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Updated: 15 नवम्बर, 2019 08:54 PM
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महाराष्‍ट्र में अब साझा सरकार की जो तस्वीर दिखायी जा रही है, उसके मुताबिक शिवसेना को मुख्यमंत्री पद पांच साल के लिए मिल सकता है. NCP और कांग्रेस दोनों के एक एक डिप्टी सीएम का पद और मंत्रियों के बंटवारे का फॉर्मूला - 14:14:12. ऊपर से तो लगता है जो शिवसेना आधे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए तरस रही थी, उसे पूरे पांच साल मिलेंगे. मतलब, पाला बदलने से डबल फायदा हुआ. सत्ता की कुर्सियों पर सहमति के साथ साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में शिवसेना ने कम से कम दो मामलों में बड़ा समझौता किया है - और ये बात भी शरद पवार की रणनीतिक राजनीति के पक्ष में ही जाती है.

1. मुस्लिम आरक्षण: कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करती आयी शिवसेना के लिए मुस्लिम हितों की के मसले पर समझौता करना काफी मुश्किल कदम है. फिर भी तीनों पार्टियों की मीटिंग में शिवसेना शिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण देने पर राजी हो गयी है. ये शिवसेना का पीछे हटने का बड़ा कदम है.

मुस्लिमों के शिक्षा में आरक्षण देने की ये कांग्रेस-एनसीपी की पिछली सरकार के दौरान शुरू हुई थी, लेकिन बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार आने के बाद ये स्कीम खटाई में पड़ गयी.

2. सावरकर को भारत रत्न: बीजेपी को काउंटर करने के मकसद से शिवसेना ने विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग रखी थी. बीजेपी ने तो सरकार बनने पर ऐसा करने का वादा भी कर रखा था. ये मसला भी शिवसेना की तरफ से बड़ा समझौता है क्योंकि वो काफी हद तक मान गयी है कि सावरकर को भारत रत्न देने की जिद छोड़ देगी.

अब तो सब साफ साफ नजर आ रहा है कि महाराष्ट्र की हालिया सियासत में किसकी की सबसे ज्यादा चल रही है. शिवसेना वही कर रही है जो शरद पवार कह रहे हैं. कांग्रेस भी शरद पवार के बताये रास्ते पर ही बढ़ रही है. जब शरद पवार कांग्रेस कहते हैं रुक जाओ तो रुक जाती है - और जब चलने को कहते हैं तो चल देती है.

sonia gandhi, sharad pawar, uddhav thackerayआंकड़ों में शिवसेना बराबर, लेकिन सियासत में पीछे रह गयी

ऐसे में कोई दो राय है क्या कि सरकार पर दबदबा शरद पवार का ही रहेगा - मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई शिवसैनिक ही क्यों न बैठा हो. बेशक महाराष्ट्र का सीएम मातोश्री से होगा, लेकिन सरकार का रिमोट कंट्रोल तो शरद पवार के हाथ में ही होगा.

साझा कार्यक्रम पर सहमति बनी, मुहर का इंतजार

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सरकार चलाने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम (CMP) का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें 40 बिंदुओं पर सहमति बनी है. खास बात ये है कि इसमें तीनों पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल मुद्दों को ही तरजीह दी गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि CMP कोई चुनावी घोषणा पत्र नहीं है, बल्कि ये एक स्वच्छ और पारदर्शी प्रशासन के लिए तैयार किया गया एक्शन प्लान है - और हां, सारे विवादित मुद्दों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है.

1. सभी दलों ने अपने मैनिफेस्टो में रोजगार के मौके मुहैया कराने का वादा किया था, CMP में इसे विशेष रूप से जगह देते हुए एक्शन प्लान बनाने की बात शामिल की गयी है. महाराष्ट्र में बंद हुए उद्योग-धंधों को फिर से बहाल किये जाने का प्रस्ताव है क्योंकि माना गया कि इसी के चलते काफी लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है.

3. चुनाव नतीजे आने के बाद सबसे ज्यादा मुलाकातें किसानों के नाम पर हुईं. शुक्र है किसानों के मुद्दों पर खास जोर देने की भी साझा कार्यक्रम में बात है.

4. राज्य में सूखे के चलते उपजे हालात से निपटने के लिए भी एक्शन प्लान बनाने का प्रस्ताव है.

5. महिलाओं के सशक्तीकरण पर जोर के साथ ही, CMP में जनस्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कदम उठाने की बात पर भी CMP ड्राफ्ट में सहमति बनी है.

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#महाराष्ट्र, #शिवसेना, #एनसीपी, Maharashtra Government Formation, Common Minimum Programme, Cmp

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