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Updated: 24 अप्रिल, 2022 09:29 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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महाराष्ट्र में लोहे से लोहे को काटने की कोशिश हो रही है. अगर कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली शिवसेना के खिलाफ हनुमान चालीसा को हथियार बनाया जाने लगे, तो भला और क्या कहा जा सकता है?

मुख्यमंत्री बनने के बाद से उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर बने हुए हैं. उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे तो राजनीतिक तौर पर उनके जानी दुश्मन हैं ही, सारे तिकड़म आजमा लेने के बाद नये सिरे से अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं - और एक अलग छोर से उद्धव ठाकरे के खिलाफ अमरावती से निर्दल सांसद नवनीत राणा ने भी मोर्चा संभाल लिया है. वो अपने पति रवि राणा के साथ मिल कर हनुमान चालीसा अभियान चला रही हैं.

राज ठाकरे (Raj Thackeray) तो मस्जिदों के सामने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाने की धमकी दी है, नवनीत राणा (Navneet Rana) तो मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का जाप करने पर आमादा हैं - और रिएक्शन में शिवसैनिक भी सामने से मोर्चे पर आ डटे हैं.

हाल ही में खबर आयी थी कि मुंबई की 70 फीसदी मस्जिदों में लाउडस्पीकर बंद कर दिये गये हैं - और बाकी जगह आवाज धीमी कर दी गयी है. ये राज ठाकरे की धमकी के असर जैसा ही लगा था. हालांकि, सरकार की तरफ से ये समझाने की कोशिश की गयी कि ये सब सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की वजह से किया जा रहा है.

अब राज ठाकरे अक्षय तृतीया के मौके पर 3 मई को महाआरती की तैयारी कर रहे हैं. मुंबई पुलिस ने संभावित स्थिति को देखते हुए किसी तरह की आशंका से निबटने के लिए पहले से ही बंदोबस्त किया हुआ है. पुलिस ने तो नवनीत राणा को CrPC की धारा 149 के तहत नोटिस देकर शांति बनाये रखने और कानून-व्यवस्था लागू करने में बाधक न बनने की सलाह दे रखी है.

वैसे काफी दिनों बाद शिवसैनिकों को भी अलग अंदाज में देखा जा रहा है. वे पहले की तरह उग्र रूप तो नहीं लिये हैं, लेकिन नवनीत राणा के खार इलाके में पहुंच कर उनका घर से बाहर निकलना रोक दिया है. शिवसैनिकों के साथ राज्य सभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी भी पहुंच गयीं और कहा कि शिवसेना ने नवनीता राणा का चैलेंज स्वीकार कर लिया है - क्या ऐसा करके शिवसेना पुराने दिनों की तरफ लौटने के संकेत दे रही है?

उद्धव के लिए शिवसैनिकों ने मोर्चा संभाला

नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा के जाप के लिए सुबह 9 बजे का वक्त दिया था - और तय वक्त से पहले ही शिवसैनिकों का हुजूम राणा दंपति के घर के सामने जुट गया और हंगामा करने लगे.

navneet rana, uddhav thackeray, raj thackerayमौजूदा राजनीतिक मुकाबले में बने रहने के लिए शिवसेना के पास पुराने अंदाज में लौट जाने का ही विकल्प बचा है

पुलिस ने मातोश्री के आस पास सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया था. नवनीत राणा के घर पर भी पुलिस पहुंची हुई थी, लेकिन शिवसैनिक बैरिकेडिंग तोड़ कर आगे बढ़ गये - और नारेबाजी करने लगे. शिवसैनिकों को कंट्रोल करने के लिए मुंबई पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ रही थी.

शिवसैनिकों के साथ पहुंची सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बताया - हम लोगों ने राणा दंपति का चैलेंज स्वीकार कर लिया है... आइये, हम आपको रास्ता दिखाएंगे - और कोल्हापुरी मिर्ची और वड़ा पाव खिलाकर स्वागत करेंगे.

ये देख कर नवनीत राणा कहने लगीं कि सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है. हमें घर से बाहर जाने से रोका जा रहा है. पुलिस दरवाजे के बाहर खड़ी है. अगर हनुमान चालीसा के लिए परमीशन लेनी पड़े तो ये दुर्भाग्य है.

राणा का वीडियो मैसेज: घर के बाहर शिवसैनिकों के हंगामे के बाद नवनीत राणा ने सोशल मीडिया के जरिये एक वीडियो शेयर किया है - और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को उनके पिता बाला साहेब ठाकरे की याद दिलायी है.

नवनीत राणा का कहना है, अगर ये बाला साहेब के शिवसैनिक होते तो हमें मातोश्री जाने की अनुमति मिल जाती... हमारे घर पर हमला हो रहा है, शिवसैनिकों ने गुंडागर्दी की है... पुलिस ने रोकने का प्रयास नहीं किया.'

नवनीत राणा के पति रवि राणा का इस मुद्दे पर कहना है, 'वे हमें रोक नहीं सकते... हमें राम भक्त देख रहे हैं... चाहे कुछ भी हो जाये, हम जाएंगे मातोश्री.'

नवनीत और उनके विधायक पति रवि राणा की तरफ से दावा किया गया कि अमरावती में उनके घर पर हमला किया गया है. घर में उनके बच्चे हैं और अगर कुछ होता है तो उद्धव ठाकरे जिम्मेदार होंगे.

संजय राउत ने राणा दंपति को बंटी-बबली बताया: नवनीत राणा के घोषणा को देखते हुए बड़ी संख्या में शिवसैनिकों ने मातोश्री के बाहर भी मोर्चा संभाल लिया था. हालांकि, उद्धव ठाकरे ने उनको समझाया है कि ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. उद्धव ठाकरे ने शिवसेना नेताओं के साथ बैठक की और स्थिति की समीक्षा की. बाद में बाहर निकल कर आये और शिवसैनिकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया - और अपने अपने घर लौट जाने की अपील की.

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने तो राणा दंपति को बंटी और बबली की जोड़ी ही करार दिया है. नागपुर में मीडिया से संजय राउत ने कहा, हमें कानून के बारे में मत बताओ... मातोश्री में प्रवेश करने की किसी की हिम्मत नहीं है... आप किसी और के समर्थन से हमारे मातोश्री में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं, तो शिव सैनिक आक्रामक होगा... शिवसैनिक चुप नहीं रहेगा.'

पहले महाआरती, फिर अयोध्या दर्शन : हनुमान चालीसा अभियान का असर देख कर राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना आगे की रणनीति के हिसाब से तैयारी कर रही है - और अगले चरण का कार्यक्रम अयोध्या के लिए बना है.

मनसे की एक मीटिंग में मुंबई में 3 मई की महाआरती की तैयारियों की समीक्षा की गयी - और 5 जून को अयोध्या में राम लला के दर्शन पर भी बातचीत हुई है.

अब तक देखने में ये आया है कि अपनी हिंदुत्व की राजनीति को मजबूती देने के लिए उद्धव ठाकरे अयोध्या का दौरा करते रहे हैं. 2019 के आम चुनाव के बाद जब वो शिवसेना सांसदों के सात अयोध्या गये थे तब तो बीजेपी के साथ गठबंधन था, लेकिन गठबंधन टूट जाने के बाद वो अपनी गठबंधन सरकार के 100 दिन पूरे होने पर भी अयोध्या पहुंचे थे - और सरकार के सौ दिन पूरे होने का जश्न वहीं मनाया था.

बाकी विरोधियों को तो बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर ठिकाने लगा ही देती है, लेकिन शिवसेना के साथ ऐसा करना मुश्किल हो रहा था. अब जबकि राज ठाकरे और नवनीत राणा ने शिवसेना नेतृत्व पर सीधा हमला बोल दिया है, बीजेपी काफी राहत महसूस कर रही होगी.

शिवसेना की हिंदू-पॉलिटिक्स निशाने पर

राणा दंपति के कैंपेन को भी शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने राज ठाकरे जैसा ही करार दिया है. राज ठाकरे को संजय राउत बीजेपी का भोंपू बता ही चुके हैं, नवनीत राणा और उनके पति को बंटी-बबली बता रहे हैं और यहां तक कि सी-ग्रेड एक्टर तक कह चुके हैं. कहते हैं कि ये पूरी स्टंटबाजी है - और बीजेपी अब ऐसे सी-ग्रेड फिल्म स्टार... ऐसे स्टंटबाज को खुद की मार्केटिंग में इस्तेमाल कर रही है.'

शिवसेना प्रवक्ता का कहना है कि हमको मालूम है हिंदुत्व क्या है... मार्केटिंग करने के लिए ऐसे लोगों की जरूरत बीजेपी को है - हिंदुत्व को मार्केटिंग की जरूरत नहीं है.

संजय राउत चाहे लाख दावे करें, लेकिन एक-दो बार नहीं, बल्कि बार बार ये देखा गया है कि शिवसेना नेतृत्व किस कदर सतर्कता बरत रहा है. उद्धव ठाकरे की कोशिश है कि वो अपने हिंदुत्व के उदार भाव के साथ राजनीति करें और बीजेपी से मुकाबले में कहीं कमजोर न पड़ें.

बीजेपी सवाल ऐसे उठा रही है कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल की एनसीपी और कांग्रेस जैसी पार्टी से गठबंधन हो ही नहीं सकता. हो सकता है बीजेपी ये जताने की कोशिश कर रही हो कि कैसे उसने सेक्युलर छवि वाले नीतीश कुमार को हिंदुत्व के खांचे में लाकर फिट कर दिया है. विडंबना ये है कि जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के साथ सरकार चलाने में वो जिस महानता का प्रदर्शन करती रही, ठीक उसी बात को शिवसेना के मामले में अपने वोट बैंक के सामने घटियापन के तौर पर पेश कर रही है.

हाल फिलहाल उद्धव ठाकरे के एक फैसले को लेकर हैरानी हुई है - सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ 13 दलों की तरफ से केंद्र सरकार को लिखे गये पत्र पर उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर नहीं देखने को मिले. उसमें शरद पवार ने तो दस्तखत किये ही थे, सोनिया गांधी की पहल पर लिखी चिट्ठी पर अपने हालिया मतभेदों को किनारे रखते हुए ममता बनर्जी ने भी साइन किया था.

असल बात तो ये है कि महाराष्ट्र की राजनीति में मौजूदा लड़ाई निगमों के चुनावों को लेकर हो रही है, भले ही नजर भविष्य में उद्धव ठाकरे और उनके साथियों को को सत्ता से बेदखल करने पर हो. शिवसेना ने तो बीजेपी के साथ आमने सामने की लड़ाई ठान ली है, लेकिन बीजेपी नेतृत्व ऐसा करने से बच रहा है. शायद तब तक जब तक कि राज ठाकरे महाराष्ट्र में अपने सपोर्ट बेस का बीजेपी को भरोसा नहीं दिला देते.

सड़क पर शिवसैनिक - क्या इशारा समझें? उद्धव ठाकरे हिंदुत्व की राजनीति के जरिये ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं. हिंदुत्व की वही राजनीति जिसके लिए शिवसेना जानी जाती रही है. लेकिन शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे और उनके बेटे उद्धव ठाकरे की राजनीति में काफी फर्क महसूस किया जाता है. अपने हाथ में कमान आते ही उद्धव ठाकरे ने कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करती आ रही शिवसेना को उदार हिंदुत्व की राजनीति की तरफ मोड़ दिया - और यही वजह रही कि 2019 में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ कर शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन के खांचे में फिट हो पायी.

उद्धव ठाकरे की हिंदुत्व की राजनीति का यही स्वरूप उनके लिए मुसीबतों की वजह बन गया है. बार बार उनको अपना हिंदुत्व साबित करने के लिए चैलेंज किया जाने लगा है. यहां तक कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी चिट्ठी लिख कर कटाक्ष कर चुके हैं, "क्या आपने हिंदुत्व छोड़ दिया है और धर्मनिरपेक्ष हो गये हैं?"

उद्धव ठाकरे के राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड की याद दिलाकर राज्यपाल कोश्यारी अपने पत्र के जरिये कह चुके हैं, 'आप हमेशा ही हिंदुत्व की आवाज रहे... आपने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में राम मंदिर जाकर अपनी श्रद्धा का परिचय दिया था... क्या आप अचानक से खुद भी सेक्युलर हो गये - वो एक शब्द जिससे आप नफरत करते थे.'

जवाबी पत्र में उद्धव ठाकरे ने लिखा था, 'मेरे हिंदुत्व को आपके प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है... क्या आप अचानक से खुद भी सेक्युलर हो गये हैं... आपको ऐसा सवाल क्यों पूछना है? क्या ये आपको स्वीकार्य नहीं है?'

अभी हुए उपचुनाव के दौरान भी उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को कोल्हापुर उत्तर सीट पर शिवसेना की हार के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया. ये तब की बात है जब शिवसेना का बीजेपी के साथ गठबंधन था. उपचुनाव में गठबंधन की उम्मीदवार जयश्री जाधव की जीत हुई है.

तब उद्धव ठाकरे ने कहा था, 'बीजेपी के पास हिंदुत्व का पेटेंट नहीं है... मुझे आश्चर्य है कि अगर भगवान राम का जन्म नहीं हुआ होता तो बीजेपी राजनीति में कौन सा मुद्दा उठाती... चूंकि बीजेपी के पास मुद्दों की कमी है इसलिए वो धर्म और नफरत पर बात कर रही है.'

शिवसैनिक जिस तरह नवनीत राणा के खिलाफ सड़क पर उतरे हैं, उद्धव ठाकरे के लिए कंगना रनौत के तू-तड़ाक करने पर भी शांत रहे - क्या बीजेपी शिवसेनिकों को ऐसा करने के लिए भड़का रही है? क्या नये मुकाबले के लिए शिवसेना को पुराने अंदाज में सड़क पर उतरना पड़ेगा? और ये सब हुआ तो क्या कांग्रेस और एनसीपी, शिवसेना के साथ रह पाएंगे? क्या बीजेपी राज ठाकरे और राणा दंपति की पीठ पर ये सोच कर ही हाथ रखे हुए है?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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