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Updated: 01 अप्रिल, 2016 03:12 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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तीन सवाल

मसूद अजहर को बार-बार बचाने की कवायद क्यों करता है चीन?

क्या महज पाकिस्तान के कहने पर चीन लेता है ये फैसले?

भारत के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकवाद से चीन को क्या फायदा?

 

पठानकोट आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर आतंकवादी तो है लेकिन उसे आतंकवादी नहीं कहना चाहिए. ऐसा चीन का मानना है. एक बार फिर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सिक्योरिटी काउंसिल में अपने वीटो का इस्तेमाल करते हुए मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने से रोक लिया है.

पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में सात भारतीय जवान मारे गए थे. जिसके बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया था कि इन हमलों में मसूद अजहर की भूमिका के सुबूत को आधार मानते हुए उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाए. भारत के इस प्रस्ताव को अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस का भी समर्थन प्राप्त था और सिक्योरिटी काउंसिल के लगभग सभी देशों ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार देने पर फैसला कर लिया था. लेकिन इस मामले में एक बार फिर चीन ने सिक्योरिटी काउंसिल में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए पूरे मामले को दरकिनार कर दिया है.

यह कोई पहला मौका नहीं है जब चीन ने मसूद अजहर को बचाने का काम किया है. इससे पहले मुंबई धमाकों के बाद भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र से मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने की कोशिश की थी. यह इसलिए भी आसान था कि 2001 में संयुक्त राष्ट्र ने उसकी संस्था जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था. लेकिन मसूद अजहर के नाम पर उस वक्त भी चीन ने अपने वीटो पावर से इस प्रयास को खारिज करा दिया था. अब सवाल यह है कि आखिर क्यों चीन बार-बार एक ऐसे आदमी को बचाने की कवायद करता रहा है जिसके खिलाफ भारत में आंतकवाद फैलाने के पुख्ता साक्ष्य मौजूद हैं. क्या चीन की तरफ से ऐसा कदम महज पाकिस्तान के कहने पर उठाया जाता है. या फिर पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ प्रायोजित आतंकी घटनाओं में चीन को अपना फायदा भी दिखाई देता है.

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मसूद अजहर

गौरतलब है कि मसूद अजहर वही पाकिस्तानी नागरिक है जिसे 1999 में हाईजैक हुए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के 155 यात्रियों के बदले अफगानिस्तान में रिहा किया गया था. इसके बाद मसूद अजहर ने पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद नाम से आतंकी संगठन का गठन होमटाउन बहावलपुर में किया और आतंकियों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया. जैश-ए-मोहम्मद पहली इस्लामिक आतंकी संगठन बनी जिसने मानव बम के जरिए आतंकी हमलों की शुरुआत की. इसके बाद मसूद अजहर ने भारत में एक के बाद एक आतंकी हमलों के अंजाम दिया जिसमें पार्लियामेंट अटैक केस, मुंबई बम धमाके जैसे संगीन हमले शामिल हैं. इन हमलों को अंजाम देने के बाद भी वह पाकिस्तान में आम सभाएं करता रहता है और वहां की मीडिया बड़ी प्रमुखता से मसूद अजहर को कवर करती है.

वहीं भारत ने 1999 में उसकी रिहाई के बाद से लगातार पाकिस्तान से उसकी गिरफ्तारी की मांग की है. वहीं पार्लियामेंट अटैक केस और मुंबई धमाकों के बाद इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश की गई. लेकिन इस बार की तरह ही चीन ने पाकिस्तान की मदद करते हुए मसूद अजहर को लगातार बचाने की काम किया है. जाहिर है बीते दो दशकों में जिस आतंकी ने भारत में कई बड़े-बड़े हमलों को अंजाम दिया है भला उसके खिलाफ चीन कैसे कवायद कर सकता है. दक्षिण एशिया में चीन को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए पाकिस्तान से दोस्ती और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए उसे मसूद अजहर जैसे आतंकी को आतंकी नहीं कहना होगा.

विडंबना भी देखिए, एक तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मुलाकात में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को लगाम लगाने की कसमें खा रहे हैं और दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में चीन मसूद अजहर जैसे आतंकी को बचा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान को यदि आतंकवाद के ही सहारे अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ाना है तो उसे मसूद अजहर को अपना राजदूत बनाकर बीजिंग भेज देना चाहिए.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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