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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 20 सितम्बर, 2019 06:21 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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स्वामी चिन्मयानंद को बचाने की हर मुमकिन कोशिश भी कुलदीप सेंगर की तरह ही नाकाम साबित हुई. बीमारी का बहाना बनाने और तमाम तिकड़म अपनाने के बावजूद चिन्मयानंद को भी जेल जाना ही पड़ा. भगवा चोला, धार्मिक पृष्ठभूमि और मजबूत राजनीतिक कनेक्शन भी चिन्मयानंद को जेल जाने से नहीं बचा पाये.

स्वामी चिन्मयानंद को बचाने की हर मुमकिन कोशिश भी कुलदीप सेंगर की तरह ही नाकाम साबित हुई. बीमारी का बहाना बनाने और तमाम तिकड़म संभव था अगर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं होता तो चिन्मयानंद भी उन्नाव केस के आरोपी की तरह कुछ दिन और घूम सकते थे. याद रहे कुलदीप सेंगर को भी CBI ने तभी गिरफ्तार किया जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हैरानी जतायी और सख्ती के साथ पेश आया.

चिन्मयानंद की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है. चिन्मयानंद राम मंदिर आंदोलन से 80 के दशक से जुड़े रहे हैं.

माना जा रहा है कि चिन्मयानंद भी कुलदीप सेंगर की ही तरह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अच्छे रिश्तों के चलते बचते आ रहे थे. वरना जो शख्स यौन शोषण और बलात्कार के इल्जाम में पहले से ही फंसा हुआ हो, दूसरे अपराध के लिए अब तक खुलेआम कैसे घूम पाता.

कुलदीप सेंगर तो यूपी के एक मामूली विधायक हैं, लेकिन स्वामी चिन्मयानंद तो राम मंदिर आंदोलन और धर्मपीठ से जुड़े हुए व्यक्ति हैं. यही वजह है कि स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी भारतीय जनता पार्टी और योगी आदित्यनाथ दोनों ही के लिए बहुत बड़ा झटका है - कुलदीप सेंगर की गिरफ्तारी से भी बड़ा झटका.

चिन्मयानंद और सेंगर की गिरफ्तारियों में कॉमन बातें

बीजेपी नेता चिन्मयानंद के खिलाफ यौन शोषण के मामले में निर्णायक मोड़ तब आया जब देश के कुछ सीनियर वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अदालत से स्वतः संज्ञान लेते हुए पीड़ित छात्रा और उसके परिवार वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गुजारिश की थी. सीनियर एडवोकेट इंदिरा जय सिंह ने खुद इस मामले में पहल की थी और फिर ट्विटर पर जानकारी भी साझा किया. हुआ ये था कि पीड़ित कानून की छात्रा ने एक वीडियो के जरिये अपनी जान पर खतरा और एक बड़ी धार्मिक शख्सियत पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. उसके बाद से ही छात्रा का फोन बंद हो गया और वो लापता हो गयी.

chinmayanand with yogi adityanathचिन्मयानंद की गिरफ्तारी से साफ है कि कैसे सबसे बड़ी अदालत राजनीतिक नजदीकियों को बेअसर कर देती है

सुप्रीम के आदेश के बाद ही यूपी की योगी सरकार की पुलिस ने जगह जगह छापेमारी की और फिर छात्रा के मिलने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया. चिन्मयानंद की गिरफ्तारी से पहले तक तो जांच पड़ताल का अंदाज ऐसा रहा कि पीड़ित से भी पूछताछ आरोपी की तरह हुई. लगता तो यही है कि जब कोई रास्ता नहीं बचा तो गिरफ्तार कर जेल भेजना पड़ा है - क्योंकि ऊपर से सुप्रीम कोर्ट सब कुछ देख भी रहा है.

1. कोर्ट के प्रेशर में गिरफ्तारी : एकबारगी तो यही लगता है कि चिन्मयानंद और कुलदीप सेंगर दोनों में से कोई भी गिरफ्तार नहीं हुआ होता अगर कोर्ट की सख्ती नहीं होती. जैसे CBI ने उन्नाव केस में बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को जेल भेजा था, ठीक वैसे ही SIT ने चिन्मयानंद को आश्रम से उठाकर सीधे कोर्ट में पेश किया और जेल भेज दिया गया.

2. आखिर तक बचाती रही पुलिस : चिन्मयानंद को भी यूपी पुलिस ठीक वैसे ही आखिर तक बचाती रही जैसे कुलदीप सेंगर के प्रति 'माननीय' भाव से अंत तक नहीं निकल पायी. जैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी हिदायत पर सीबीआई ने कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार किया बिलकुल वैसे ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनायी गयी यूपी पुलिस की एसआईटी यानी विशेष जांच टीम ने चिन्मयानंद को भी गिरफ्तार किया है.

3. अगर SIT और CBI न होती : सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट से ही पिंजरे के तोते की संज्ञा मिली थी, जिसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार को तो कठघरे में खड़ा किया जा सकता है - लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तो साफ बच निकल सकती है. एसआईटी भी यूपी सरकार ने ही बनायी है लेकिन वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनी है और रिपोर्ट भी उसे सुप्रीम कोर्ट में ही सौंपनी है. एसआईटी अफसर इस केस में जांच 23 सितंबर तक पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.

4. जब पीड़तों ने जान देने की बात कही : आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर एक कॉमन बात ये भी है कि पीड़ितों ने दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी न होने पर आखिरी कदम उठाने की बात कही थी. शाहजहांपुर केस में चिन्मयानंद के खिलाफ कार्रवाई न होने पर पीड़ित कानून की छात्रा को मजबूर होकर कहना पड़ा था कि वो आत्महत्या करने को मजबूहर होगी. उन्नाव केस में तो पीड़ित ने बीजेपी विधायक और उसके साथियों की दबंगई से आजिज आकर लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश ही कर डाली थी.

चिन्मयानंद और सेंगर की अहमियत

पिछले ही हफ्ते बीबीसी ने लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान से चिन्मयानंद के राजनैतिक प्रभाव के बारे में जानना चाहा तो उनका कहना रहा, 'सरकार और खासकर मुख्यमंत्री के वो बेहद करीबी हैं ही... सुप्रीम कोर्ट दखल न देता तो उनके ऊपर भला कौन हाथ डाल सकता था. अब भी कोशिशें बहुत हो रही हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को देखते हुए लगता नहीं कि राज्य सरकार उन्हें बचा पाएगी.' जैसी आशंका जतायी गयी थी, हुआ बिलकुल वही. चिन्मयानंद को जेल जाने से बचाया नहीं जा सका.

अब ये भी जान लीजिये कि केंद्र की वाजपेयी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रिश्ता कैसा और कितना पुराना है? रिश्ते की नजदीकी से ही मालूम होता है कि कैसे योगी सरकार ने चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार के पिछले मामलों को वापस लेने का फैसला क्यों किया था?

1. योगी को CM बनाने की वकालत : 2017 में यूपी विधानसभा के चुनाव नतीजे आने के कई दिन बाद तक मुख्यमंत्री का नाम नहीं फाइनल हो पा रहा था. उस वक्त जिन चंद लोगों ने योगी आदित्यानाथ के नाम की वकालत की थी उनमें सबसे ऊपर चिन्मयानंद का नाम भी लिया जाता है. कहने की जरूरत नहीं कि संबंध कितने नजदीकी होंगे.

2. योगी के गुरु के साथ राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत : मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चिन्मयानंद के योगी आदित्यनाथ की पैरवी करने की बड़ी वजह भी रही. चिन्मयानंद योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ से जुड़े रहे हैं. महंत अवैद्यनाथ ने चिन्मयानंद के साथ मिल कर 80 के दशक में राम मंदिर आंदोलन को शेप देने की कोशिश की थी. मंदिर मुहिम को लेकर अब जो भी सक्रिय नाम लिये जाते हैं वे चिन्मयानंद के बाद इस आंदोलन से जुड़े बताये जाते हैं.

3. ठाकुर बिरादरी से आते हैं : चिन्मयानंद का असली नाम भी बहुत कुछ साफ करता है. चिन्मयानंद का असली नाम कृष्णपाल सिंह है. यूपी के ही गोंडा के रहने वाले चिन्मयानंद उसी ठाकुर बिरादरी से आते हैं जिससे उन्नाव के बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर - और ये यूपी की जातीय राजनीति ही है जो योगी आदित्यनाथ को ये सब करना पड़ता है और विरोधियों का वो इल्जाम भी सहना पड़ता है जिसमें वे कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ खूब जातिवाद करते हैं.

मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पैरवी का पहला एहसान योगी आदित्यनाथ ने कुर्सी पर बैठने के बाद ही उतारने की कोशिश की. योगी सरकार ने चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे यौन शोषण के मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया. फिर पीड़ित ने पक्ष अदालत में सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी. फिलहाल चिन्मयानंद के खिलाफ यौन शोषण के पिछले मामले में स्टे मिला हुआ है. 2011 में शाहजहांपुर की ही एक युवती ने चिन्मयानंद पर यौन शोषण और उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था. युवती स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी और उनकी शिष्या बतायी जा रही थी.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शुरू से ही चिन्मयानंद को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हमलावर हैं - और ट्विटर पर लिखा है, 'भाजपा सरकार की चमड़ी इतनी मोटी है कि जब तक पीड़िता को ये न कहना पड़े कि मैं आत्मदाह कर लूगी, तब तक सरकार कोई एक्शन नहीं लेती.'

चिन्मयानंद के मामले में विशेष जांच टीम भी तभी हरकत में आयी जब बीजेपी नेता के मसाज का एक वीडियो वायरल होने लगा. पीड़ित छात्रा की ओर से एसआईटी को एक पेन ड्राइव सौंपी गयी है जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि उसमें तीन दर्जन से ज्यादा ऐसे वीडियो क्लिप हैं.

वैसे चिन्मयानंद के वकील के बचाव का अंदाज काफी दिलचस्प है, उनका कहना है कि 'मसाज कराना कोई अपराध नहीं है.' अच्छा ये बचाव पक्ष का लीगल स्टैंड है, राजनीतिक नहीं!

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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