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Updated: 15 मार्च, 2020 02:41 PM
अनु रॉय
अनु रॉय
  @anu.roy.31
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एक उम्र होती है जिसमें हर किसी के पास अपना एक सुपर हीरो होता है. वो उम्र ऐसी होती है जिसमें आप सच में मान लेते हैं कि आपका सुपर हीरो सच में हीरो है, जो इस दुनिया पर हमला कर रहे दुश्मनों से अकेला लड़ कर इस दुनिया को बचा लेगा. उस हीरो के होने से आप सुरक्षित महसूस करते हैं. अमेरिका (America) के बच्चों के पास सुपर मैन (Suparman), आइरन मैन (Ironman) और हल्क (Hulk) जैसे अनेक हीरो थे लेकिन मेरे लिए और मेरे जैसे कई भारतीय बच्चों का तब एक ही सुपर हीरो था,‘कैप्टन व्योम’ (Captain Vyom). एक ऐसा हीरो जो आसमान में जा कर आसमानी दुश्मनों का सफ़ाया करता था. इस किरदार को निभाया था मिलिंद सोमन (Milins Soman) ने. वही मिलिंद सोमन जिन्हें लोग इंडियन ब्रैड पिट (Brad Pitt) भी कहते हैं. जो कभी सुर्खियां अपनी तैराकी के लिए बटोर लेते हैं तो कभी बर्फ़ में जा कर दौड़ने के लिए. पचास की उम्र में तीस की उम्र के नौजवानों को फ़िट्नेस में पीछे छोड़ देने वाले मिलिंद इन दिनों फिर खबरों में हैं मगर कारण फ़िट्नेस या मैराथन नहीं है. वो ट्रेंड  इसलिए हो रहें हैं क्योंकि उन्होंने रूपा पाई के साथ मिल कर एक किताब लिखी है. ये किताब मिलिंद की ज़िंदगी से जुड़ी है. जिसका नाम है ‘मेड इन इंडिया' (Made In India). अपनी किताब में मिलिंद ने बड़ी बेबाक़ी से अपनी ज़िंदगी के हर पहलू को लोगों के सामने रखा है.

Milind Soman, RSS, Troll, Twitter, Celebrity सिर्फ इसलिए कि मिलिंद सोमन अपने बचपन में आरएसएस की शाखा जाते थे उन्हें आज ट्रोल्स की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है

मगर किताब में लिखी अन्य बातों के मुक़ाबले किताब का वो हिस्सा सुर्खियां बटोर रहा जिसमें मिलिंद ने खुद के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस से जुड़े होने की कहानी लिखी है. अब जब लोगों को पता चल गया है कि, मिलिंद दस साल की उम्र में शाखा से जुड़े. वहां से उन्होंने जीवन में अनुशासन और कसरत की वैल्यू को समझा और जाना तो मिलिंद अब न तो हॉट ही रहें और न ही समझदार. सोशल मीडिया पर पढ़े-लिखे लोग उन्हें पढ़ा-लिखा गंवार कह रहें हैं. उन्हें ट्रोल करते हुए वीडीयो पोस्ट कर रहे हैं.

मिलिंद सोमन किताब में लिखते हैं कि. 'जब भी RSS को प्रोपगेंडा फैलाने वाला बताया जाता तो दुःख होता है उन्हें. उन्होंने नज़दीक से कई सालों तक RSS से जुड़े लोगों को देखा है. वो वैसे नहीं हैं जैसा मीडिया दिखाती है. RSS और शाखा जीवन में अनुशासन से रहना सीखाते हैं. RSS से जुड़ने के बाद वो शिवाजी पार्क के लोकल शाखा में अपने पिता जी के साथ हर शाम को जाया करते थे. पहले पहल तो उन्हें शाखा जाना बिलकुल पसंद नहीं था. वो कहीं छुप जाया करते थे. लेकिन धीरे-धीरे उनकी दिलचस्पी बढ़ने लगी.

वो हर शाम शिवाजी पार्क में बाक़ी के सदस्यों की तरह वहां जा कर देशी व्यायाम और मंत्रोचारण सीखने लगे. सप्ताह अंत पर हम सब साथ मिल कर ट्रेकिंग पर जाते. शाखा हमें देश का सभ्य नागरिक कैसा हो इसके लिए ट्रेन कर रहा था. हम बड़ों की इज़्ज़त करें, वक्त आने पर देश के लिए खड़े हों ऐसी बातें अक्सर व्यायाम के बाद हमारे गुरु हमें बताते. मेरे पिता को अपने हिंदू होने और शाखा से जुड़े होने पर गर्व था. मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता मगर इसमें कोई बुराई भी तो नहीं है.'

किताब का यही हिस्सा अब बहस का सबब बन गया है. मिलिंद सोमन को जब इसके लिए ट्रेंडिंग होने की बात का पता चला तो उन्होंने बड़े मस्ती भरे अन्दाज़ में एक ट्वीट किया.

ख़ैर, हमारे लिए तो मिलिंद सोमन कल भी हॉट थे आज भी हॉट हैं. लोग इस बात को हज़म कर ही नहीं पा रहें कि RSS और शाखा से जुड़ा कोई शख़्स इस क़दर फ़िट और हॉट होगा. उनके मन में तो वही हाफ़ ख़ाकी पैंट बैठी हुई है जिसका जब तब वो मज़ाक़ उड़ाते रहते हैं और मिलिंद उसी इमेज को तोड़ने का काम कर रहें हैं. वो सच में मेड इन इंडिया हैं और लड़कियों के लिए प्यारा सोणियां.

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लेखक

अनु रॉय अनु रॉय @anu.roy.31

लेखक स्वतंत्र टिप्‍पणीकार हैं, और महिला-बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं.

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