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Updated: 14 जनवरी, 2021 12:32 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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मुंबई में किसी जमाने में माफिया डॉन सूबे की सरकार और बाशिंदों सभी के लिए सिरदर्द हुआ करते थे, लेकिन गुजरते वक्त के साथ जमाना काफी बदल चुका है. बॉलीवुड के कई सितारे जहां NCB के हत्थे चढ़े हैं और कई तो जेल की हवा भी खा चुके हैं.

नये जमाने में सरकारी दस्तावेजों में अब ऐसे दो नये नाम दर्ज हुए हैं - सोनू सूद (Sonu Sood) और कंगना रनौत (Kangana Ranaut). बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद को लेकर खासे चर्चित हुए हैं, जबकि कंगना रनौत अपनी बयानबाजी और बीएमसी की कार्रवाई में दफ्तर तोड़े जाने को लेकर.

लॉकडाउन और उसके बाद से हद से ज्यादा एक्टिव बीएमसी (BMC) ने सोनू सूद को 'आदतन अपराधी' बताया है - और कंगना रनौत को भी 'देशद्रोह' के आरोप के साथ केस दर्ज होने पर थाने और भी हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा है.

समाज सेवा के शुरुआती दौर में ही शिवसेना के निशाने पर आ चुके सोनू सूद ने मातोश्री के बाद अब सिल्वर ओक में भी हाजिरी लगा दी है, लेकिन अभी तक बात नहीं बन पायी है. मिलने को तो कंगना रनौत भी अपने मामले में राज भवन पहुंची थीं और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मदद का आश्वासन भी पाया था, लेकिन एक बात नहीं समझ आ रही है कि सोनू सूद जब मानते हैं कि कुछ गलत नहीं किया है तो अदालत पर भरोसा करते - नेताओं के दरबार में हाजिरी लगाने की क्या जरूरत है.

सोनू सूद को बेदाग साबित कर बरी होना होगा

सोनू सूद लॉकडाउन के दौरान बहुत सारे लोगों के लिए मसीहा ही साबित हुए हैं. ऐसे वक्त में जब लोग जिंदगी की ऐसी मुसीबत में फंसे थे जब न तो वो खुद सक्षम थे न सरकार की तरफ से कोई मदद मिलने की संभावना रही, सोनू सूद ने आगे बढ़ कर सभी की मदद की - बगैर किसी भेद भाव के मदद करते रहे. वो सिलसिला आज भी जारी है.

ये तो शुरू में ही पता चल गया था कि शिवसेना को सोनू सूद का ये काम बिलकुल भी पसंद नहीं आया. आये भी तो कैसे. सोनू सूद को काम भी तो इसीलिए करना पड़ा क्योंकि सरकार उनके जैसा कोई इंतजाम नहीं कर पायी. ऐसा भी नहीं कि सिर्फ महाराष्ट्र सरकार का ही ये हाल रहा, यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्यों में एक जैसा ही हाल रहा.

शिवसेना के लिए तो सोनू सूद भी उसी छोर पर नजर आ रहे हैं जहां कंगना रनौत खड़ी हैं. कंगना रनौत की ही तरह शिवसेना का मानना है कि सोनू सूद भी बीजेपी के इशारे पर शिवसेना की सरकार को बदनाम करने के लिए ये सब कर रहे हैं. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा भी था कि रातों रात मसीहा बना दिया जा रहा है.

सामना में संजय राउत ने अपने 'रोखटोक' कॉलम में लिखा भी था, 'लॉकडाउन के दौरान आचानक सोनू सूद नाम से नया महात्मा तैयार हो गया... एक झटके में और इतनी चतुराई के साथ किसी को महात्मा बनाया जा सकता है?'

कंगना रनौत की ही तरह सोनू सूद भी बीएमसी के एक्शन मोड की जद में आ गये हैं - मुश्किल ये है कि अभी तक कोर्ट से भी उनको कंगना रनौत की तरह कोई कानूनी राहत नहीं मिल पायी है. कंगना रनौत के तो कोर्ट चले जाने पर बीएमसी को फटकार भी लगी थी, लेकिन दीवानी कोर्ट में से उनकी अर्जी ही खारिज हो चुकी है. अब सोनू सूद ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है. हाईकोर्ट ने सोनू सूद की याचिका पर बीएमसी को नोटिस देकर हलफनामा दाखिल करने को कहा था.

बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में बीएमसी ने हैबिचुअल ऑफेंडर यानी जिसे बार बार अपराध करने की आदत पड़ चुकी हो, बताया है. बीएमसी ने कहा है कि सोनू सूद 'आदतन अपराधी' हैं, जो पहले दो बार तोड़फोड़ की कार्रवाई के बावजूद जुहू की अपनी रिहायशी इमारत में अवैध निर्माण करवाते रहे हैं.

BMC ने बड़ा ही गंभीर इल्जाम लगाते हुए कहा है कि वो गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाना चाहते हैं. बीएमसी के मुताबिक, सोनू सूद ने लाइसेंस विभाग की अनुमति लिए बगैर ध्वस्त किये गये हिस्से की जगह दोबारा अवैध निर्माण करा लिया ताकि उसे होटल के रूप में इस्तेमाल किया जा सके.

कोई शक शुबहे वाली बात नहीं है कि सोनू सूद भी कंगना रनौत और अर्नब गोस्वामी की तरह सियासी मोहरा बनने जा रहे हैं. सोनू सूद का केस थोड़ा अलग लगता है क्योंकि वो कभी भी कंगना रनौत और अर्नब गोस्वामी की तरह उद्धव ठाकरे या शिवसेना से सीधे सीधे भिड़े तो नहीं ही हैं - लेकिन सोनू सूद का काम ही उनकी आने वाली मुसीबतों का सबब बन रहा है. सोनू सूद ने अपने साथ हो रहे सरकारी मुलाजिमों के व्यवहार पर ट्विटर पर लिखा है - मसला ये भी है दुनिया का कि कोई अच्छा है तो अच्छा क्यों है?

लेकिन सच ये भी है कि सोनू सूद की अर्जी दीवानी अदालत में मंजूर भी नहीं हुई है. हां, हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है ये भी कम राहत वाली बात नहीं है. लेकिन सोनू सूद को भी मालूम होना चाहिये कि अच्छा काम कभी गलत काम को प्रोत्साहित नहीं करता - और न ही किसी अच्छे काम की आड़ में कोई गैर कानूनी काम ही किया जा सकता है - वैसे भी सेवा तभी फलेगी जब सोनू सूद खुद को बेदाग साबित करते हुए आरोप बरी होंगे.

sonu sood, sharad pawarसोनू सूद नेताओं से इसलिए मुलाकात कर रहे हैं क्योंकि अभी तक उनको कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है?

इसी बीच, सोनू सूद ने एनसीपी नेता शरद पवार से मुलाकात की है. दोनों के बीच करीब आधे घंटे चली मुलाकात को लेकर बताया जा रहा है कि सोनू सूद ने अपनी तरफ से पूरी सफाई देने की कोशिश की है. सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि सोनू सूद ने अपनी सफाई में कहा कि कुछ लोग उनको बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने कोई अवैध निर्माण नहीं किया है. सोनू सूद इससे पहले मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे से भी ऐसे ही मुलाकात कर चुके हैं.

आखिर सोनू सूद अमेजन वालों की तरह राजनीतिक दरबारों में हाजिरी क्यों लगा रहे हैं? हाल ही में अमेजन के अधिकारियों को राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के दबाव में सॉरी बोलना पड़ा था - और उनकी मांग पूरी करनी पड़ी थी. मामला रफा दफा हो गया.

क्या सोनू सूद के केस में भी वैसी ही बात है? क्या सोनू सूद भी कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?

अगर सोनू सूद उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिल कर भी यही बता रहे हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया तो फिर उनको कोर्ट जाने की जरूरत क्यों पड़ी? यूं ही आउट ऑफ कोर्ट ही सेटलमेंट हो जाता.

हो सकता है सोनू सूद से हड़बड़ी में कोई गड़बड़ी भी हो गयी हो या जो किया है वो गैर इरादतन किया गया हो लेकिन तकनीकी तौर पर सरकारी नियमों के हिसाब से अवैध कैटेगरी में आता हो - लेकिन मालूम हो जाने के बाद भी सोनू सूद अगर गलत को सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं तो शायद ही वो लोगों की सहानुभूति के पात्र बनें.

ऐसा क्यों लगने लगा है कि सोनू सूद ने मातोश्री और सिल्वर ओक में हाजिरी लगा कर अपना केस जनता की अदालत में कमजोर कर लिया है?

कंगना और सोनू सूद के संघर्ष में फर्क है

कंगना रनौत को बॉम्बे हाईकोर्ट से अपने खिलाफ देशद्रोह के केस में भी बड़ी राहत मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशद्रोह के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनौत को के खिलाफ पुलिस कारवाई और गिरफ्तारी पर 25 जनवरी तक रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस को ये हिदायत भी दी है कि तब तक वो कंगना रनौत न तो थाने बुलाये और न ही किसी तरह की पूछताछ करे.

कंगना रनौत इस केस में बांद्रा पुलिस के सामने पेश होकर 8 जनवरी, 2021 को अपना बयान दर्ज करा चुकी हैं - हालांकि, बयान दर्ज करवाने से पहले कंगना रनौत ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर कर अपने गुस्सा का इजहार किया था - मुझे मानसिक तौर पर टॉर्चर किया जा रहा है.

हाईकोर्ट ने कंगना रनौत के साथ साथ उनकी बहन रंगोली चंदेल के मामले में भी वैसा ही आदेश दिया है. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि हाईकोर्ट ने कंगना रनौत के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किये जाने पर भी चिंता जाहिर की है. कंगना रनौत के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव, नफरत फैलाने और देशद्रोह का आरोप लगा है. कंगना रनौत ने हाईकोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुजारिश की है.

शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार से लड़ाई अपनी जगह है, लेकिन उद्धव ठाकरे को लेकर कंगना रनौता का तू-तड़ाक वाले वीडियो को शायद ही कोई सही ठहरा सके. कम से कम नैतिकता के पैमानों पर तो उसे सही नहीं ही ठहराया जा सकता.

सोनू सूद से तुलना करें तो कंगना रनौत अपनी लड़ाई पूरे आत्मविश्वास के साथ लड़ रही हैं. बीएमसी के एक्शन के खिलाफ हाईकोर्ट उनका पक्ष सुना गया है और बीएमसी की कार्रवाई को गलत माना गया है. सोनू सूद को भी कंगना रनौत की ही तरह अदालत में अपनी लड़ाई लड़नी चाहिये थी - और लोगों में ये धारणा बनने का मौका नहीं देना चाहिये था कि सोनू सूद पूरी तरह पाक साफ नहीं हैं.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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