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Updated: 23 दिसम्बर, 2018 06:24 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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मोदी सरकार ने जनता को नए साल पर देने के लिए तोहफा तैयार कर लिया है. 22 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की 31वीं बैठक हुई, जिसमें करीब 33 वस्तुओं की जीएसटी दरों पर चर्चा हुई. इस बैठक में सरकार ने कुल 23 चीजों पर लगने वाली जीएसटी की दरों में कटौती की है. इन प्रोडक्ट्स को अब निचली दरों में शामिल किया गया है. जिन प्रोडक्ट्स पर जीएसटी में कटौती की गई है, उनमें टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन, पुराने टायर, पावर बैंक, फ्रोजन सब्जियां और सोलर पावर प्लांट जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं.

इनमें सबसे अहम है मूवी टिकट पर जीएसटी में हुई कटौती, जो चर्चा का विषय बनी हुई है. अब 100 रुपए से कम की मूवी टिकट पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जो पहले 18 फीसदी लगता था. वहीं दूसरी ओर, 100 रुपए से अधिक की मूवी टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा, जो पहले 28 फीसदी था. लेकिन इसी बीच में कुछ ऐसी भी चीजों पर जीएसटी घटाई गई है, जिनका कोई महत्व नहीं दिखता. यूं लगता है मानो सिर्फ प्रोडक्ट के नंबर बढ़ाने के लिए इन पर जीएसटी घटा दी गई है. अगर उन पर जीएसटी नहीं भी घटाई जाती तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता. चलिए देखते हैं इन चीजों की लिस्ट.

जीएसटी, मोदी सरकार, टैक्ससरकार ने कुल 23 चीजों पर लगने वाली जीएसटी की दरों में कटौती की है.

इन पर GST घटाना बेकार

म्यूजिक बुक्स

जीएसटी काउंसिल की बैठक में मोदी सरकार ने म्यूजिक बुक्स पर जीएसटी रेट घटा दिया है. अभी तक इन पर 5 फीसदी का जीएसटी लगता था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है. आखिर म्यूजिक बुक्स खरीदते ही कितने लोग हैं? आम जनता के फायदे की बात करते हुए म्यूजिक बुक्स को 5 फीसदी से NIL की कैटेगरी में डालना सिर्फ नंबर बढ़ाने वाली बात है. वहीं दूसरी ओर, इससे सरकार को होने वाली आमदनी भी बेहद कम होगी, जिसके चलते यह फैसला आसानी से लिया गया और सीमेंट जैसी अहम चीज को नकार दिया गया.

वीडियो गेम्स

जब बात आम आदमी को होती है तो हम एक नागरिक की जरूरतों के बार में सोचते हैं ना कि उसकी लग्जरी के बारे में. सरकार ने वीडियो गेम कंसोल और अन्य गेम्स पर भी जीएसटी को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया है. आम आदमी को इन सब पर छूट की जरूरत नहीं है, बल्कि अगर उसके मोबाइल बिल पर लगने वाले जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर कम कर देते तो जनता अधिक खुश होती. वीडियो गेम्स भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली चीज नहीं है, इसलिए भी सरकार ने इस पर जीएसटी घटाई है, ताकि उनकी आमदनी पर कोई खास असर ना पड़े और ये भी हो जाए कि प्रोडक्ट्स की लिस्ट में एक नाम और भी जुड़ गया.

डीएसएलआर और वीडियो कैमरा

ये भी ऐसी ही चीजें हैं, जिनकी आम आदमी को जरूरत नहीं होती है. या तो इसे वो लोग खरीदते हैं, जो फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी का बिजनेस करना चाहते हैं, या फिर लोग इन्हें शौकिया तौर पर खरीदते हैं. जो लोग बिजनेस के काम से कैमरे खरीदते हैं, उन्हें 10 फीसदी की छूट से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, ना ही शौकिया लोगों को इसकी कीमत लुभाएगी. साथ ही डीएसएलआर और वीडियो कैमरे ऐसी चीजें नहीं हैं, जिनकी आम जनता को बहुत जरूरत रहती है. अब सरकार इन पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर तो दी है, लेकिन इससे आम जनता को कोई बड़ा फायदा होता नहीं दिख रहा है.

इन्हें 28% जीएसटी में लाया ही क्यों गया था?

वॉकिंग स्टिक

कुछ ऐसे भी प्रोडक्ट हैं, जो यूं लगता है मानो सरकार ने सिर्फ इसलिए हाई कैटेगरी में रखे थे, ताकि कुछ दिन बाद उसे कम कर के अपनी पीथ थपथपाई जा सके और जनता को जता देंगे कि उन पर अहसान कर दिया गया है. जैसे वॉकिंग स्टिक. इसको सरकार ने 12 फीसदी के ब्रैकेट से निकालकर अब 5 फीसदी के ब्रैकेट में रख दिया है. आखिर वॉकिंग स्टिक का इस्तेमाल कौन करेगा? बेशक बुजुर्ग लोग. बुजुर्गों के इस्तेमाल की चीज पर तो सरकार को जीएसटी लगानी ही नहीं चाहिए थी. इसे 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी की कैटेगरी में डाला है, जबकि शुरू से ही इसे NIL की कैटेगरी में रखना उचित होता.

व्हीलचेयर

सरकार ने दिव्यांग लोगों को ले जाने वाली चीजों जैसे- व्हीलचेयर के पार्ट और एसेसरीज पर लगने वाली जीएसटी भी 28 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है. सवाल यही है कि जिन दिव्यांगों को हर जगह छूट दी जाती है, ताकि वह सामान्य लोगों जितने सक्षम ना हो पाने के बावजूद समाज में सिर उठाकर जी सकें और अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकें, ऐसे लोगों के इस्तेमाल की चीज को 28 फीसदी जीएसटी की कैटेगरी में रखा ही क्यों गया. अब जब सरकार ने इस पर जीएसटी घटाकर अपनी पीठ थपथपा ही ली है तो इसे NIL की कैटेगरी में डालना चाहिए था, ताकि दिव्यांग लोगों के कम पैसे खर्च हों और वह अपना जीवन बेहतर बना सकें.

इस बार हुई बैठक में सबसे अहम था सीमेंट पर जीएसटी दर कम करना, लेकिन सरकार ने उस ओर ध्यान ही नहीं दिया. मोदी सरकार खुद भी यही चाहती है कि हर किसी के पास अपना घर हो, लेकिन घर बनाने में बेहद अहम चीज सीमेंट पर 28 फीसदी जीएसटी लगाया जा रहा है. सीमेंट ऐसी चीज है जो आम जनता घर बनाने के लिए इस्तेमाल करती है, लेकिन सरकार ने इस पर जीएसटी नहीं घटाकर कैमरा, वीडियो गेम, म्यूजिक बुक्स जैसी चीजों पर जीएसटी दरें घटाईं. दरअसल, ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि सरकार की सिर्फ सीमेंट पर लगने वाले जीएसटी से 13000 करोड़ रुपए की कमाई होती है. ऐसे में अगर इसे 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी की कैटेगरी में भी डालते तो सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. ऐसे में सरकार ने उन चीजों (कैमरा, वीडियो गेम, म्यूजिक बुक्स) पर जीएसटी घटाकर ध्यान भटका दिया, जो कुछ खास काम की नहीं थीं और जो (सीमेंट) सबके काम आता, उस पर कोई कटौती ही नहीं की गई.

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