New

होम -> सियासत

बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 15 मई, 2022 06:41 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

नवनीत राणा (Navneet Rana) अपने पति के साथ मुंबई से दिल्ली पहुंच चुकी हैं, लेकिन निशाने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) बने हुए हैं. मुंबई में मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का जाप करने से वंचित रहीं, नवनीत राणा ने दिल्ली के कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ किया है. नवनीत राणा के साथ उनके पति रवि राणा और कुछ समर्थक भी मंदिर गये थे. राणा दंपत्ति नॉर्थ एवेन्यू के आवास से मंदिर पहुंचने के लिए पदयात्रा भी किया.

ये वही हनुमान मंदिर है जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जाने के बाद दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने धुलवाया था. दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल के भी टीवी पर हनुमान चालीसा पढ़ने की खासी चर्चा रही. चुनाव नतीजे आये तो अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की सत्ता में वापसी के लिए 'हनुमान जी थैंक य' भी बोला था - अभी तो ऐसा नहीं लगता, लेकिन आगे चल कर उद्धव ठाकरे की ही तरह अरविंद केजरीवाल भी नवनीत राणा के निशाने पर आ सकते हैं क्या?

नवनीत राणा और उनके पति को मुंबई पुलिस ने 23 अप्रैल को उनके खार वाले घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह की धारा 124A के तहत केस दर्ज किया था. फिलहाल पति-पत्नी दोनों जमानत पर छूटे हुए हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से राजद्रोह के मामले होल्ड पर हैं.

दिल्ली में फिलहाल डेरा डाले राणा दंपत्ति अब तक केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले और स्पीकर ओम बिड़ला से मिल चुके हैं और ससंद की विशेषाधिकार समिति से मिल कर भी शिकायत दर्ज कराने वाले हैं. जेल से रिहा होने के बाद विधायक रवि राणा ने कहा था कि वो दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर पूरी दास्तां सुनाएंगे और उनकी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ कड़े एक्शन की मांग करेंगे.

मीडिया के सामने दिल्ली में नवनीत राणा ने ये भी दावा किया कि राणा-दंपत्ति किसी के रिमोट कंट्रोल (BJP Remote Control) से नहीं चलता. बहुत अच्छी बात है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर उद्धव ठाकरे से कौन सी दुश्मनी है जो महाराष्ट्र के लोगों को उनसे मुक्ति दिलाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ कर रही हैं? अमरावती लोक सभा सीट पर चुनाव में तो शिवसेना उम्मीदवार को ही हराया था - और मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा के पाठ का ऐलान-ए-जंग टाइप घोषणा भी खुद ही की थी.

बीजेपी के रिमोट कंट्रोल से दिक्कत क्या है?

अमरावती से सांसद नवनीत राणा के तेवर भी उद्धव ठाकरे के खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता राज ठाकरे से मिलते जुलते हैं, स्टाइल में थोड़ा फर्क जरूर है - और यही वजह है कि दोनों नेताओं के पीछे बीजेपी के रिमोट कंट्रोल होने के कयास लगाये जाते रहे हैं. शिवसेना भी हिंदुत्व की राजनीति से ही सत्ता में पहुंची है, लेकिन कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के बाद बीजेपी से तकरार होने लगी है - अब लड़ाई इस बात को लेकर चल रही है कि असली हिंदुत्व की राजनीति बीजेपी करती है या शिवसेना. दोनों ही अपने अपने तरीके से कदम कदम पर एक दूसरे को शिकस्त देने की कोशिश करते रहे हैं.

लगता है नवनीत राणा बीजेपी के रिमोट कंट्रोल पर काम करने वाली तोहमत से असहज होने लगी हैं और पीछा छुड़ाने का फैसला कर लिया है. ऐसी ही कोशिश के तहत दिल्ली में मीडिया से बातचीत में नवनीत राणा ने दावा किया कि 'राणा दंपत्ति' किसी के रिमोट कंट्रोल से नहीं चलाता - और आगे ये भी जोड़ दिया कि 'बीजेपी के भी नहीं.'

navneet rana, ravi rana, uddhav thackerayनवनीत राणा हनुमान चालीसा चैलेंज देकर उद्धव ठाकरे के हिंदुत्व पर सवालिया निशान भी लगा रही हैं - और कहती हैं कि वो बीजेपी के रिमोट कंट्रोल से नहीं चलते!

भला बीजेपी के रिमोट कंट्रोल से दिक्कत क्या है. राजनीति तो चल ही रही है और उसके लिए बीजेपी में शामिल होने की भी जरूरत नहीं है. अगर किसी को किसी की विचारधारा पसंद आ रही है तो किसी को भला दिक्कत क्यों होगी? लेकिन जब एक्शन और बयान अलग अलग बताये जाएंगे तो शक होना भी स्वाभाविक है.

ये तो उद्धव ठाकरे की सरकार को लेकर भी रिमोट कंट्रोल की बातें होती हैं. कहते हैं कि महाराष्ट्र की मौजूदा गठबंधन सरकार का रिमोट कंट्रोल एनसीपी नेता शरद पवार के पास रहता है, उद्धव ठाकरे तो बस मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते भर हैं. वैसे भी उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनने की सलाह शरद पवार ने ही दी थी, फिर दिक्कत क्या है?

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्य तौर पर दो गठबंधन मैदान में थे - एक तरफ बीजेपी-शिवसेना और दूसरी तरफ कांग्रेस-एनसीपी. बाद में शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ कर नया गठबंधन बना लिया. अब एक तरफ अकेले बीजेपी है और दूसरी तरफ शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी का सत्ताधारी गठबंधन.

महाराष्ट्र में गठबंधन की बहुमत वाली सरकार है. ये जनता की ही चुनी हुई सरकार है. मतलब, फिलहाल गठबंधन सरकार को महाराष्ट्र के लोगों का मैंडेट हासिल है, लेकिन नवनीत राणा उसी सरकार को उखाड़ फेंकने की मुहिम चला रही हैं.

ये तो सीधे सीधे बीजेपी के फायदे वाली बात होगी. ऑपरेशन लोटस को लेकर निशाने पर आने से बचने के लिए बीजेपी उद्धव ठाकरे सरकार को हटाकर सत्ता हासिल करने के लिए पॉलिटिकल बायपास की मदद लेने की कोशिश कर रही है. नवनीत राणा भी वही सब कर रही हैं जो राज ठाकरे कर रहे हैं - मतलब, वो सारे काम जिनसे बीजेपी को फायदा मिलने की संभावना हो.

फिर नवनीत राणा कैसे दावा कर सकती हैं कि वो बीजेपी के रिमोट कंट्रोल से नहीं चलतीं? मुसीबत की घड़ी में साथ के नाम पर भी पूरे महाराष्ट्र से बीजेपी नेता किरीट सोमैया और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बाद सिर्फ आरपीआई नेता रामदास आठवले का सार्वजनिक तौर पर सपोर्ट मिला है. साफ है कि एक ही पक्ष नवनीत राणा के साथ है, जो उद्धव ठाकरे का विरोधी है.

आठवले ने नवनीत को दिया SC सर्टिफिकेट: केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने अपनी तरफ से नवनीत राणा को अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट जारी कर दिया है - जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल 22 जून को नवनीत राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था. वही बॉम्बे हाई कोर्ट जहां से नवनीत राणा को राजद्रोह के केस में जमानत मिली है. हाई कोर्ट ने नवनीत राणा के बयान को तो भड़काऊ माना है, लेकिन पुलिस केस को सही नहीं माना है. मुकदमा जारी है - हाई कोर्ट के फैसले को नवनीत राणा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है.

दिल्ली में नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा ने रामदास आठवले से मुलाकात भी की है. नवनीत राणा के सपोर्ट में रामदास आठवले कह रहे हैं, 'अमरावती की सांसद नवनीत राणा हमारे दलित समुदाय से हैं... उनके साथ अन्याय हुआ है... मैं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से इस अन्यायपूर्ण व्यवहार की निंदा करता हूं.'

विशेषाधिकार समिति के सामने नवनीत राणा की पेशी: 23 मई, 2022 को नवनीत राणा संसद की प्रिविलेज्ड कमेटी के सामने हाजिर होना है, जहां उनको मुंबई के पुलिस कमिश्नर और मुख्यमंत्री के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करानी है.

अपनी लड़ाई को नवनीत राणा अब आजादी के आंदोलन से जोड़ कर पेश करने लगी हैं, 'जिन महान नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था उनके खिलाफ अंग्रेजों ने राजद्रोह की धारा लगाई थी... संसद मे कानून पर अगर बदलाव के लिए बिल लाया जाता है तो मैं उसका समर्थन करूंगी... हम लड़ने वालों में हैं, डरने वालों में नहीं... मैं 23 मई को विशेषाधिकार समिति के सामने अपनी बात रखूंगी.'

उद्धव ठाकरे को नवनीत की नयी चुनौती

कनॉट प्लेस वाले पुराने हनुमान मंदिर जाने से पहले मीडिया से बातचीत में नवनीत राणा ने बताया कि जब वो जेल में थीं तो रोज 101 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया करती थीं. वैसे भक्ति भाव से हनुमान की आराधना करने वाले लोग खास मौके पर 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया करते हैं. ऐसा तब भी लोग करते हैं जब ज्योतिषी कुंडली देख कर शनि ग्रह की महादशा या साढ़ेसाती डायग्नोज करते हैं - नवनीत राणा ने 101 बार हनुमान चालीसा का पाठ कुछ सोच समझ कर ही किया होगा या हो सकता है किसी ज्योतिषी ने ही राजनीतिक बाधाओं के लिए 108 की जगह 101 का नुस्खा खोजा हो.

अब हनुमान चालीसा के जरिये नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को नया चैलेंज दिया है. असल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे काफी दिनों बाद मैदान में कोई रैली कर रहे हैं. वैसे तो वर्चुअल रैली वो अक्सर ही करते रहते हैं. माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे बीकेसी मैदान की रैली से सारे राजनीतिक विरोधियों को जवाब दे सकते हैं, जिनमें खास निशाने पर एमएनएस नेता राज ठाकरे और राणा दंपत्ति हो सकते हैं.

नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को भी रैली में हनुमान चालीसा पढ़ने की चुनौती दी है, 'हिम्मत है तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हनुमान चालीसा के साथ अपनी रैली शुरू करें...' - और ऐसा नहीं कर पाने की सूरत में एक खास सलाह भी दे डाली है, '...नहीं तो औरंगजेब की कब्र पर जाकर फूल चढ़ायें.'

नवनीत राणा ने ये कहते हुए भी उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार पर हमला बोला है कि औरंगजेप की कब्र पर फूल चढ़ाने वालों का स्वागत होता है - और हनुमान चालीसा पढ़ने वालों पर राजद्रोह का चार्ज लगता है. नवनीत राणा का ये कटाक्ष, दरअसल, AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के हाल ही में औरंगाबाद में औरंगजेब की कब्र पर फूल चढ़ाने को लेकर है. ये मामला भी महाराष्ट्र की राजनीति बहस का मुद्दा बना हुआ है. बीजेपी की तरफ से अकबरूद्दीन ओवैसी के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज करने की मांग होने लगी है.

इन्हें भी पढ़ें :

नवनीत राणा तो जेल से लौट आयीं - उद्धव ठाकरे का मकसद पूरा हो पाया क्या?

हनुमान चालीसा मुहिम से उद्धव ठाकरे की राजनीति कहां तक प्रभावित हो सकती है?

Navneet Kaur Rana राजनीति में आने से पहले सिनेमा में भी नाम कमा चुकी हैं!

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय