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Updated: 14 अक्टूबर, 2022 07:16 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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जनता जब आर्थिक न्याय की मांग करती है, तब उसे किसी दूसरी चीज में उलझा देना चाहिए, नहीं तो वह खतरनाक हो जाती है. परसाई की ये पंक्ति है और उत्तर प्रदेश है और उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर है जहां करवा चौथ का त्योहार किसी के लिए ख़ुशी की अनुभूति है तो कहीं ग़म की वजह है.क्यों ? कारण है कुछ हिंदूवादी संगठनों का अपने को हिंदू ह्रदय सम्राट बताना. त्योहार की आड़ और सनातन संस्कृति का हवाला देकर उन मुसलमानों के व्यवसाय पर चोट करना जिनकी रोजी रोटी ही जुड़ी थी करवा चौथ में मेहंदी लगाने से. एक ऐसे समय में जब यूपी के मुजफ्फरनगर जनपद में हिंदू मुस्लिम तनाव अपने चरम पर है सबसे दिलचस्प पक्ष जनपद की पुलिस का है जो आंख पर पट्टी बांधे हाथ पर हाथ धरे बैठी है और जिसकी नाक के नीचे संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. दरअसल पहले ही हिंदूवादी संगठनों ने करवा चौथ पर हाथों में मेहंदी लगाने वाले मुस्लिम युवकों को चेतावनी दी थी. बाद में हिंदू संगठनों द्वारा शहर के अलग अलग 13 हिस्सों में मेहंदी के सेंटर खोले गए हैं और हिंदू महिलाओं को फरमान जारी किया गया है कि अगर उन्हें मेहंदी लगवानी ही है तो इन सेंटर्स पर  लगवाएं. 

UP, Hindu, Muslim, Karva Chauth, Festival, Controversy, BJP, MLAमुज़फ्फरनगर में जो हो रहा है वो एक समाज के रूप में हमें बहुत पीछे ले जा रहा है

चूंकि दौर कुछ ऐसा है जहां कड़ाई से ज्यादा करछी गर्म है. मामले में हम भाजपा के पक्ष को कैसे भूल जाएं. अक्सर ही अपने विवादित बयानों से अख़बार के तीसरे या चौथे पन्ने पर जगह पाने वाले  भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने कहा कि पहली बात तो मेंहदी घर पर ही लगानी चाहिए, जो हिंदू महिलाएं मुस्लिम लोगों से मेहंदी लगवाती हैं वह सतर्क रहें, इनका इरादा गलत है, मुस्लिम युवक मेहंदी की दुकान खोल कर बैठे हैं, वह गलत है, इनका इरादा लव जिहाद का होता है.

ध्यान रहे करवा चौथ के मद्देनजर मुजफ्फरनगर में अभियान तेज है. यहां हिंदूवादी संगठनों द्वारा मुस्लिम लड़कों को हिंदू महिलाओं के हाथों में मेहंदी लगाने से दूर रखने के लिए बाकायदा अभियान चलाया जा रहा है. भले ही मुजफ्फरनगर में लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार, सुरक्षा न मिले लेकिन अपनी इस पहल के लिए भाजपा विधायक और हिंदूवादी संगठन किस हद तक गंभीर हैं? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हिंदू संगठनों के लोगों ने उन जगहों पर तलाशी अभियान चलाया है, जहां पर महिलाएं मेंहदी लगवा रही थीं.

बताया ये भी जा रहा है कि जो लोग हिंदू महिलाओं के हाथों में मेहंदी लगा रहे थे नाम की पड़ताल के लिए उन लोगों की आईडी तक चेक हुई है. अपने को धर्म का ठेकेदार बताने वाले इन लोगों को ये अधिकार किसने दिया ये बात सोच और समझ के परे है.

भले ही मामले के मद्देनजर पुलिस आंख पर पट्टी बांधे हो लेकिन विपक्ष को समाज को बांटने वाली इस आपदा में राजनीति के भरपूर अवसर दिख गए हैं. मामले को समाजवादी पार्टी ने वैसे ही लिया है जैसा कि उसे लेना चाहिए था. सपा प्रवक्ता नितेंद्र सिंह यादव ने ने कहा कि मुस्लिम दुकानदारों को आईडी चेक करके मेहंदी लगाने से रोकना समाज को बांटने वाला काम है.

सपा के इस आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने तर्क दिया है कि मेहंदी अपने घर पर ही लगाएं या हमारी बहन-बेटियों के द्वारा खोले गए ब्यूटी पार्लर पर लगवाएं, मुस्लिम युवकों से न लगवाएं, अगर हमारी बहन बेटियों के साथ कोई बदतमीजी करेगा तो फिर लठ भी चलेंगे. वहीं भाजपा विधायक ने मुसलमानों को चेतावनी देते हुए कहा है कि आप अपना त्यौहार मनाइए और हम अपना.

सवाल ये है कि क्या ये पूरा मुद्दा भाजपा विधायक के तर्कों जितना ही आसान है? जवाब है नहीं. आज भले ही वो या उनके लोग डरा धमका कर समाज को बांट दें लेकिन यक़ीनन इसके दूरगामी परिणाम कहीं से भी समाज के हित में नहीं हैं. खुद सोच कर देखिये कि नाम या पहचान पूछकर यदि काम होने लगा तो आने वाले वक़्त में स्थिति क्या होगी? क्या इन गतिविधियों से भारत विश्व गुरु बनेगा? जवाब स्पष्ट रूप से नहीं ही है. बाकी धर्म का चोगा ओढ़कर आदमी अपने को खुश करने के लिए कितना स्वतंत्र है? परसाई की ही उस बात से समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि - अंधभक्त होने के लिए प्रचंड मूर्ख होना अनिवार्य शर्त है. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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