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Updated: 23 दिसम्बर, 2022 06:57 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कोरोना वायरस (Corona Virus) के वैरिएंट की ही तरह राजनीति भी रंग बदल रही है. और इस मामले में न कोई किसी से कम है, न ज्यादा. और फिर मायावती की बातें ही लगती हैं जैसे किसी दार्शनिक ने कहा हो - एक नागनाथ है, एक सांपनाथ. बीएसपी की नजर में कांग्रेस और बीजेपी में बस इतना ही फर्क है - ये बात अलग है कि चुनावी राजनीति में परदे के पीछे ये बातें बेमानी ही लगती हैं.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 2020 में कोरोना वायरस को लेकर ट्विटर पर आगाह करने वाले पहले नेता रहे. वक्त से पहले ही राहुल गांधी ने अपनी तरफ से देश की सरकार और लोग दोनों ही को अलर्ट कर दिया था - और बाद में भी प्रेस कांफ्रेंस के जरिये जब भी ठीक लगा मन की बात शेयर करते रहे.

दो साल बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandavia) ने सबसे पहले कोविड के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन BF.7 को लेकर अलर्ट किया है. जैसे मंत्रालय अफसर की तरफ से राज्यों को सतर्कता बरतने की चिट्ठी भेजी गयी, बात राजनीति की थी इसलिए मनसुख मांडविया ने राहुल गांधी को खुद पत्र भेजा, न कि अफसरों से ऐसा करने को कहा. हो सकता है उनको लगा होगा कि अफसरों की तरफ से भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कुछ भी लिखित में भेजा गया तो अलग मतलब निकाले जाएंगे.

जैसे तब सरकार राहुल गांधी की चेतावनी को हल्के में ले रही थी, अब वही कांग्रेस नेता खुद सरकार की वॉर्निंग की जरा भी परवाह नहीं कर रहे हैं. वो कह रहे हैं कि बीजेपी और मोदी सरकार भारत जोड़ो यात्रा से डर गयी है - और भारत जोड़ो यात्रा तो कश्मीर तक पहुंच कर ही खत्म होगी.

राहुल गांधी के ऐसे रिएक्शन का असर ये हो रहा है कि बीजेपी भी अपनी यात्रा रोकने को तैयार नहीं है. ये जरूर है कि राहुल गांधी को सरकारी चिट्ठी मिलने और कांग्रेस नेताओं के जोरदार काउंटर के बाद राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कोविड को देखते हुए जन आक्रोश स्थगित करने का ऐलान कर दिया, लेकिन दो घंटे बाद ही वो पलट गये और फिर से कहने लगे कि बीजेपी अपनी यात्रा जारी रखेगी.

क्या सतीश पूनिया को भी कोविड की परवाह वैसे ही नहीं है? या सतीश पूनिया को भी राहुल गांधी जैसा ही पत्र का इंतजार है? या वो इस बात पर तुले हुए हैं कि पहले सरकार राहुल गांधी की यात्रा तो बंद कराये, फिर देखी जाएगी.

वैसे सतीश पूनिया को मालूम होना चाहिये कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा को नये साल के स्वागत में ब्रेक देने जा रहे हैं. 24 दिसंबर को भारत जोड़ो यात्रा हरियाणा से दिल्ली में दाखिल होगी, और महात्मा गांधी की समाधि पर राज घाट पहुंच कर रोक दी जाएगी. फिर अगले साल 2-3 जनवरी से शुरू की जाएगी - तो क्या सतीश पूनिया ने दो घंटे का ब्रेक यही सोच कर लिया था? बड़ी यात्रा के लिए बड़ा ब्रेक, छोटी यात्रा के लिए छोटा ब्रेक.

मनसुख मंडाविया पर भेदभाव करने का कांग्रेस नेताओं का आरोप महज राजनीतिक तो नहीं ही लग रहा है. सतीश पूनिया की बातों से ये तो साफ हो ही गया है कि जैसी चिट्ठी स्वास्थ्य मंत्रालय ने राहुल गांधी को लिखी है, राजस्थान बीजेपी को नहीं भेजी गयी है.

अब ये समझना मुश्किल हो रहा है कि मनसुख मांडविया को क्यों लगता है कि भारत जोड़ो यात्रा से कोविड फैल सकता है और जन आक्रोश यात्रा से नहीं? मनसुख मांडविया ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कोविड पॉजिटिव होने की मिसाल दी है, लेकिन ठीक उनकी बगल में साथ साथ चल रहे डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह पूरी तरह स्वस्थ हैं.

और ये समझना भी मुश्किल हो रहा है कि आखिर राहुल गांधी को भी अब कोरोना वायरस से डर क्यों नहीं लग रहा है, जैसे पहले लगता था? पहले तो वो सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते थे, और जरूरी एहतियाती उपाय न करने की तोहमत भी मढ़ देते रहे.

क्या इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार ने कोविड को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है? क्या राहुल गांधी को लगता है कि सरकार बस भारत जोड़ो यात्रा बंद कराने के लिए माहौल बना रही है?

पहले, 'डरो... ये वायरस बहुत खतरनाक है!'

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से मुकाबले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च, 2020 को देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी. और उसके ठीक पहले एक दिन के लिए लोगों से सार्वजनिक अपील कर जनता कर्फ्यू लगा था.

rahul gandhiक्या बीजेपी की राजनीति ने कोविड 19 पर राहुल गांधी की राय बदल दी है?

लॉकडाउन को लेकर भी कांग्रेस का आरोप रहा है कि जब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार नहीं गिरी दी और मध्य प्रदेश में बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं बदल गया, मोदी सरकार ने लॉकडाउन को टाले रखा - बाद में तो सबने देखा ही कि लॉकडाउन को लेकर भी कितनी राजनीति हुई. दिल्ली से लेकर यूपी और बिहार तक. और वैसे ही राजस्थान और पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक.

लेकिन राहुल गांधी ने लॉकडाउन लगाये जाने से महीने भर पहले ही ट्विटर पर अलर्ट कर दिया था. 12 फरवरी, 2020 को 'द हॉर्वर्ड गजट' की एक रिपोर्ट को टैग करते हुए राहुल गांधी ने सबको आगाह करने की कोशिश की थी कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक हो सकता है.

तब राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा था, 'कोरोना वायरस बहुत ज्यादा खतरनाक है. लोगों के लिए भी और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी - और मुझे लगता है कि सरकार इस खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही है.'

बाद में भी राहुल गांधी अलग अलग तरीके से कोरोना वायरस से मुकाबले को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे. कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई समय समय पर कई पत्र भी लिखे गये थे.

राहुल गांधी ने कोविड मिसमैनेजमेंट को लेकर एक रिपोर्ट भी जारी की थी, जिसे 'व्हाइट पेपर' नाम दिया गया. तब राहुल गांधी ने ये चेतावनी भी दी थी कि कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है. - और ये तो हम देख ही रहे हैं कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का सब-वैरिएंट BF.7 भी दुनिया में आकर कहर मचाने लगा है.

16 अप्रैल, 2020: राहुल गांधी ने पहली बार वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के जरिये मीडिया से बात की और प्रवासी मजदूरो की मुश्किलों की तरफ ध्यान दिलाते हुए सरकार को टेस्टिंग बढ़ाने का सुझाव दिया था.

26 मई, 2020: एक बार फिर वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये मीडिया से मुखातिब होकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा, और आरोप लगाया कि लॉकडाउन फेल हो चुका है और देश इसके नतीजे भुगत रहा है. पूछा, सरकार बताये - लॉकडाउन कब खुलेगा?

28 मई, 2021: कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक बार फिर राहुल गांधी मीडिया के सामने आये और बोले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना को समझ ही नहीं पाये. राहुल गांधी कह रहे थे, कोरोना की दूसरी लहर के लिए प्रधानमंत्री की नौटंकी जिम्मेदार हैं.

राहुल गांधी का कहना था, 'सरकार समझ नहीं रही कि वो किससे मुकाबला कर रही है... वायरस के म्यूटेशन के खतरे को समझना चाहिये... आप पूरे ग्रह को खतरे में डाल रहे हैं.'

अब, 'डरो मत, यात्रा नहीं रुकेगी!'

राहुल गांधी को भेजे गये मनसुख मांडविया के पत्र का पता लगते ही कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर धावा बोल दिया. जयराम रमेश और पवन खेड़ा सरकार की मंशा पर सवाल उठाने लगे - और साफ साफ बोल दिया कि कांग्रेस बेशक कोविड प्रोटोकॉल और गाइडलाइन का पालन करेगी, बशर्ते वो सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं तैयार किया गया हो. गाइडलाइन सभी के लिए होनी चाहिये.

कांग्रेस नेताओं की बातें सुन कर मनसुख मांडविया फिर से मीडिया के सामने आये और बोले, मैं कोविड फैलने की आशंका के बीच... इसे फैलने से रोकने के लिए अपने दायित्व की उपेक्षा सिर्फ इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि एक परिवार सोचता है कि वो नियमों से ऊपर है.'

कांग्रेस नेताओं के बाद राहुल गांधी खुद सामने आये और स्वास्थ्य मंत्री के पत्र को भारत जोड़ो यात्रा रोकने का बहाना करार दिये, लेकिन लगे हाथ ये भी बोल दिया कि भारत जोड़ो यात्रा तो कश्मीर तक जाएगी - मतलब, यात्रा को रोकने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

राहुल गांधी ने कहा, मुझे पत्र लिखा कि कोविड आ रहा है, इसलिए यात्रा बंद करो... मास्क पहनो, यात्रा रोको... ये सब बहाने हैं... ये इस देश की ताकत और सच्चाई से डरे हुए हैं.

तभी ये भी देखने में आता है कि राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया के लिए भी राहुल गांधी प्रेरणास्रोत बन जाते हैं. जाने किसी दबाव में आकर अचानक घोषणा कर देते हैं कि जन आक्रोश यात्रा शाम को बंद कर दी जाएगी, और दो घंटे बात ही फिर ट्विटर पर बताते हैं कि अभी ऐसी कोई जरूरत नहीं है - जन आक्रोश यात्रा में जुट रही भीड़ की तस्वीर भी राजस्थान बीजेपी की तरफ से ट्विटर पर शेयर की गयी है.

ट्विटर पर ही सतीश पूनिया बीजेपी की जन आक्रोश यात्रा जारी रखने की घोषणा भी करते हैं, "जब तक केंद्र और राज्य द्वारा कोई एडवाइजरी जारी नहीं होती है... तब तक भाजपा की जन आक्रोश सभाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित होंगी, लेकिन कोविड की सामान्य सावधानी का पालन अवश्य किया जाना चाहिये."

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश भी मोदी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. सितंबर से लेकर नवंबर तक गुजरात और ओडिशा में सामने आये कोविड मामलों का हवाला देते हुए जयराम रमेश ट्विटर पर लिखते हैं, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ एक दिन बाद दिल्ली में प्रवेश करेगी. अब आप क्रोनोलॉजी समझिये.

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बीजेपी नेताओं के बदलते विचारों को लोग सोशल मीडिया पर अपने तरीके से जिक्र कर रहे हैं. चर्चा ये चल रही है कि पहले बीजेपी के नेता कहते थे कि भारत जोड़ो यात्रा में भीड़ ही नहीं हो रही है. अब कह रहे हैं कि भीड़ से कोरोना का खतरा बढ़ गया है - ऐसे में ये सवाल तो बनता ही है कि कौन सी बात मानी जाये?

पहले वाली या बाद वाली? पहले वाले नजरिये के हिसाब से देखें तो ऐसा लगता है कि यात्रा रोकने की जैसे तैसे कोशिश हो रही है. दूसरे वाले नजरिये के हिसाब से सोचें तो लगता है वास्तव में बीजेपी ने मान लिया है कि यात्रा में भीड़ काफी हो रही है और ये राजनीतिक तौर पर खतरनाक हो सकती है, इसलिए यात्रा को रोकने के लिए कोविड की मदद ली जा रही है - तो क्या राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा पर मनसुख मांडविया के पत्र को कामयाबी का सर्टिफिकेट मान लेना चाहिये.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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