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Updated: 04 फरवरी, 2022 09:18 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव हैं. प्रचार-प्रसार, रैलियों-सभाओं के लिए नेताओं का एक शहर से दूसरे शहर जाना एक आम बात है. ऐसे ही एक प्रचार के सिलसिले में एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी मेरठ थे जहां उनकी गाड़ी पर गोलियां चलीं. मामला चूंकि एक सांसद के रूप में ओवैसी की सुरक्षा से जुड़ा था. साथ ही लॉ एंड आर्डर को लेकर विपक्ष फिर एक बार योगी सरकार पर हमलावर हुआ था इसलिए यूपी पुलिस ने भी घटना को गंभीरता से लिया और मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया. मामले में एफआईआर दर्ज हुई है और जिन दो लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है उनकी पहचान सचिन और शुभम के रूप में हुई है. बताते चलें कि ओवैसी पर हुए हमले को ध्यान में रखकर दोनों ही युवकों पर धारा 307 (एटेम्पट टू मर्डर) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

Asaduddin Owaisi, Aimim, Attack, UP Assembly Elections 2022, Muslim, Hindu, Meerutमेरठ में ओवैसी पर हुए हमले में गिरफ्तार शुभम और सचिन

सचिन और शुभम की गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) सामने आए हैं और उन्होंने गिरफ्तारी पर पुलिस का पक्ष रखते हुए बताया है कि दोनों ही युवकों को हापुड़ की अदालत में पेश किया जाएगा जहां पुलिस उन्हें हिरासत में लेने की मांग करेगी. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार जांच प्रारंभिक चरण में है और मामले के अन्य तथ्य और विवरण जुटाए जा रहे हैं जिन्हें जल्द ही मीडिया के सामने रखा जाएगा.

ये तो बात हो गयी ओवैसी पर हुए हमले और हमले के बाद पुलिस द्वारा लिए गए एक्शन पर. इसके बाद अब जिस मुद्दे पर बात होनी चाहिए वो युवा दिलों में बैठ चुकी नफ़रत तो है ही. साथ ही उस नफरत की आग को खाद पानी देने के लिए खुद को धर्म का ठेकेदार कहने वालों के बीच सोशल मीडिया का बढ़ता इस्तेमाल है.

फेसबुक पर 'देशभक्त सचिन हिन्दू'

चूंकि अब तक जो भी जिक्र हुआ है वो शुभम और सचिन को ध्यान में रखकर हुआ है. ऐसे में हमारे लिए ये बता देना बहुत जरूरी हो जाता है कि आरोपी सचिन यूपी के नोएडा के बादलपुर में अपने परिवार के साथ रहता है. जो जानकारी उसने पुलिस को दी है उसके अनुसार सचिन के पास एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉ) की डिग्री है. सचिन द्वारा प्रदान की गई इस जानकारी का सत्यापन पुलिस भी कर रही है.

सचिन बुरी तरह से फेसबुक के उन पेजों की गिरफ्त में था जिनका एक सूत्रीय एजेंडा दो समुदायों के बीच नफरत फैलाना है. फेसबुक पर सचिन ने खुद का एक पेज भी बना रखा है जिसका नाम है 'देशभक्त सचिन हिंदू.' यदि इस पेज को देखें और इसका अवलोकन करें तो मिलता है सचिन ने खुद को राष्ट्रवाद के रंग में रंग लिया था.

सचिन अपनी अधिकांश पोस्टों में कट्टरपंथी विचारधारा को प्रचारित और प्रसारित करता था. मामले में दिलचस्प ये है कि बीते 1 जून 2018 को, उसने अपने साथ असदुद्दीन ओवैसी का एक कोलाज शेयर किया . तस्वीर में सचिन के हाथ में तलवार थी जिसकी नोक एआईएमआईएम प्रमुख की ओर थी.

वहीं अपने फेसबुक पर सचिन ने एक पोस्ट और लिखी जिसमें वो पीएम मोदी से मुखातिब था. पोस्ट में सचिन ने लिखा था कि 'पीएम मोदी, मुझ पर आरडीएक्स बांधे और मुझे पाकिस्तान में फेंक दें , मैं तैयार हूं. भारत माता के लिए वीर जवानों के बलिदान को चुकाने के लिए. देशभक्त सचिन हिंदू.'

कुछ कुछ परेशान था सचिन

सचिन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सचिन के परिवार से लंबी पूछताछ की है. सचिन के पिता विनोद पंडित ने जो जानकारी पुलिस को दी है उसके अनुसार वह 20-25 निजी कंपनियों को ठेके पर मजदूर मुहैया कराते हैं और इस कारोबार में लॉ में पोस्ट ग्रेजुएट सचिन उनकी मदद करते हैं.

पिता विनोद पंडित के मुताबिक बीते दिन सचिन सुबह करीब आठ बजे घर से ये कहकर निकला कि वो लोग जिस कंपनी के साथ काम करते हैं उनमें से एक के साथ कारोबार को लेकर कुछ जरूरी बात करनी है. विनोद पंडित ने ये भी बताया कि उन्होंने महसूस किया कि सचिन पिछले कुछ दिनों से परेशान हैं

सचिन के अलावा गिरफ्तार हुआ शुभम है बिल्कुल बेदाग कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं!

मामले में गिरफ्तार दूसरा व्यक्ति शुभम सहारनपुर के सांपला बेगमपुर का रहने वाला है और अनाथ है. दसवीं पास शुभम किसान है और खेती बारी करता है और उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है. शुभम के आस पड़ोस के लोगों ने पुलिस को बताया कि शुभम की बहन की शादी हो चुकी है. वह एनसीआर में कहीं रहती है और शुभम अक्सर उसके घर जाकर रहता है.

सांपला बेगमपुर में पड़ोसियों के मुताबिक वे शायद ही कभी युवक को देखते हैं क्योंकि वह ज्यादातर समय गांव से दूर बिताता है. यह पूछे जाने पर कि शुभम जीविका के लिए क्या करता है, उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ पता नहीं है.

घटना का कारण गुस्सा और आक्रोश!

पूछताछ के दौरान, दोनों आरोपियों ने पुष्टि की कि वे एक-दूसरे से परिचित थे. दोनों असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के बयानों से भड़क गए थे. वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समय समय पर ओवैसी के भाषणों को सुनते थे जिनपर उन्हें खूब गुस्सा आता था. उन्होंने बहुत पहले ही ये फैसला कार लिया था कि एक दिन वो ओवैसी को सबक सिखाएंगे. 

एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा कि सचिन और शुभम असदुद्दीन ओवैसी द्वारा हिंदुओं के बारे में की गई टिप्पणी से आहत हैं. उन्होंने अयोध्या मंदिर और राम जन्मभूमि मुद्दे पर ओवैसी के बयानों पर भी नाराजगी जताई.

क्या थी युवकों की मोडस ऑपरेंडी

युवकों को जब पता चला कि ओवैसी मेरठ और किठौर में सार्वजनिक रैलियों में भाग लेंगे, तो उन्होंने सबक सिखाने का सोचा और घटना को अंजाम दिया.दोनों के पास से देसी पिस्टल बरामद हुई है. पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए जाने और पूछताछ के बाद उन्होंने दो अन्य लोगों के नामों का खुलासा किया और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी है.

यूं तो इस पूरे मामले में कहने बताने को तमाम तरह की बातें हैं और कई पक्ष हैं. लेकिन अब जबकि ये मामला हमारे सामने आ गया है. तो जैसा कि दिख रहा है कि युवकों ने ओवैसी पर हमला इसलिए किया क्योंकि वो ओवैसी की बातों और उनकी विचारधारा से सहमत नहीं थे. फैसला अब जनता को करना है कि युवक सही हैं या गलत?

बाकी जैसा कि ज्ञात है युवक जहरीले सोशल मीडिया के कारण बने हैं. तो हम बस इतना कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि विचारधारा के मद्देनजर सोशल मीडिया एक ऐसी प्रथा का आगाज़ कर रहा है जिसके दूरगामी परिणाम एक समाज के रूप में बेहद घातक होंगे. अभी भी वक़्त है. बेहतर यही है कि लोग समझ जाएं कि नेता और राजनीतिक दल अपना काम करके निकल जाएंगे अंत में व्यक्ति का वही हाल होगा जो इस वक़्त शुभम और देशभक्त सचिन हिन्दू का हो रहा है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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