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Updated: 01 फरवरी, 2020 09:29 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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प्रोटेस्ट (Protest) के तमाम तरीके आपने देखे होंगे. कोई सड़कों पर रैलियां निकालता है, कोई गेट पर चटाई डालकर वहीं बैठ जाता है. दिल्ली के जंतर-मंतर में तो आपने ऐसे भी प्रोटेस्ट देखे होंगे, जिसमें लोग गले में सांप लेकर निकले थे. बहुत से लोग अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करते हैं. पिछले कुछ दिनों से नागरिकता कानून को लेकर भी जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में भी नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है, जहां महिलाओं ने हाथों पर मोमबत्ती का गर्म मोम गिराकर भी प्रदर्शन किया था. अब एक नए तरीके का प्रोटेस्ट सामने आ रहा है. बंदूक के दम पर होने वाला प्रोटेस्ट, गोली चलाकर. पहले शाहीन बाग में मोहम्मद लुकमान (Mohammed Lukman) ने पिस्तौल लहराई, फिर जामिया (Jamia Firing) में रामभक्त गोपाल (Rambhakt Gopal) ने एक शख्स पर गोली चला दी और अब फिर से शाहीन बाग में कपिल गुर्जर (Kapil Gurjar) नाम के एक शख्स ने हवाई फायरिंग की है. तीनों ही नागरिकता कानून के खिलाफ एक तरह का प्रोटेस्ट करते नजर आ रहे थे.

CAA protest Kapil Gurjar opened fire at Shaheen Baghकपिल गुर्जर नाम के शख्स ने शाहीन बाग में हवाई फायरिंग की है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

तीनों का मकसद भी समझिए

- कपिल गुर्जर, ये नाम है उस शख्स का, जिसने आज शाहीन बाग में 2 गोलियां चलाई हैं. हालांकि, उसकी गोली से घायल कोई नहीं हुआ है, क्योंकि ये हवाई फायर थे. हालांकि, उसकी फायरिंग के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई. कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि उसने हवाई फायर नहीं, बल्कि निशाना लगाकर गोली चलाई थी, जबकि पुलिस का दावा है कि वह हवाई फायर था. ये शख्स दिल्ली के ही दल्लूपुरा गांव का रहने वाला है. गिरफ्तार होने के बाद उसने कैमरे पर कहा- हमारे देश में किसी और की नहीं चलेगी, सिर्फ हिंदुओं की चलेगी. कपिल गुर्जर की बातें साफ करती हैं कि उसके मन में मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत भरी है. उसने बताया कि वह शाहीन बाग में कई दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन से नाराज था. बता दें कि उसने फायरिंग करने के लिए देसी कट्टे का इस्तेमाल किया.

- इससे पहले रामभक्त गोपाल ने जामिया में फायरिंग की थी, जिसमें एक छात्र जख्मी हो गया. गोपाल ने फायरिंग करते हुए कहा- आओ, ले लो आजादी. इसी के साथ उसने फायरिंग कर दी. गोली चलाने के तुरंत बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया. बता दें कि गोपाल ने गोली चलाने से कुछ समय पहले फेसबुक लाइव किया था. उसने अपने फेसबुक पेज पर कई पोस्ट की थीं, जिनमें उसने लिखा था कि आज वह शाहीन बाग को आजादी देने जा रहा है. उसके दिल में तो मौत का भी डर शायद नहीं था, तभी तो उसने लिखा था कि 'मेरी अंतिम यात्रा पर. मुझे भगवा में ले जाएं और जय श्री राम के नारे हों.' गोपाल की हरकत से एक बात साफ हुई कि उसका गुस्सा शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ था, जिन्हें वह देश का गद्दार मानता था. तभी उसने कहा है कि आजादी ले लो. बता दें कि जेएनयू में आजादी और देश विरोधी नारे लगे थे, जिसमें कथित रूप से कन्हैया कुमार के होने की बात सामने आई थी. नारेबाजी करने वालों में अधिकतर मुस्लिम थे.

- मोहम्मद लुकमान शाहीन बाग में पिस्तौल लेकर पहुंचा था. अपनी पिस्तौल लहराकर उसने धमकाया कि ये धरना बंद कर दो. मौके पर मौजूद लोगों ने उसे धरदबोचा और पीट-पाटकर पुलिस के हवाले कर दिया. लुकमान ने पुलिस हिरासत में आने के बाद कहानी घुमा दी कि वह गलती से अपनी लायसेंसी बंदूक शाहीन बाग धरनास्थल पर ले गया था. उससे गलती हो गई है. उसने ये भी कहा- 'मुझे लगा था कि मेरी बात लोग मान लेंगे और रास्ता खुल जाएगा तो सबका भला होगा.'

क्या कह रहे हैं कपिल के पिता?

जब मीडिया ने कपिल के घरवालों से बात की तो उसके पिता ने कहा- हमें लगा कि कपिल क्रिकेट खेलने जा रहा है. वह तो सीधा लड़का है. ये नहीं पता कि उसके पास हथियार कहां से आया. परिजन बता रहे हैं कि वह 12वीं पास है और शांत स्वभाव का है.

ये प्रदर्शन अब कट्टर हिंदू vs मुस्लिम हो चला है

बहस अपनी जगह है. लेकिन इन विरोध प्रदर्शनों में धार्मिक कट्टरता का रंग घुलता गया. मजहबी नारों ने वातावरण का जहरीला बनाया. एक ओर शरजील इमाम जैसे युवा मुसलमानों का आह्वान करके असम को देश से काट देने की बात कर रहे थे. तो दूसरी तरफ गोरखपुर के डॉ. कफील खान का एएमयू में दिया गया भाषण वायरल हो रहा था, जिसमें वे 25 करोड़ मुसलमानों को एक होने का कह रहे हैं और साथ ये भी कि फिर हम बताएंगे देश कैसे चलाना चाहिए. अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे कट्टरपंथी अपना अलग ही राग अलापते रहे.

नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर एक ओर मुस्लिम कट्टरपंथ को हवा दी गई, तो दूसरी तरफ इस हवा को थामने के बजाए और भड़काने का काम केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने किया. दिल्ली की एक चुनावी सभा में जब अनुराग ठाकुर भीड़ को उकसाते हैं कि 'देश के गद्दारों को...', तो भीड़ की तरफ से आवाज आती है 'गोली मारों सालों को'. अब देश इस पर बहस करता रहे कि मोहम्मद लुकमान से लेकर गोपाल और फिर कपिल गुर्जर तक क्या अनुराग ठाकुर के उकसावे पर पिस्तौल लेकर निकले थे? सबका जवाब यही मिलेगा कि नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर शुरू हुआ मामला अब मुस्लिम बनाम पुलिस/सरकार से निकलकर मुस्लिम बनाम हिंदू होता जा रहा है. और इस बात की गवाही सोशल मीडिया की हलचल दे रही हैं. ट्विटर और फेसबुक ही नहीं, टिकटॉक पर अनाप-शनप हैशटैग बन रहे हैं. गोपाल हीरो बन गया है. कपिल गुर्जर के सपोर्ट की अपील की जा रही है.

ये जहर फिलहाल तो कमजोर पड़ता नहीं दिखता.

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