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Updated: 22 जून, 2016 07:03 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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बचपन में गुड्डे-गुड़ियों से खेलने वाले बच्चे गुड़ियों को अपने परिवार का हिस्सा समझते हैं, अपनी दुनिया में वो गुड़ियों को भी उतनी ही अहमियत देते हैं जितनी परिवार के किसी सदस्य को. लेकिन बचपन बीत जाने के बाद भी अगर कोई गुड़ियों के साथ इंसानों जैसा बर्ताव करे, तो बात जरा अजीब लगती है.

चीन में आजकल सिलिकॉन डॉल्स की डिमांड जोरों पर है. ये सिलिकॉन डॉल्स बच्चों की डॉल्स की तरह नहीं बल्कि इंसानों की तरह ही दिखाई देती हैं. ये डॉल्स थर्मोप्लास्टिक इलेस्टोमर (एक तरह की रबर) की बनी होती हैं जो सिलिकॉन से भी ज्यादा नर्म होता है. इन गुड़ियों के हाथ एडजस्टेबल होते हैं, सिर को अलग भी किया जा सकता है, और तो और इन गुड़ियों में यौन अंग भी होते हैं. एक गुड़िया की कीमत करीब 2,500 डॉलर होती है. इनकी डिमांड ज्यादा इसलिए है क्योंकि इनका इस्तेमाल सेक्स डॉल्स की तरह से होता है. अब पुरूष महिलाओं पर निर्भर न रहकर इन्हीं सेक्स डॉल्स का सहारा ले रहे हैं.

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 प्लास्टिक की इन डॉल्स की कद-काठी बिल्कुल इंसानों की तरह होती है

लेकिन अब बहुत से लोगों ने इन डॉल्स को सिर्फ सेक्स डॉल नहीं बल्कि परिवार के सदस्य की तरह अपना लिया है. कुछ पुरुष इन्हें अपनी दोस्त, जीवन साथी और कुछ बेटी बनाकर रखते हैं. चीन में इंसानी रिश्ते अब इंसानों से नहीं बल्कि बेजान गुड़ियों से जोड़े जा रहे हैं.  

जिन लोगों के पास ऐसी गुड़िया हैं उन्हें इनके साथ आते-जाते, फिल्म देखने जाते, पार्क में साथ घूमते देखा जा रहा है.

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29 साल के सॉन्ग बो अपनी गुड़िया को बेटी की तरह मानते हैं. जब सॉन्ग बो को अपने सिर में सिस्ट का पता चला, उन्होंने शादी करने का विचार त्याग दिया. तब से वो गुड़िया को ही अपनी बेटी मानते हैं, उसके साथ बातें करते हैं और अपने बच्चे की तरह ही उसका ख्याल रखते हैं.

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गुड़िया का बेटी की तरह ख्याल रखते हैं

36 साल के झैंग फैन तो अपनी गुड़िया को अपना ही महिला रूप मानता है. वो उसके लिए गहने खरीदता है, उसके साथ घूमने जाता है, सेल्फी लेता है.

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 सार्वजनिक स्थानों पर भी साथ में ही लेकर जाते हैं

12 सालों से तलाकशुदा 58 साल के ली चिन कुछ समय से अपनी गुड़िया के साथ रह रहे थे. अब वो 24 साल की एक महिला से शादी करने जा रहे हैं. ली का मानना है कि गुड़िया की वजह से ही उन्हें एक नया रिश्ता मिलने जा रहा है, वो अब खुद को युवा और पहले से ज्यादा मजबूत महसूस करते हैं.

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 कहा जा रहा है कि पुरुषों के व्यक्तित्व में बदलाव ला रही हैं ये डॉल्स

गुड़ियों से दिल लगाने की ये है वजह-  

चीन का हाल भी कुछ कुछ भारत की तरह ही है. वहां लोग बच्चा तो एक ही चाहते हैं लेकिन सिर्फ लड़का. और उसका नतीजा ये है कि चीन में हर 116 लड़कों पर केवल 100 लड़कियां ही हैं. चीन में लड़कियों की कमी है. अब लड़कों को न तो गर्लफ्रेंड्स मिल पा रही हैं और न ही पत्नियां. बिना जीवनसाथी के अकेले निराश होकर जीने वाले लोग अब इन गुड़ियों में उम्मीदें देख रहे हैं. इन्हें अपने साथ रखने से उन्हें अकेलापन महसूस नहीं होता, वो पहले से ज्यादा खुश और जिम्मेदारी का अनुभव करते हैं. साथी की कमी महसूस कर रहे लोग इन गुड़ियों को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं.

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अकेलेपन से जूझ रहे लोगों के लिए अब गुड़िया ही विकल्प है

चीन में अब ये गुड़ियां किसी के लिए सेक्स डॉल हैं, किसी के लिए गर्लफ्रेंड, किसी की दोस्त, और किसी की बेटी बनकर पुरुषों की जिंदगी का हिस्सा बन रही हैं. पुरुष इन्हें बहुत पसंद करते हैं क्योंकि वो इनका कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं, वो पूरी तरह इन्हें कंट्रोल कर सकते हैं, उनके साथ जो चाहे कर सकते हैं, जो चाहे कह सकते हैं, और वो उफ्फ भी नहीं करतीं. भला ऐसी चीज कोई पुरुष क्यों नहीं रखना चाहेगा.

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 इन गुड़ियों को हर तरह से कंट्रोल कर सकते हैं

चीन में इस तरह की गुड़ियां 50 से भी ज्यादा किस्मों में उपलब्ध हैं. पुरुष इन गुड़ियों पर कितना भरोसा करते हैं उसका सबूत है सिलिकॉन डॉल्स का तेजी से बढ़ता बाजार.

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 तेजी से बढ़ रहा है इन गुड़ियों का बाजार

अगर ये मान भी लें कि ये गुड़ियां चीन के पुरुषों की जीवनशैली और व्यक्तित्व बदलने में मदद कर रही हैं, तो भी इस तरह का लगाव समझ से परे है. ये जीवन एक आभासी जीवन जीने जैसा है जिसमें भावनाओं का कोई वजूद नहीं होता. चीन अपने जीवन में महिलाओं की जरूरत को गुड़ियों से बदल सकता है, वो गुड़ियां बना सकता है, रोबोट बना सकता है, लेकिन इंसानी भावनाओं का क्या..? ये बेजान गुड़ियां सिर्फ विकल्प हो सकती हैं, किसी की जिंदगी नहीं. 

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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