति का.' वैसे श्री श्री रविशंकर के अलावा भी कई लोग अयोध्या मसले पर आम सहमति की कोशिश कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सहमति के ड्राफ्ट पर दस्तखत के बाद उनकी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने की तैयारी भी है.

खास बात तो ये है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर आखिरी दौर की सुनवाई पांच दिसंबर से शुरू होने जा रही है - और उससे पहले एक दिसंबर को यूपी के निकाय चुनावों के नतीजे आ जाएंगे. तब तक श्री श्री अयोध्या पर बीजेपी के लिए खिचड़ी पका रहे हैं, शायद वैसे ही जैसे कश्मीर में अमन की पहल कर रहे थे और उस वक्त भी सरकार ने पल्ला झाड़ लिया था.

इन्हें भी पढ़ें :

जब सारे हथियार फेल हो जाते हैं तो हिंदुत्‍व पर लौट आते हैं योगी !

योगी आदित्यनाथ का दीपावली दीपोत्सव कार्यक्रम, बदलेगा अयोध्या की तस्वीर

यूपी निकाय चुनाव : योगी की अग्निपरीक्षा और बीजेपी के 2019 के एजेंडे की प्रयोगशाला

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय