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Updated: 03 सितम्बर, 2020 01:45 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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धार्मिक दृष्टि से हमारा पड़ोसी मुल्क चीन (China) एक कम्युनिस्ट देश (Communist Country) है. यानी चीन में ज्यादा धार्मिक होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. शायद आप ये जानकर हैरत में पड़ जाएं कि वर्तमान में चीन के कई प्रांत ऐसे हैं जहां सरकार या ये कहें कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग (XI Jinping) के द्वारा किसी भी तरह के पूजा पाठ की सख्ती से मनाही है. वो चीन जो नहीं चाहता कि उसके अपने लोग पूजा पाठ करें क्या अपने देश में रह रहे दूसरे धर्मों के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Freedom) की इजाजत देता है? जवाब है नहीं. अपनी दमनकारी नीति से उइगुर मुसलमानों (Uighurs Muslim) की जिंदगी हराम करने वाले चीन को देखकर लगता होगा कि वो केवल मुसलमानों के लिए सख्त है. जबकि ऐसा नहीं है. चीन, ईसाइयों के साथ उइगुर मुसलमानों से भी बदतर व्यवहार कर रहा है. खबर है कि अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) ने आदेश पारित किया है ईसाई धर्म (Christianity) अपनाने वाले लोग अपने घरों से जीसस (Jesus Christ) की तस्वीर और क्रास को हटाकर राष्ट्रपति जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग की फोटो लगाएं.

China, Muslim, Christian, Religion, Jesus Christ, Churchउइगर मुसलमानों के बाद अब चीन में जो ईसाइयों के साथ हो रहा है वो विचलित करने वाला है

खबर खुद रेडियो फ्री एशिया के हवाले से है. चीन से जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं यदि उनपर विश्वास करें तो शी हुकूमत ने हुबेई, जियांग्सु, झेजियांग, अन्शुई समेत कई प्रान्तों में मौजूद हजारों चर्चों से जीजस की तस्वीरें और क्रास को हटवा दिया है. इसके अलावा ये भी खबरें आ रही हैं कि चीन के इस तुगलकी फरमान के बाद कई चर्चों में तोड़फोड़ की गई है.

बताते चलें कि वर्तमान में चीन में ईसाइयों की आबादी लगभग 7 करोड़ है. गौरतलब है कि उइगुर मुसलमानों को लेकर चीन पर पहले ही तमाम तरह के गंभीर आरोप लग चुके हैं. कहा जा रहा है कि चीन की सरकार लगातार उइगुर मुसलमानों के मूलभूत मानवाधिकारों का हनन कर रही है और तमाम तरह की प्रताड़नाओं के बाद उन्हें डिटेंशन सेंटर्स में डाल रही है.

वहीं चीन पर ये भी आरोप लगे हैं कि उसने लाखों उइगुर मुसलमानों की हत्या करके उनके शवों को गायब करवा दिया है. ऐसे में अब जबकि हम ईसाई समुदाय के साथ चीनी हुकूमत द्वारा की जा रही यातनाओं को देख रहे हैं और उसका अवलोकन कर रहे हैं तो ये बात खुद ब खुद साफ हो जाती है कि धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चीन के हालात बदतर हैं और स्थिति तब कहीं ज्यादा गंभीर है जब मुद्दा मुसलमानों और अब ईसाइयों से जुड़ा हो.

बताते चलें कि ये जो कुछ भी हम आज चीन में देख रहे हैं ये कोई एक दिन में नहीं हुआ है. शी और उनकी हुकूमत ने इस दिशा में काम किया. आलोचना का आंखें दिखाते हुए दमन किया फिर अपने प्लान को अमली जामा पहनाया.

एक ऐसे वक्त में जब कोरोना के चलते चीन यूं ही दुनिया भर की लानत महामत झेल रहा हो और पूर्व में यूं ही अपने मुस्लिम बाहुल्य इलाके शिनजियांग से उइगर मुस्लिमों और इस्लाम दोनों ही जड़ें उखाड़ चुका हो देखना दिलचस्प रहेगा कि अमेरिका, यूके जैसे मुल्क चीन की इस हरकत पर क्या रुख अख्तियार करते हैं.

कुल मिलाकर एक ऐसे समय में जब अपने को सुपर पावर घोषित करने की होड़ लगी हो देखते हैं कि दुनिया को वो मुल्क जो अपने को बाहुबली समझते हैं इस मामले में क्या रुख अख्तियार करते हैं.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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