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Updated: 30 मई, 2018 09:42 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच में अक्सर टकराव की खबरें आती रहती हैं. इसी बीच पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की सुर्खियां पाकिस्तान की उस खस्ता हालत को बयां कर रही हैं, जिससे निकलने के लिए पाकिस्तान के सिर पर कर्ज का भारी बोझ पड़ सकता है. और भी खराब स्थिति ये है कि ये कर्ज पाकिस्तान को चीन की तरफ से मिलेगा. पाकिस्तान की हालत इस समय कितनी खराब, इस बात का अंजादा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसके पास आयात के लिए जितनी मुद्रा है, वह 10 हफ्तों में खत्म हो सकती है. आपको बता दें कि पाकिस्तान की मुद्रा भी बेहद कमजोर होकर एक डॉलर के मुकाबले 120 रुपए के स्तर पर आ चुकी है.

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तो फिर 10 हफ्ते बाद क्या होगा?

जब पाकिस्तान के पास सिर्फ 10 हफ्तों के आयात भर की ही मुद्रा बची है तो क्या इसके बाद पाक कंगाल हो जाएगा? दरअसल, इस स्थिति से निपटने के लिए भी पाकिस्तान ने चीन की ओर हाथ बढ़ा दिया है. चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) में लगी कंपनियों को भारी भुगतान की वजह से पाकिस्तान का खजाना खाली हो रहा है. इस कोरिडोर से सबसे अधिक फायदा तो चीन को होगा, ऐसे में चीन से मदद मांगना तो जायज है ही, चीन मदद भी जरूर करेगा. पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक ये मदद 1-2 अरब डॉलर यानी भारतीय रुपए के अनुसार 68 से 135 अरब रुपए तक हो सकती है. हालांकि, चीन के अलावा पाकिस्तान को सऊदी अरब से भी मदद की उम्मीद है. साथ ही, ऐसा भी हो सकता है कि वह आईएमएफ की शरण में चला जाए. आपको बता दें कि इससे पहले 2013 में पाकिस्तान आईएमएफ की शरण में गया था, तब उसने पाक को 6.7 अरब डॉलर की सहायता दी थी. बताते चलें कि पाकिस्तान पर करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज पहले से ही है.

क्यों 10 हफ्ते की बात सही हो सकती है?

पाकिस्तान में अर्थव्यवस्था के बारे में बच्चो को पढ़ाते समय अक्सर जर्मनी और फ्रांस के बीच हुए एग्रिमेंट्स के साथ-साथ अमेरिका और कनाडा के बीच हुए आर्थिक समझौतों को उदाहरण दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये समझौते सफल रहे और इनमें दोनों पार्टियों को लाभ हुआ. पाकिस्तान और चीन के बीच सीपीईसी को लेकर हुआ समझौता भी दोनों देशों को वैसा ही फायदा दे, इसके आसार जरा कम नजर आते हैं. बात जर्मनी-फ्रांस की हो या अमेरिका-कनाडा की, दोनों की सूरतों में देशों की स्थिति लगभग एक जैसी थी और उन्होंने एक दूसरे की मदद की थी. लेकिन पाकिस्तान और चीन के मामले में ऐसा नहीं है. एक ओर पाकिस्तान की हालत पहले से ही खस्ताहाल है, वहीं चीन एक ताकतवर देश बनकर उभरा है. जब अमेरिका ने पाकिस्तान को हथियारों की मदद नहीं दी, तो चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान को वो मदद मुहैया करा दी. खुद को हथियारों के मामले में आगे दिखाने की होड़ में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज में डूब चुकी है. ऐसे में पाकिस्तान के पास महज 10 हफ्तों की मुद्रा होने वाली बात एक हद तक सही भी लगती है.

हथियारों के मामले में पाक कितना ताकतवर?

भले ही पाकिस्तान की हालत कितनी भी खस्ता हो, भले ही उसका रुपया भारत के मुकाबले कमजोर हो, भले ही पाकिस्तान में खाने के लाले पड़ जाएं, लेकिन उसके पास हथियारों का जो जखीरा है वो भारत को चिंता में डालने के लिए काफी है. भारत के एक चौथाई हिस्से से भी कम क्षेत्रफल वाले पाकिस्तान के पास भारत से भी अधिक परमाणु हथियार हैं. भारत के पास करीब 110-120 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 120-130 परमाणु हथियार हैं. रूस और अमेरिका इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. अब सोचिए, जब पाकिस्तान ने अपना सारा पैसा हथियार खरीदने में ही लगा दिया तो अर्थव्यवस्था तो डामाडोल होगी ही.

कैसे हो गई पाक की ये हालत?

पाकिस्तान की ये हालत होने का सबसे बड़ा कारण दुनिया भर में पाकिस्तानी उत्पादों की घटती मांग है. या ऐसा भी हो सकता है कि पाकिस्तानी उत्पाद दूसरे विदेशी उत्पादों के सामने टिक नहीं पा रहे हैं. यहां और भी खराब स्थिति ये है कि खुद पाकिस्तान में भी पाकिस्तानी इंडस्ट्रीज अपने उपभोक्ताओं के सामने पिछड़ती हुई सी दिख रही हैं.

इतना ही नहीं, पाकिस्तान में आयकर देने वालों की संख्या भी बेहद कम है. 2007 में 21 लाख लोगों ने आयकर बढ़ा था. अब 2017 में यह संख्या बढ़ने के बजाय घटकर सिर्फ 12 लाख 60 हजार रह गई है. इन सबकी वजह से पाकिस्तान का व्यापारा घाटा 33 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. विदेशों में नौकरी करने वाले लोगों से देश में आने वाले पैसे में भी गिरावट दर्ज की गई है.

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