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Updated: 24 दिसम्बर, 2022 08:52 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) कन्याकुमारी से कश्मीर के रास्ते में दिल्ली में ब्रेक ले रही है - और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दिल्ली पहुंचने से पहले ही उनके छुट्टी पर जाने की भी चर्चा शुरू हो गयी थी, लेकिन यात्रा में साथ साथ चल रहे कन्हैया कुमार का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है.

कन्हैया की ही तरह कांग्रेस नेताओं की तरफ से ये भी साफ करने की कोशिश हुई है कि भारत जोड़ो यात्रा में ब्रेक राहुल गांधी को छुट्टी देने के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय से घर से दूर रहे लोगों के लिए ऐसा किया गया है - और समझने वाली बात ये है कि ऐसा करके कांग्रेस ने कोविड के बढ़ते खतरे से बचाव के लिए बीच का रास्ता भी निकाल लिया है.

भारत जोड़ो यात्रा में 9 दिन का जो ब्रेक दिया गया है, उसके बाद कोविड की स्थिति को देखते हुए भी फैसला लिया जा सकेगा. ये भी एक तरीके की राजनीति ही समझी जानी चाहिये. बचाव के सुरक्षित रास्ते भी तो ऐसे ही निकाले जाते हैं - अभी तो सरकार भी नहीं कह सकती कि यात्रा से कोविड का खतरा बढ़ रहा है. और अब कांग्रेस नेतृत्व चाहे तो यात्रा को ब्रेक के नाम पर कुछ दिन और भी किसी न किसी बहाने होल्ड कर सकता है.

कोविड 19 के मद्देनजर मिली सरकारी चिट्ठी को कांग्रेस नेता भारत जोड़ो यात्रा से परेशान बीजेपी (BJP) और मोदी सरकार के एक्शन के तौर पर समझा रहे हैं - और दावा कर रहे हैं कि यात्रा से लोगों के जुड़ने से परेशान होकर बीजेपी ने ये कदम उठाया है.

क्या बीजेपी के रणनीतिकार भी ऐसा ही सोच रहे हैं? ये बात कोई सामने आकर तो बताएगा नहीं, लेकिन जो कुछ चल रहा है उसे समझने की कोशिश तो की ही जा सकती है - भले ही हर बात का बहाना कोविड को भी बना लिया जाये.

कोरोना वायरस वैसे तो पूरी दुनिया में सत्ता पक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहा है, लेकिन लगे हाथ राजनीतिक हिसाब से फायदे का मौका भी दिया है. आखिर आपदा में अवसर के कई रूप तो बीते दिनों देखे ही जा चुके हैं. हालांकि, विपक्षी दलों के लिए ये अवसर कम ही काम का रहा है. ज्यादातर तो विपक्ष को समझौते ही करने पड़े हैं.

कोविड के चलते लगाये गये लॉकडाउन के दौरान भी सत्ताधारी दल लोगों के बीच जाकर सेवा की बात करते रहे, जबकि विपक्षी दल या तो घर बैठ कर टीवी पर सब देखते रहे, या फिर वर्चुअल तरीके से अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते रहे हैं.

अगर वैसी ही हालत बनी रहती तो भारत जोड़ो यात्रा तो नहीं ही हो पाती. और यही वजह है कि कांग्रेस को ये दलील देने का बहाना मिल गया है कि केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी यात्रा के लोगों पर पड़ते असर से परेशान होकर, बंद कराने की कोशिश कर रही है.

देखा जाये तो सरकार की तरफ से अब तक जो भी सलाहियत आयी है, वो सिर्फ एहितायती उपायों पर फोकस हैं. मास्क लगाने की बात भी स्वेच्छा से की जा रही है. सरकार ने कोई गाइडलाइन नहीं तय की है, हां - ये जरूर अपील की गयी है कि लोग एहतियात बरतें और जब भीड़ में हों तो मास्क जरूर लगा लें.

अभी कुछ ही दिन पहले फ्लाइट में मास्क पहने रहने की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी थी, लेकिन अब फिर से लोगों को मास्क दिये जा रहे हैं, लेकिन अभी ये उनकी मर्जी पर निर्भर करता है कि वो पहने या न पहनें. पहले लोगों को मास्क न पहनने को नियमों के उल्लंघन को तौर पर बताया जाता रहा - और फ्लाइट में तो छोटे छोटे नियमों के उल्लंघन पर भी क्रू मेंबर को किसी को डीबोर्ड करने का अधिकार मिला होता है.

राहुल गांधी को मनसुख मांडविया की तरफ भेजी गयी चिट्ठी को छोड़ कर भी देखें तो 81 करोड़ से ज्यादा गरीबों को मुफ्त अनाज देने का मोदी कैबिनेट का ताजा फैसला तो कुछ न कुछ कहता ही है. ज्यादा कुछ न सही, लेकिन ये तो कहता ही है कि बीजेपी को आने वाले चुनावों की फिक्र तो होने ही लगी है. बीजेपी ने ये तो नहीं ही सोचा होगा कि हिमाचल प्रदेश में वो सत्ता से हाथ धो बैठेगी, भले ही वो गुजरात बचाने के लिए बाद में उधर ध्यान देना बंद कर दिया हो.

अब अगर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस लोगों को अपनी तरफ से तमाम संदेश देने की कोशिश कर रही है, तो बीजेपी की भी मोदी सरकार के जरिये काउंटर इंतजामों की कोशिश तो होगी ही - क्योंकि 2024 के आम चुनाव से पहले राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव भी तो लड़ने ही हैं.

टीशर्ट में भी कोई मैसेज है क्या?

राहुल गांधी जैसे ही भारत जोड़ो यात्रा पर निकले उनका टीशर्ट मुद्दा बन गया. यात्रा से जुड़े कुछ विवादों में से एक टीशर्ट को लेकर बीजेपी की तरफ से घेरने की भी काफी कोशिश हुई. ऐसा लगा जैसे बीजेपी की तरफ से कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दस लाख के सूट पर हमले का जवाब दिया जा रहा हो. राहुल गांधी काफी दिनों तक मोदी सरकार को 'सूट बूट की सरकार' कहते रहे. और बीजेपी के चालीस हजार के टीशर्ट का काउंटर भी राहुल गांधी ने कुछ कुछ वैसे ही किया जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में कांग्रेस के चुनावी स्लोगन को किया था.

थोड़ा पीछे चल कर देखें तो इसे 'चौकीदार चोर है' वाले नारे से जोड़ कर भी देख सकते हैं. जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी के स्लोगन को आत्मसात कर जवाब दिया था, राहुल गांधी ने भी बीजेपी के टीशर्ट पर टिप्पणी को करीब करीब वैसे ही गले से लगाया है - और ये जताने की कोशिश हो रही है कि ये नफरत के खिलाफ प्यार का पैगाम है.

राहुल गांधी एक हाफ टीशर्ट पहन कर ही अब तक की यात्रा में देखे गये हैं. यहां तक कि जब ठंड से बेहाल दिल्ली में लोग स्वेटशर्ट और जैकेट के बगैर बाहर निकल नहीं पा रहे हैं - सुबह से ही राहुल गांधी सिर्फ टीशर्ट में ही चहलकदमी करते हुए भारत जोड़ो यात्रा में देखे गये.

ये तब भी देखा गया जब राहुल गांधी के अगल बगल रणदीप सिंह सुरजेवाला और श्रीनिवास बीवी जैकेट पहने हुए साथ साथ चल रहे हैं. पहले अक्सर राहुल गांधी को स्लीवलेस जैकेट पहने देखा जाता रहा है. राहुल गांधी की देखा देखी उनके कई करीबी नेताओं को भी वैसे ही जैकेट में देखा जाता रहा है. एक दौर ऐसा भी रहा जब सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी एक जैसा जैकेट पहने देखा जाता रहा - लेकिन जानना भी दिलचस्प तो है ही कि राहुल गांधी को ठंड नहीं लगती या फिर ये भी कोई सियासी संदेश देने का तरीका है?

rahul gandhi, ramdeep surjewalaये टीशर्ट की राजनीति है!

राहुल गांधी के साथ ही शुरुआत से ही भारत यात्री बने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार से तो मीडिया ने इस पर सवाल भी पूछ लिया - ठंड में सभी लोग जैकेट और स्वेटर पहनकर यात्रा में चल रहे हैं तो राहुल गांधी क्यों हाफ टी-शर्ट पहनकर चल रहे हैं? क्या उन्हें ठंड नहीं लगती?

ये सवाल सुनते ही कन्हैया कुमार ने बीजेपी को निशाने पर ले लिया, बीजेपी को राहुल गांधी से विशेष लगाव है... बीजेपी लगातार राहुल गांधी पर नफरत भरे हमले करती है... जब आप लगातार हमले सहते हैं तो आपका शरीर इसे बर्दाश्त करने की क्षमता पा लेता है.

राहुल गांधी को ठंड नहीं लगने को लेकर कन्हैया कुमार ने भी वैसा ही जवाब दिया है, जैसा दिल्ली चुनावों के बीच उनके डंडा मार बयान पर प्रधानमंत्री मोदी का रिएक्शन था - पीठ मजबूत कर रहा हूं.

2021 के केरल विधानसभा चुनाव के समय भी राहुल गांधी को एक मजबूत नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश हुई थी. राहुल गांधी की एक तस्वीर सामने आयी थी जिसमें वो नाव से नदी में छलांग लगा रहे हैं. गीले होने की वजह से कपड़े शरीर से चिपके होते हैं और कांग्रेस नेता उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर उनके सिक्स पैक ऐब्स की तारीफ करते नहीं थक रहे थे.

दरअसल, वो भी राहुल गांधी को एक मजबूत नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश ही रही. और अब शीतलहर के बीच टीशर्ट पहन कर घूमने को भी ऐसे ही समझा जाना चाहिये. कांग्रेस की तरफ से ऐसा ही प्रयास लगता है.

बीजेपी की तरफ से हमेशा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 18-20 घंटे काम करने, बिना थके लगातार काम करने - और हमेशा योग, उपवास और संतुलित भोजन के जरिये फिट रहने की बात प्रचारित की जाती रही है.

भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस ने राहुल गांधी को भी एक सुपर फिट नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश की है. ऐसा नेता जो पूरी तरह फिट है, लगातार दौड़ सकता है. तीन महीने से लगातार पैदल चल रहा है - और आराम के नाम पर रात्रि विश्राम से ज्यादा वक्त नहीं लेता.

जिस राहुल गांधी को छुट्टियों पर चले जाने वाले लापरवाह नेता के नाम पर बीजेपी की तरफ से प्रोजेक्ट किया जाता रहा, वो पूरी यात्रा में डटा हुआ है - और अब तक कोई छुट्टी भी नहीं ली है. दो राज्यों में चुनाव भी हो गये और हिमाचल प्रदेश के शपथग्रहण समारोह में शामिल भी हो गये.

अब अगर छुट्टी ले भी रहे हैं तो सभी यात्रियों के साथ ही. कांग्रेस की तरफ से बताया जा रहा है कि ये छुट्टी भी राहुल गांधी के लिए नहीं बल्कि यात्रा में शामिल लोगों के लिए है जो महीनों से घर परिवार से दूर यात्रा में चलते चले जा रहे हैं, उनके घर जाने के लिए. यात्रा में शामिल वाहनों की सर्विसिंग और मरम्मत के लिए प्लान किया गया है.

इस बीच ये भी चर्चा उठी थी कि राहुल गांधी क्रिसमस के मौके पर छुट्टी मनाने विदेश यात्रा पर जा रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी के बाद यात्रा में सबसे लोकप्रिय बताये जा चुके कन्हैया कुमार का कहना है कि राहुल गांधी विदेश नहीं जा रहे हैं. और फिर तपाक से पूछते हैं, 'अगर वो नहीं गये तो बीजेपी माफी मांगेगी?'

मीडिया से बातचीत में कन्हैया कुमार ने यात्रा के दौरान के विवादों को लेकर राहुल गांधी का बचाव भी किया है, बीजेपी ने भारत जोड़ो यात्रा के खिलाफ कई नाकाम साजिशें की, लेकिन यात्रा कन्याकुमारी से दिल्ली आ पहुंची है... नकली वीडियो के जरिये यात्रा को असफल बताने की कोशिश हुई - और अब कोरोना का बहाना बनाया जा रहा है.

शायद ही कोई मौका हो जब कन्हैया कुमार के निशाने पर बीजेपी न रहती हो, बीजेपी को राहुल गांधी के चर्च या गुरुद्वारा जाने से कोई समस्या नहीं है... जैसे ही राहुल गांधी मंदिर जाते हैं, बीजेपी वालों को दस्त होने शुरू हो जाते हैं.

क्या राहुल की यात्रा बीजेपी को डराने लगी है

भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने से पहले ही कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लंबा चौड़ा पत्र लिख कर पार्टी छोड़ दी थी. पूरे पत्र में राहुल गांधी को कांग्रेस की सारी मौजूदा खामियों के लिए कोसते हुए गुलाम नबी आजाद ने ये सलाह भी दी थी कि पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा शुरू करनी चाहिये और उसके बाद ही भारत जोड़ो जैसी बातें होनी चाहिये.

अब खबर आ रही है कि गुलाम नबी आजाद के साथ गये नेताओं में से कई कांग्रेस में लौटने का मन बना रहे हैं. कुछ ने तो घर वापसी कर भी ली है - ये सब क्यों हो रहा है? क्या ये भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव है?

जिस राहुल गांधी को गुलाम नबी आजाद सारी गलतियों के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं, अब उनको छोड़ कर उनके समर्थक राहुल गांधी की तरफ लौटने का मन क्यों बना रहे हैं? ज्यादा न सही, भारत जोड़ो यात्रा में कुछ तो बात है ही. कुछ तो असर पड़ा ही है - और प्रभावित को केंद्र सरकार चला रही बीजेपी भी लग रही है.

दिल्ली में दाखिल होने से पहले राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा था, 'महंगाई हटाओ... बेरोजगारी मिटाओ... नफरत मत फैलाओ - हिंदुस्तान की ये आवाज ‘राजा’ के सिंघासन तक लेकर... दिल्ली आ गये हम... आइये, इसे और बुलंद करने के लिए... हमसे राजधानी में जुड़िये.'

rahul gandhi, sonia gandhiदायें वाली तस्वीर शेयर करते हुए राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है, 'जो मोहब्बत इनसे मिली है, वही देश से बांट रहा हूं'

और उसी शाम केंद्र की मोदी सरकार एक बड़ा फैसला लेती है. लोक हित के हिसाब से देखें तो फैसला बहुत भी अच्छा है, लेकिन एक बात तो पक्की है - कोई भी सरकारी फैसला राजनीति से परे नहीं होता.

जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगी रेवड़ी कल्चर के खिलाफ कैंपेन चला रहे हैं, उनकी ही सरकार कोविड के नाम पर गरीबों के बीच मुफ्त अनाज बांटने का फैसला लेती है. देखा जाये तो ये भी मनमोहन सिंह सरकार के मनरेगा योजना जैसा ही है, बल्कि उसके थोड़ा आगे की ही बात मानी जाएगी. ये प्रधानमंत्री मोदी ही हैं जो कभी मनरेगा का सरेआम मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन बाद में मालूम चला वो तो कांग्रेस सरकार से से भी ज्यादा जोर देने लगे हैं.

हिमाचल प्रदेश और एमसीडी चुनाव में बीजेपी को जो झटका लगा है, वो तो झकझोर देने वाला ही है. ये बात अलग है कि मोदी-शाह उसे गुजरात की भारी जीत से ढकने की कोशिश कर रहे हैं. और बीजेपी कार्यकर्ताओं में जश्न के जरिये समझाने में लगे हैं कि वे हौसला बनाये रखें - हार जीत तो लगी ही रहती है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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