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Updated: 11 अप्रिल, 2016 03:44 PM
अरविंद जयतिलक
अरविंद जयतिलक
  @arvind.jaiteelak.9
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आखिरकार विश्वासघाती पाकिस्तान ने भरोसे का कत्ल कर दिया. उसने रिश्ते सुधारने की भारत की सकारात्मक पहल को झटका देते हुए न सिर्फ समग्र वार्ता को स्थगित करने का एलान किया बल्कि यह भी जाहिर कर दिया कि पठानकोट हमला के जांच में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को पाकिस्तान आने की अनुमति नहीं देगा. भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी को पाकिस्तान जाने के सवाल के जवाब में कहा कि सवाल जैसे के साथ तैसा का बर्ताव करने का नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच सहयोग का है.

उनके इशारों से साफ है कि पाकिस्तान NIA को अनुमति नहीं देने वाला. जबकि सच्चाई ये है कि पाकिस्तान की जांच टीम के भारत आने से पहले ही दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी थी कि पाकिस्तान भी इसी तरह की जांच में सहयोग करेगा. लेकिन उसने अपनी पैंतरेबाजी से जाहिर कर दिया कि आतंकवाद के मसले पर उसका रवैया जस का तस है. उसके रुख से साफ है कि पठानकोट हमले की जांच के लिए भारत आई उसकी संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) का उद्देश्य घटना की तह तक जाना नहीं बल्कि भारत समेत दुनिया की आंखों में धूल झोंकना था.

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उसकी मंशा तभी समझ में आ गयी जब संयुक्त जांच टीम की रवानगी के बाद पाकिस्तान द्वारा कहा गया कि भारत ने सुरक्षा बलों से जुड़े गवाहों को जेआईटी के समक्ष पेश नहीं किया. जबकि सच्चाई ये है कि संयुक्त जांच टीम के आने से पहले पाकिस्तान इस बात पर सहमत था कि वायुसेना के पठानकोट ठिकाने पर हुए हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले रक्षाकर्मियों में से किसी एक तक भी उसकी पहुंच नहीं होगी.

अब जब भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पाकिस्तान जाने की बारी आयी तो वह अपने वादे से मुकर गया. दरअसल उसे डर है कि अगर भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी पाकिस्तान पहुंचती है तो उसकी पोल पट्टी खुल जाएगी. वह दुनिया के सामने बेनकाब हो जाएगा. राष्ट्रीय जांच एजेंसी साबित कर देगी कि पठानकोट हमले की साजिश पाकिस्तान में ही रची गयी. ध्यान देने वाली बात है कि यात्रा के संदर्भ शर्तों के मुताबिक पाकिस्तान इस बात पर सहमत था कि एनआईए टीम पठानकोट हमले के संबंध में भौतिक सबूत एकत्र करेगा. उनकी समीक्षा के साथ दस्तोवजीकरण करेगा. साथ ही वह पाकिस्तान में प्रासंगिक लोगों से नमूनों के संभावित मिलान के लिए फोरेंसिक सबूत एकत्र करेगा.

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 पाकिस्तान की जांच टीम 

उसने यह भी स्वीकारा कि संयुक्त जांच टीम की यात्रा के समय तक की गयी जांच का ब्यौरा भारतीय समकक्षों के साथ साझा करेगी. लेकिन संयुक्त जांच टीम के पाकिस्तान लौटने के बाद जिस तरह की खबरें उसकी मीडिया में आ रही हैं, उस पर विश्वास करें तो बगैर जांच पूरा हुए ही पाकिस्तान सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि पठानकोट का हमला उसकी साजिश नही बल्कि पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए भारत ने रची थी.

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दरअसल पाकिस्तान की इस जुगाली का मकसद पठानकोट हमले में शामिल आतंकियों को बचाना है. किसी से छिपा नहीं है कि पठानकोट हमले की शक की सूई पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर है जिसका सरगना मसूद अजहर है. पाकिस्तान को अच्छी तरह पता है कि अगर सही दिशा में जांच हुई तो वह और मसूद अजहर बेनकाब होगा. बहरहाल पाकिस्तान की इस पैंतरेबाजी से यह साफ हो गया है कि पठानकोट हमले का सूत्रधार मसूद अजहर ही है और उसने ही यह साजिश पाकिस्तान की सेना और ISI के सहयोग से रची. पाकिस्तान अपने बचाव में जो भी दलील दे लेकिन दिन के उजाले की तरह साफ है कि पठानकोट के हमलावर पाकिस्तान से ही निर्देशित हो रहे थे. एक आतंकी ने तो अपने परिजनों से भी संपर्क किया.

हाल ही में अमेरिकी आतंकी हेडली द्वारा 26/11 आतंकी हमले की साजिश पाकिस्तान में रचे जाने की बात कुबूली गयी. पाकिस्तान पोषित आतंक की वजह से ही भारत आतंकवाद से प्रभावित दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शुमार है. सच तो यह है कि आतंकवाद के विरुद्ध जंग की बात पाकिस्तान चाहे जितना करे लेकिन उसकी असलियत हर दिन दुनिया के सामने बेनकाब हो रही है.

हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पाकिस्तान के संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र (फाटा), पूर्वोत्तर खैबर पख्तुनवा और दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान क्षेत्र में कई आतंकी संगठन पनाह लिए हुए हैं. यहीं से वे स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक हमलों की साजिश बुन रहे हैं.

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झंगवी और अफगान तालिबान जैसे अन्य आतंकी समूह पाकिस्तान और पूरे क्षेत्र में अपनी गतिविधियों की योजना के लिए इन पनाहगाहों का फायदा उठा रहे हैं. रिपोर्ट में पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि उसने इन आतंकी संगठनों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है. यह आश्चर्य भी व्यक्त किया गया है कि पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-पाकिस्तान तालिबान जैसे संगठनों के विरुद्ध तो अभियान चलाया लेकिन लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की. गत वर्ष ही अमेरिका के प्रभावशाली सांसदों ने पाकिस्तान को 'विशेष चिंता का देश' घोषित करने की मांग की.

अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित खतरनाक हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष नेता अजीज हक्कानी को वैश्विक आतंकी घोषित किया. पाकिस्तान की इस पैंतरेबाजी से स्पष्ट हो जाना चाहिए कि वह आतंकियों की मदद से बाज आने वाला नहीं. भारत को चाहिए कि विश्वासघाती पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए वह कड़े कदम उठाए.

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