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Updated: 25 जनवरी, 2022 03:18 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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आमतौर पर एक्टिविज्म के बारे में कहा जाता है कि ये समाज की बेहतरी के लिए एक जरूरी चीज है. लेकिन, कभी-कभी इस एक्टिविज्म के चक्कर में लेने के देने भी पड़ जाते हैं. एक्टिविज्म के साथ एक सबसे बड़ा खतरा ये है कि वह अपने साथ आलोचना भी लाता है. ये आलोचनाएं तब और गहरी हो जाती हैं, जब यह किसी विदेशी मामले को लेकर की जाती हैं. और, इस बार आलोचनाओं का शिकार हुई हैं अपने बयानों को लेकर विवादों में रहने वालीं पत्रकार राना अयूब. दरअसल, राना अयूब ने यमन वॉर को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा था कि 'यमन में रक्तपात हो रहा है और खून के प्यासे सऊदी को रोकने वाला कोई नहीं है. ये वो लोग हैं, जो खुद को इस्लाम का रखवाला कहते हैं. एक मुसलमान होने के नाते मुझे शर्म आती है कि ये असभ्य लोग पवित्र मस्जिद के रखवाले हैं. दुनिया इस नरसंहार पर दुनिया चुप नहीं रह सकती.' और, इस ट्वीट के बाद राना अयूब के खिलाफ सऊदी अरब के लोगों ने यलगार का ऐलान कर दिया है.

Rana Ayyub twitter Yemen warहूती विद्रोहियों ने आबू धाबी के एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले किए थे. जिसमें दो भारतीयों समेत तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी.

क्या है यमन में एयरस्ट्राइक का मामला?

मामला ये है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी आबू धाबी (Abu Dhabi) में हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमले के बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन की ओर से यमन पर लगातार एयरस्ट्राइक की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन एयरस्ट्राइक में 70 से ज्यादा लोगों के मारे जाने और सैकड़ों के हताहत होने की जानकारी सामने आई है. सऊदी अरब और यूएई की सेनाओं के हवाई हमलों में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है. बता दें कि 17 जनवरी को हूती विद्रोहियों ने आबू धाबी के एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले किए थे. जिसमें दो भारतीयों समेत तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी. वैसे, यमन में चल रही जंग बीते कई सालों से जारी है. और, हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी अरब के नेतृत्व में मिडिल ईस्ट के कई देशों ने एक साझेदारी बना रखी है.

वैसे, इस मामले पर राना अयूब की टिप्पणी ने सऊदी अरब के लोगों को बुरी तरह से भड़का दिया है. भारत में होने वाली घटनाओं के लिए किसी एक समाज या वर्ग पर उंगली उठाना या उसे कठघरे में खड़ा कर देना बहुत आसान है. लेकिन, ऐसे जियोपॉलिटिकल मामलों पर राय के बैकफायर करने की संभावना कहीं ज्यादा होती है. उस स्थिति में और भी ज्यादा जब आपकी आंखों पर मजहब का चश्मा हमेशा ही चढ़ा रहता हो. तो, राना अयूब को फिलहाल यही झेलना पड़ रहा है. और, सऊदी अरब के लोगों में इस गुस्से का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने राना अयूब की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड, आईएसआईएस, हमास, अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों से कर दी. राना अयूब के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने वाले इन तमाम लोगों में ब्लू टिक वाले यूजर्स भी शामिल हैं. एक ट्विटर यूजर का कहना है कि वह खुलेआम आतंकवादियों का समर्थन कर रही हैं. जबकि, हूती विद्रोहियों के खिलाफ चुप हैं, जिन्होंने दो भारतीय नागरिकों की हत्या कर दी है. 

Gassan नाम के एक यूजर ने राना अयूब की टिप्पणी के फेक न्यूज करार देते हुए लिखा है कि आपका मतलब मुस्लिम ब्रदरहुड (कट्टर इस्लामिक संगठन) की तरह...सऊदी अरब ने 10 से ज्यादा देशों के नेतृत्व में मिलिट्री ऑपरेशन लॉन्च किया है. और, ये सबकुछ यमन की वैध सरकार के अनुरोध पर किया गया है. वहीं, आप आतंकवादियों का साथ दे रही हैं. 

Hassan Sajwani नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि राना अयूब जैसे लोग ही सबसे बड़े आरोपी हैं. 'मानवतावादी आवाज' के छद्म आवरण के साथ ये लोग लगातार हूती विद्रोहियों, हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े संगठनों का बचाव करते हैं. मिस राना भूल गई हैं कि हूती विद्रोहियों ने दो निर्दोष भारतीय (उनके ही देश के नागरिकों) को पिछले हफ्ते आबू धाबी में मौत के घाट उतारा है. शर्म आनी चाहिए. 

एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि 80 फीसदी से ज्यादा यमन के लोग हमारे साथ हैं. यमन की सेना भी हमारे साथ लड़ रही है और हूती विद्रोहियों के खिलाफ हम इसका समर्थन करते हैं. पूरे यमन के लोग गलत हैं और राना अयूब सही हैं. इन्होंने जवाबों से बचने के लिए कमेंट सेक्शन बंद कर दिया है. 

एक ट्विटर यूजर ने तो राना अयूब को हिंदू धर्म में वापसी करने की सलाह दे डाली है. इस यूजर ने लिखा कि एक मुस्लिम और सऊदी होने के नाते मुझे फर्क नहीं पड़ता कि तुम मेरे देश और पवित्र स्थानों को लेकर क्या सोचती हो? और, मेरे पास अपने देश की रक्षा करने का पूरा अधिकार है. 

वहीं, हजारों लानत-मलानत झेलने के बाद राना अयूब ने चिर-परिचित अंदाज में अपना स्टांस बदलते हुए भारत के राइट विंग और पीएम मोदी के समर्थकों पर अपना गुस्सा निकालना शुरू कर दिया. आमतौर पर ऐसे मामलों पर घिरने के बाद खेला जाने वाला विक्टिम कार्ड यहां भी अप्लाई कर दिया गया है. जिसके बाद एक विचारधारा विशेष के लोगों ने राना अयूब के समर्थन में आवाज उठाना शुरू कर दिया है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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