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Updated: 12 दिसम्बर, 2021 05:59 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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2022 में पांच राज्यों में चुनाव होने हैं. ऐसे में किसी दल के लिए क्या क्या जरूरी है? या दूसरा सवाल ये भी हो सकता है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा की क्या प्लानिंग है? आखिर वो कौन कौन सी रणनीतियां हैं जिनपर न केवल भाजपा काम कर रही है बल्कि उन रणनीतियों को अमली जामा पहनाकर चुनावी रण जीतने वाली है? एक तरफ ये और इस तरह के अन्य बुनियादी सवाल हैं. दूसरी तरफ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस है. जिसका वर्तमान बागी एवं विवादित है और जिसका भविष्य अंधकारमय है. ये बातें हम कांग्रेस पार्टी पर लांछन लगाने के उद्देश्य से नहीं कह रहे. पहले राजस्थान फिर पंजाब और अब गोवा में जो हुआ है उसने इस बात की तस्दीख कर दी है कि जिस समय कांग्रेस को चुनावों के मद्देनजर बड़ी प्लानिंग करनी चाहिए उस समय कांग्रेस आंतरिक कलह सुल्टा रही है और उसके साथ ही पार्टी से जुड़े नेताओं के इस्तीफे बटोर रही है.

Priyanka Gandhi, Goa, Assembly Elections, Resignation, Oppose, Party Workers, BJPगोवा में प्रियंका गांधी के पहुंचने के बाद जो हुआ उसकी कल्पना कांग्रेस ने शायद ही कभी की हो

बताते चलें कि प्रियंका गांधी के गोवा दौरे से ठीक पहले पोरवोरिम विधानसभा सीट के कई नेताओं ने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी. इस्तीफे की पेशकश करने वाले कांग्रेसी नेताओं ने अजीब सा तर्क दिया है और कहा है कि कांग्रेस पार्टी की गोवा में जैसी कार्यप्रणाली है पार्टी शायद राज्य में चुनाव लडने के मूड में ही नहीं है. गोवा में जो गतिरोध कांग्रेस पार्टी में दिख रहा है उसपर पूर्व जिला पंचायत सदस्य गुपेश नायत ने मन की बात की है.

गुपेश नायत ने चुनाव पूर्व बड़ा बयान देते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी राज्य में चुनाव को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है. अब तक उसने अपनी कोई तैयारी भी शुरू नहीं की है. बताते चलें कि अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक प्रियंका गांधी वाड्रा गोवा की राजधानी पणजी पहुंचीं अलग अलग इवेंट्स में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद प्रियंका ने राज्य महिला कांग्रेस पदाधिकारियों से बातचीत की है.

बात गोवा में प्रियंका गांधी के आने और पार्टी के पदाघिकारियों के इस्तीफे के संबंध में हुई है तो हमारे लिए गोवा कांग्रेस में जारी गतिरोध को समझ लेना बहुत जरूरी है. कार्यकर्ताओं का मानना है कि पार्टी की कार्यप्रणाली और गतिविधियां खुद ब खुद इस बात का संकेत दे रही हैं कि गोवा विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए एक फॉर्मेलिटी से ज्यादा कुछ नहीं है.

जिक्र इस्तीफों का हुआ है तो बताते चलें कि साउथ गोवा से भी जो ख़बरें आ रही हैं उन्होंने भी आग में घी का काम किया है. दक्षिण गोवा से भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार मोरेनो रेबेलो ने इस्तीफा दिया है. रेबेलो ने जो इस्तीफ़ा दिया है उसमें उन्होंने दावा किया है कि पार्टी द्वारा कर्टोरिम निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा विधायक एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको को पार्टी के खिलाफ काम करने के बावजूद 'उम्मीदवार' घोषित करने से वो खासे परेशान हैं. ध्यान रहे कि रेबेलो कर्टोरिम से हैं और कार्यकर्ताओं के अलावा जनता में भी ठीक ठाक जनाधार रखते हैं.

रेबेलो ने गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर को संबोधित पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको जो पिछले साढ़े चार सालों से पार्टी की किसी भी गतिविधि में हिस्‍सा नहीं लिया. उन्‍होंने केवल पार्टी के नेताओं और खुद को गाली दी है. हाल ही में हुए जिला पंचायत चुनाव में कर्टोरिम के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ काम किया.

अब उन्‍हें ही ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत किया गया है और हाल ही में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ नेताओं द्वारा उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया है. जिस तरह गोवा विधानसभा चुनाव से पहले गोवा कांग्रेस के नेताओं द्वारा इस्तीफों की झड़ी लगाई गयी है उसने राज्य में चुनाव से पहले कांग्रेस की स्थिति को बद से बद्दतर कर दिया है.

राज्य में चुनाव होने में कुछ समय शेष है. ऐसे में जिस तरह प्रियंका का स्वागत गोवा में इस्तीफों की फूल माला से हुआ है. उसने इस बात के साफ़ संकेत दे दिए हैं कि ऐसी गतिविधियां पूर्ण रूप से गोवा में कांग्रेस पार्टी की परफॉरमेंस को प्रभावित करेंगी. चाहे राजस्थान हो या फिर पंजाब और अब गोवा जिस तरह पार्टी के नए पुराने नेताओं का कांग्रेस से मोह भंग हो रहा है कहीं न कहीं पार्टी से जुड़े लोग भी इस बात को बखूबी जानते हैं कि अब देश में कांग्रेस पार्टी का भविष्य क्या है. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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