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Updated: 10 दिसम्बर, 2022 03:41 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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भारत भले ही विकास के पथ पर तीव्र गति से चल रहा हो लेकिन ये सफर किसी भी सूरत में आसान नहीं है. तमाम बैरियर्स हैं जिनका सामना एक राष्ट्र के रूप में भारत को करना पड़ रहा है. जनसख्या एक ऐसा ही मसला है. भले ही जनसख्या के मुद्दे पर जनता लचर रवैया अपनाते हुए बच्चों को अल्लाह की नेमत, भगवान की सौगात मान रही हो लेकिन सरकार की सोच ऐसा नहीं है. बढ़ी हुई जनसख्या को लेकर सरकार का एजेंडा क्लियर है. दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती देश की आबादी पर सरकार का रुख क्या है? इसे हम एजेंडा आजतक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे भाजपा सांसद और एक्टर रवि किशन की बातों से समझ सकते हैं. जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण बिल पर अपनी राय रखी है. क्योंकि रवि स्वयं चार बच्चों के पिता है जब इस मुद्दे पर उनसे बात हुई तो ग्लानि उनके चेहरे पर साफ़ देखी जा सकती थी. रवि का कहना है कि मैं जब आज अपनी पत्नी और बच्चों के विषय में सोचता हूं तो सॉरी फील करता हूं.Ravi Kishan, MP, Population Law, Population, Children, Wife, Common Man, Ruleजनसंख्या को लेकर जो बात रवि किशन ने कही है सभी को उसपर गौर करने की जरूरत है

वहीं एजेंडा आजतक में जनसंख्या नियंत्रण बिल के मुद्दे पर रवि ने कांग्रेस पार्टी पर बड़ा हमला किया है और कहा है कि अगर ये बिल कांग्रेस पहले लेकर आती, तो हम रुक जाते. रवि किशन ने कहा कि मेरे 4 बच्चे हैं, ये कोई गलती नहीं है, अगर कांग्रेस ये बिल लेकर आती, अगर कानून बना होता, तो हम 4 बच्चे नहीं करते. इसके लिए कांग्रेस दोषी है. क्योंकि उनकी सरकार थी, हम जागरूक नहीं थे. उन्हें इस मामले में गंभीर होना चाहिए.

चीन को कोट करते हुए भले ही रवि किशन ने ये कह दिया हो कि वहां जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है लेकिन सवाल ये है कि क्या वाक़ई जनसंख्या नियंत्रण के लिए किसी पार्टी या बिल की जरूरत है? जवाब है नहीं. क्योंकि ये समस्या लोगों से जुड़ी हुई है तो लोगों को खुद इस विषय में सोचना होगा.

कह सकते हैं कि अब वो वक़्त आ गया है जब जनता को खुद तय करना है कि आज जब महंगाई आसमान छू रही हो आम आदमी को मूल भूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हों क्या वाक़ई हमें एक से अधिक बच्चे पैदा करने की जरूरत है.

विषय बहुत सीधा है. भले ही आज जनसंख्या नियंत्रण के लिए रवि संसद में प्राइवेट बिल जा रहे हों. लेकिन अगर बिल वाक़ई चाहिए तो लोगों को अपने घर में चाहिए. वक़्त आ चुका है जब जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को खुद अपने अपने घरों में पहल करनी होगी. साथ ही अपने से जुड़े लोगों को इसके विषय में जागरूक करना होगा.

जिक्र इस अहम मसले पर बोलने वाले रवि किशन का हुआ है तो जो भी उन्होंने कहा है और जिस तरह अब वो इस पूरे मसले पर अपनी बीवी के लिए सॉरी फील कर रहे हैं कह सकते हैं कि इस अहम मसले पर एक न एक दिन शुरुआत होनी थी जिसका श्री गणेश भाजपा सांसद रवि किशन ने किया है.

हम फिर इस बात को कह रहे हैं कि बढ़ी हुई जनसंख्या का मुद्दा कोई छोटा या नजरअंदाज करने वाला मुद्दा नहीं है. जनसंख्या एक समस्या है और इस समस्या का समाधान तब ही है जब हम स्वयं इसके प्रति गंभीर हों. संसद में लाख बिल बन जाएं. कितनी ही विस्तृत संगोष्ठियां क्यों न हो जाएं लेकिन बात तब है जब इसकी शुरुआत हम अपने घरों से करें और इस बात को समझें कि संसाधन बहुत लिमिटेड हैं. ये सभी तक तभी पहुंच पाएंगे जब हम हिसाब किताब से रहें.

अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि जनसंख्या के विषय पर बड़ी पहल होनी थी, जो रवि किशन ने की है. देखना दिलचस्प रहेगा कि देश की जनता रवि की बातों से सहमत होती  और एक राय रखती है या नहीं. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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