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Updated: 28 जुलाई, 2020 02:51 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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विकास दुबे प्रकरण (Vikas Dubey Encounter) में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं. विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुयी जहां एक कमेटी बना कर पूरे मामले पर जांच बैठा दी गई है. कमेटी को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करनी है. यह कमेटी सिर्फ विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच ही नहीं बल्कि 2 जुलाई की रात को हुयी मुठभेड़ की भी जांच करेगी और साथ ही विकास दुबे के पहले के अपराध और जेल से लेकर जमानत तक की पूरी प्रक्रिया पर भी जांच करेगी. विकास दुबे एक कुख्यात अपराधी था. लेकिन पुलिस वालों से उसके संबंध भी किसी से छिपे नहीं थे. यह साबित भी हो चुका है कि पुलिस में कई लोग विकास दुबे को पल पल की खबरें दिया करते थे. विकास दुबे का एनकाउंटर हो चुका है. एनकाउंटर के तरीके और कहानी ने एनकाउंटर में शक पैदा कर दिया है इसलिए यह पूरा मामला अब कोर्ट तक पहुंच गया है.

Vikas Dubey Encounter, Friend, UP Police, Friend माना जा रहा है कि विकास दुबे की हत्या के पीछे की एक बहुत बड़ी वजह उसका दोस्त जय है

कोर्ट ने तमाम पहलुओं पर जांच बैठा दी है. लेकिन इस बीच एक और बहुत बड़ा खुलासा हो गया है. एक अखबार ने प्रमुखता से इस खबर को छापा है कि विकास दुबे के एनकाउंटर की कहानी बहुत पहले लिख दी गई थी. 2 जुलाई की रात को ही विकास दुबे को मारने की साजिश रच दी गई थी. अखबार ने दावा किया कि पुलिस जिस एफआईआर को संज्ञान में लेते हुए विकास दुबे के दबिश के लिए गई थी वह एफआईआर 2 जुलाई की रात 11 बजकर 52 मिनट पर दर्ज की गई थी.

इसके बाद आला धिकारियों से दबिश की इजाजत ली गई और तीन थानों की टीम को एकत्र किया गया. तीन थानों की हथियार सहित बुलाया गया और पुलिस के मुताबिक तीनों थानों की टीम 12 बजकर 30 मिनट पर विकास दुबे के गांव पहुंच गई और वहां मुठभेड़ शुरू हो गई.यानी एफआईआर दर्ज होने के आधे घंटे के भीतर ही पुलिस का पूरी फोर्स एकत्र भी हो गई और घटनास्थल तक पहुंच भी गई.

वहां विकास दुबे के शूटर भी पहले से मौजूद थे. पुलिस ने इस मुठभेड़ में जो रिपोर्ट दर्ज की है उसके अनुसार 21 नामजद आरोपी थे जबकि 60 अज्ञात लोग इस मुठभेड़ में शामिल थे. यानी करीब 80 लोग विकास दुबे के घर पर पहले से एकत्र थे और सभी हथियारों से लैस थे. 11 बजकर 52 मिनट पर एफआईआर का दर्ज होना और फिर 30-35 मिनट में पुलिस का दबिश के लिए पहुंच जाना और इसी दौरान विकास दुबे का घर में 80 लोगों को एकत्र कर लेना.

कई सवाल खड़े करता है. सबसे खास बात यह है कि विकास दुबे का खासमखास दरोगा विनय तिवारी ही यह एफआईआर दर्ज करता है और वही तीन थानों की पुलिस को फोन कर बुलाता है और वही अपराधी विकास दुबे को भी सूचना देता है. यह तमाम कहानी एक आखिरी मोड़ जहां खत्म होती है वह है विकास दुबे का साथी जय वाजपेयी. नया खुलासा यही है कि जय वाजपेयी ने अपना शातिर खेल खेला.

जय ने ही वह एफआईआर दर्ज करवाई राहुल नाम के व्यक्ति से. राहुल ने विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर लिखवाई थी. जय ने ही बड़े अफसरों पर दबाव बनवाया था कि पुलिस विकास दुबे के खिलाफ कार्यवाई करे. जय ने पुलिस के ज़रिए विकास दुबे को आज के दबिश के बारे में जानकारी दिलवाई और दूसरी तरफ जय ने ही विकास दुबे को उकसाया कि वह पुलिस वालों का सामना करे.

उसने विकास दुबे को हथियार भी मुहैया कराया. जय को मालूम था कि पुलिस की कार्रवाई में विकास दुबे लोहा लेते हुए या तो मारा जाएगा या फिर जेल की सलाखों तक पहुंच जाएगा. जय की नियत विकास दुबे के जायदाद पर थी. जय विकास दुबे की कई संपत्तियों को हड़पना चाहता था और उसने ही यह पूरा मास्टरप्लान तैयार करा डाला.

सुप्रीम कोर्ट की जांच में इस बात की सच्चाई से भी सब कुछ साफ हो जाएगा लेकिन फिलहाल जो खुलासे हो रहे हैं उसकी गाज कई अन्य पुलिस वालों पर गिरना तय है. पुलिस के अंदरखाने में जो कुछ भी हुआ वह एक एक कर सामने आता जाएगा. कमेटी को दो महीने का वक्त मिला है इस दौरान कई नयी जानकारियां भी सामने आती रहेंगीं. फिलहाल जय वाजपेयी की भूमिका संदिग्ध है. और साथ ही इंतजार है कि इस घटना में अभी और कितने नाम सामने आते हैं.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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