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Updated: 01 फरवरी, 2020 11:36 AM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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भले ही बात गुरुवार को हुई जामिया फायरिंग (Jamia Firing) की हो या फिर 15 मार्च 2019 को न्यूजीलैंड की क्राइस्टचर्च (Christ Church) मस्जिद में हुई करीब 50 राउंड फायरिंग की हो, सबके लिए फेसबुक (Facebook) सबसे पहले जिम्मेदार है. दोनों ही मामलों में फेसबुक के निशां मिलते हैं. जामिया फायरिंग से पहले खुद को रामभक्त गोपाल (Rambhakt Gopal) कहने वाले आरोपी ने फेसबुक लाइव (Facebook Live) किया था और एक के बाद एक कई पोस्ट डाली थीं. वहीं क्राइस्टचर्च में तो हमलावर ने पूरी घटना का ही फेसबुक लाइव कर दिया था, जिसमें करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी. आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिसमें फेसबुक की वजह से समाज की शांति व्यवस्था खतरे में पड़ जाती है, लेकिन फेसबुक इसे रोकने के लिए कुछ भी करता नजर नहीं आ रहा है. भारत सरकार (Modi Government) भी फेसबुक के सामने असहाय नजर आती है. धार्मिक कट्टरता से लेकर नफरत भरे भाषण यानी हेट स्पीच (Hate Speech) फैलाने तक में फेसबुक एक बड़ी भूमिका निभा रहा है.

Jamia Firing Rambhakt Gopal Facebookबात जामिया फायरिंग की हो या क्राइस्ट चर्च की, फेसबुक दोनों ही घटनाओं के लिए जिम्मेदार है.

फेसबुक के प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग रुक क्यों नहीं रहा?

ऐसा नहीं है कि फेसबुक को ये सब नहीं दिखता कि उसके प्लेटफॉर्म के जरिए क्या-क्या हो रहा है. ऐसा भी नहीं है कि सरकारें फेसबुक पर इन्हें रोकने का दबाव नहीं डालतीं. खुद फेसबुक भी ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार बनने से बचने की कोशिश में हाथ-पैर मारता नजर आता है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर घटना होने के बाद कार्रवाई का क्या मतलब? गोपाल ने अपने अकाउंट पर एक-दो नहीं कई पोस्ट किए. ये तक लिख दिया कि 'मेरे आखिरी सफर में मुझे भगवा में लपेटना और 'जय श्री राम' के नारे लगाना...'. साफ है कि वह आत्मघाती बनकर जामिया पहुंचा था. उसके पास सिर्फ एक तमंचा था तो एक आदमी घायल हो गया, लेकिन जरा सोचिए उसके पास एके-47 जैसी राइफल या फिर कोई खतरनाक बम होता तो स्थिति कितनी भयानक हो सकती थी. उसने अपनी पोस्ट से ये तो साफ कर दिया कि वह मरने से नहीं डरता, लेकिन फेसबुक के पास ऐसा कोई तरीका नहीं कि इसकी पहचान पहले से हो सके. फेसबुक कितनी भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात कर ले, लेकिन सच तो ये है कि वो उन पोस्ट को कभी पहले से ट्रैक नहीं कर पाता है, जिनका मकसद नफरत फैलाना होता है. हां, घटना हो जाने के बाद फेसबुक कार्रवाई करता है और अपनी पीठ खुद ही थपथपा लेता है. इस बार भी जामिया फायरिंग के करीब 3 घंटे बाद गोपाल का रामभक्त गोपाल नाम का अकाउंट बंद किया.

महज अकाउंट बंद कर देना काफी नहीं

एक तरफ फेसबुक ने गोपाल का अकाउंट बंद कर दिया है, लेकिन दूसरी तरफ उसी नाम से दूसरा अकाउंट (रामभकत गोपाल) भी बन गया है. उस अकाउंट पर गोपाल की बंदूक तानते हुए तस्वीर लगी हुई है. साफ-साफ लिखा है- आओ मैं दिलाता हूं आजादी. धमकी भरी ये बात फिर से कुछ लोगों को भड़काएगी और फिर हो सकता है फिर से कोई गोपाल बंदूक लेकर सड़क पर निकल जाए. हो सकता है फिर कोई गोपाल शाहीन बाग, जामिया या जेएनयू पहुंच जाए. फेसबुक को जरूरत है अपने सुरक्षा चेक्स को और मजबूत करने की.

कुछ बड़ा करने की है जरूरत

फेसबुक की काउंटर टेरेरिज्म की पॉलिसी मैनेजर Dr Erin Marie Saltman ने रायसेना डायलॉग के दौरान माना कि यूट्यूब और सोशल मीडिया का आतंकी खूब इस्तेमाल करते हैं. वह हेट स्पीच भी फैलाते हैं और हमलों की लाइव-स्ट्रीमिंग भी करते हैं. पिछले साल मार्च में न्यूजीलैंड में हुए आतंकी हमले का भी उन्होंने जिक्र किया, जिसमें करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी. अपनी पीठ थपथपाते हुए उन्होंने ये भी कहा कि 2019 में महज 9 महीनों में फेसबुक ने करीब 1.8 करोड़ ऐसी पोस्ट डिलीट की हैं, जो आतंकवाद से प्रेरित लग रही थीं. लेकिन सवाल ये है कि जब उस कंटेंट का मकसद पूरा हो जाए, उसके बाद उसे डिलीट करने से क्या होगा. गोपाल का प्रोफाइल तब डिलीट करने से क्या फायदा, जब उसने अपना काम कर दिया. क्या फेसबुक कोई ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकता, जिसमें अगर कोई कुछ शब्दों का इस्तेमाल करें तो उसे तुरंत अलर्ट मिल जाए? जैसै कोई अल्लाह हू अकबर या जय श्री राम लिखे तो फेसबुक को अलर्ट मिल जाए, भले ही ये शब्द नरफरत फैलाने के लिए लिखे हों या नहीं. कम से कम इसे चेक करने का तो कोई सिस्टम होना चाहिए, ताकि अनहोनी को होने से पहले रोका जा सके. लाइव स्ट्रीम में कुछ आपत्तिजनक दिखते ही तुरंत फेसबुक को अलर्ट जाना चाहिए. लेकिन आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का बात करने वाला फेसबुक इन सब से बेफिकर लग रहा है.

बस कमाई करने में लगा है फेसबुक

फेसबुक सिर्फ और सिर्फ कमाई करने में लगा हुआ है. विज्ञापन के जरिए खूब पैसे कमा रहा है. अब ऐसे में अगर वो इतने सारे फिल्टर लगा देगा, तो बेशक इस वजह से विज्ञापन कुछ कम लोगों तक पहुंचेगा, जिसका सीधा असर फेसबुक की कमाई पर पड़ेगा. फेसबुक अपनी कमाई लगातार बढ़ाने में लगा है और सरकार भी निश्चिंत लग रही है. कुछ हो जाने पर सरकारें पल्ला झाड़ते हुए कह देती हैं कि फेसबुक पर उनका कंट्रोल नहीं है या फिर बहुत ही सीमित कंट्रोल है. फेसबुक अपनी कमाई करने में मसगूल है और इधर भारत की शांति खतरे में पड़ गई है.

वाट्सऐप का दुरुपयोग तो पकड़ में भी नहीं आता !

अगर छोटे लेवल पर देखें तो वाट्सऐप तो फेसबुक से भी अधिक खतरनाक है. यहां दिलचस्प बात ये है कि फेसबुक और वाट्सऐप दोनों ही एक कंपनी के हैं. दोनों के ही मालिक मार्क जुकरबर्ग हैं. फेसबुक पर तो प्रोफाइल पब्लिक हैं जो उन्हें कोई भी सर्च कर के देख ले रहा है, लेकिन वाट्सऐप पर तो ये हेट स्पीच गुपचुप फैलती रहती हैं और अपना काम करती रहती हैं. वाट्सऐप से भी फैल रही चीजों पर फेसबुक लगाम नहीं लगा पा रहा है, जबकि सरकार इस पर कई बार सख्ती दिखा चुकी है. फेसबुक ना तो अपने प्लेटफॉर्म पर धार्मिक कट्टरता और हेट स्पीच रोक पा रहा है, ना ही वाट्सऐप पर.

फेसबुक को ही इन सबके लिए जिम्मेदार ठहराने पर कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी उठ सकते हैं कि ट्विटर, वाट्सऐप और यूट्यूब का क्या. बेशक उन सभी प्लेटफॉर्म पर भी भड़काऊ भाषण और धार्मिक कट्टरता फैलाई जा रही है, लेकिन फेसबुक गोपाल जैसे युवाओं के लिए अधिक लोकप्रिय है. ऐसे लोगों के लिए ट्विटर एक महासागर जैसा हो जाता है, जिसमें खुद को दिखा पाना मुमकिन नहीं होता. ऐसे में फेसबुक एक अच्छा जरिया होता है, जहां एक के बाद एक पोस्ट कर के, वीडियोज पोस्ट कर के और दोस्तों का या अपने जैसी सोच रखने वालों का एक ग्रुप बनाकर उनके बीच नफरत फैलाने वाली बातें परोसी जाती हैं. यहां तक कि टिक-टॉक पर भी ये सब शुरू हो गया है.

@himansh_usharma1995

#duet with imrahulgurjar le lo azadi ab... jai baba mohan ram ki #cleaning_hindustan #respectgirls #proudtobeindian #beindian

♬ original sound - राहुल कसाना गुर्जर

गोपाल का मकसद पूरा हो गया, लेकिन उसने एक बार हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि फेसबुक पर फैल रही नफरत से कैसे निपटा जाए. क्योंकि फेसबुक एक ऐसा प्लेटफॉर्म हो गया है, जहां पर कोई भी कुछ भी फैला सकता है और ना सरकार उसे रोक पाती है ना खुद फेसबुक. अगर फेसबुक पर फैलने वाली नफरत का रोका नहीं गया, तो यकीनन ये और भी बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ सकता है, क्योंकि अंदर ही अंदर फेसबुक पर अलग-अलग विचारधारा के हजारों समूह बन चुके हैं. इनमें कट्टरता से लेकर नफरत तक के ज्वालामुखी फटने को तैयार हैं और किसी भी इनका लावा रामभक्त गोपाल बनकर बाहर आ सकता है.

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