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Updated: 25 दिसम्बर, 2015 11:11 AM
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अरविंद केजरीवाल की सरकार आनन-फानन में ऑड-ईवन फॉर्मूले को ले भी आई. लेकिन इसे लागू करने से पहले हुए तमाम किंतु-परंतु ने कहीं इसे फेल तो नहीं कर दिया है? केजरीवाल ने दिल्ली में 1 से 15 जवनरी तक लागू किए जाने वाले ऑड-ईवन फॉर्मूले का ब्लूप्रिंट सामने रखा है.

दिल्ली सरकार के मुताबिक कुछ VVIPs, जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस आदि पर ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू नहीं होगा. केजरीवाल ने हालांकि खुद को और अपने मंत्रियों को VVIPs की उस सूची से बाहर रखा है. CNG गाड़ियों पर ऑड-इवेन फॉर्मूला लागू नहीं होंगा. साथ ही महिलाएं भी इस नियम में नहीं बंधी होंगी.

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केंद्र और दिल्ली सरकार को साथ आना होगा

ऑड-ईवन फॉर्मूले में खामियां होंगी. यह व्यवहारिक है या नहीं, इस पर भी बहस भी चलती रहेगी है. लेकिन ध्यान तो इस पर भी जाना चाहिए कि प्रदूषण को कम करने के लिए हमारे पास तत्काल क्या उपाए हैं. शायद कुछ भी नहीं. इसलिए आलोचना, राजनीति और पॉपूलिस्ट पॉलिसी से आगे जाने की बात करनी होगी. प्रदूषण के मसले पर क्यों केंद्र और दिल्ली सरकार साथ नहीं आ सकते.

वैसे भी, दिल्ली पुलिस की मदद के बिना केजरीवाल ऑड-ईवन फॉर्मूले को कारगर तरीके से लागू कराने के बारे में सोच भी नहीं सकते. और क्या अब समय नहीं आ गया है कि तमाम बहसों को पीछे छोड़ इसे सख्ती से लागू करने की बात की जाए. और इस मामले में सख्ती को लेकर दिल्ली को अगर बीजिंग बनने की भी जरूरत पड़ी तो क्या गलत है. लेकिन सख्ती के लिए सरकार को आखिरकार दिल्ली पुलिस के साथ ही मिलकर काम करना होगा, जिसकी केजरीवाल और उनकी पार्टी से कड़वाहट जगजाहिर है. पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी पहले ही कह चुके हैं कि सरकार को दिल्ली पुलिस से बात करने के बाद इस फॉर्मूले की घोषणा करनी चाहिए थी.

जब सम-विषम फॉर्मूले को लागू करने की बात हो रही थी तो ये उम्मीद थी कि इससे दिल्ली की सड़कों पर प्रतिदिन प्राइवेट गाड़ियां की संख्या करीब 10 लाख तक घट जाएगी. लेकिन इसकी सफलता को लेकर अब भी संदेह है.

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बीजिंग और दिल्ली?

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 चीन समेत दुनिया के कई दूसरे देशों में पहले से ऑड-ईवन फॉर्मूले का इस्तेमाल होता रहा है. और यह भी सच है कि ज्यदातर जगहों पर यह फॉर्मूला फेल ही रहा. लेकिन क्या कारण है कि चीन ओलंपिक जैसे बड़े खेल आयोजन से पहले ऐसी योजना ले आता है और प्रदूषण का स्तर कम करने में कामयाब भी होता है. बीजिंग में समस्या दिल्ली जैसी ही है. और इसलिए वहां तो अब भी ऑड-ईवन फॉर्मूले से मिलता-जुलता एक सिस्टम है जिसके अनुसार आपको हफ्ते में एक दिन अपनी कार निकालने पर मनाही होती है.

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बेशक, इन सबके बावजूद बीजिंग में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना रहता है. लेकिन यह भी सच है कि बीजिंग जरूरत पड़ने पर इससे तत्काल निपटने के रास्ते भी खोज लेता है. दिल्ली के लिए यह दूर की कौड़ी है.

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