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Updated: 29 जुलाई, 2019 03:31 PM
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रायबरेली में हुए एक सड़क हादसे ने उन्नाव बलात्कार मामले की उस घटना को एक बार फिर सबकी यादों में ताजा कर दिया, जिसमें एक मासूम न्याय के लिए खुद को आग के हवाले करने पर मजबूर हो गई थी. वही मासूम न्याय के इंतजार में धीरे-धीरे अपने परिवारवालों को खोती जा रही है.

उन्नाव मामला जिसमें एक नाबालिक के साथ गैंगरेप के मामले में योगी सरकार के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर कई महीनों से जेल में बंद हैं.अब विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर गैंगरेप का आरोप लगाने वाली पीड़ित लड़की का एक्सिडेंट हो गया है. ये हादसा तब हुआ जब पीड़िता परिवार के साथ रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी. कार में उसकी मौसी, चाची और वकील भी थे. ये टक्कर इतनी भीषण थी कि चाची और मौसी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि वकील और पीड़िता बुरी तरह घायल हो गए. दोनों को लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया. वकील वेंटिलेटर पर हैं और पीड़िता आईसीयू में.

unnao-victim-accidentउन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिक से गैंगरेप का आरोप है

1. ट्रक wrong side से आ रहा था

ये हादसा गुरूबख्शगंज के अतरुआ गांव के पास हुआ जहां गलत दिशा से आ रहे एक ट्रक ने कार को टक्कर मार दी. हालांकि ट्रक के ड्राइवर जो अब पकड़े जा चुके हैं, उनका कहना है कि ये हादसा ओवर स्पीडिंग की वजह से हुआ है. लेकिन गलत दिशा से आना शक पैदा करता है कि शायद ये दुर्घटना सुनियोजित थी.

2. ट्रक की नंबर प्लेट छिपाई गई

जिस ट्रक ने टक्कर मारी उसकी सामने की नंबर प्लेट पर लिखे नंबरों को ग्रीस पोतकर छिपाया गया था, जिससे वो ट्रक पहचान में न आए. हालांकि पुलिस का कहना है कि अक्सर ओवरलोड ट्रक होने के कारण RTO से बचने के लिए ट्रक ड्राइवर ऐसा करते हैं. लेकिन यहां शक और बढ़ जाता है क्योंकि ये ट्रक पूरी तरह से खाली था, इसलिए नंबर प्लेट का छिपाया जाना शंका पैदा करता है.

unnao-victim-accidentट्रक के नंबर छिपाए जाने का क्या मतब निकाला जाए

3. पीड़िता के साथ सुरक्षाकर्मी नहीं था

पिछले साल मामले में मीडिया और हाइकोर्ट के दखल के बाद पीड़िता को प्रशासन की तरफ से सुरक्षा मुहिया करवाई गई थी. 10 लोग सुरक्षा पर तैनात किे गए थे लेकिन हादसे के दौरान कोई भी सुरक्षाकर्मी पीड़िता के साथ मौजूद नहीं था. इसपर पुलिस का कहना है कि सुरक्षाकर्मी को साथ लेकर जाने के लिए खुद पीड़िता ने ही मना किया था क्योंकि उनकी गाड़ी में जगह नहीं थी. लेकिन यहां सवाल यही पैदा होता है कि गाड़ी में जगह नहीं होने की वजह से अगर कोई मना भी करे तो उसे सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी तो सुरक्षाकर्मियों की ही थी. यूं ही 10 सुरक्षाकर्मियों को पीड़िता की सुरक्षा के लिए नहीं लगाया गया था.

4. गाड़ी में सवार सभी लोग गवाह थे

ऐसा फिल्मों में बहुत देखा गया है कि मामला अपने पक्ष में करने के लिए गवाह खरीद लो, या फिर उन्हें गवाही देने से रोक लो या फिर उन्हें मार दो. इस मामले में भी यही दिख रहा है. गाड़ी में मौजूद सभी लोग इस केस में सीबीआई के गवाह थे. जिनमें से दो गवाह मारे गए. मुख्य गवाह पीड़िता है जो खुद जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. साथ में पीड़िता के वकील भी वेंटिलेटर पर हैं. पीड़िता के पिता जो शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे थे वो पहले ही पुलिस कस्टडी में दम तोड़ चुके हैं. चाचा भी किसी मामले में जेल में बंद हैं. यानी एक-एक करके गवाह कम होते जा रहे हैं. इस परिस्थिति को देखते हुए ये मामला हिंदी फिल्म से प्रेरित नजर आ रहा है.

5. आरोपी पर जेल से साजिश करने का आरोप

कुलदीप सिंह सेंगर भले ही जेल में हों, लेकिन पीड़ित परिवार हमेशा धमकियां मिलने की बात कहता आया है. परिवार का कहना है कि कुलदीप सिंह सेंगर जेल से ही साजिशें रच रहा है और उनके आदमी उन्हें हमेशा डराते धमकाते रहते हैं. इस दुर्घटना को भी परिवारवालों ने विधायक सेंगर की ही साजिश कहा है. और जाहिर ही है कुलदीप सिंह सेंगर जेल में बंद हैं लेकिन पुलिसवालों से उनके संबंध किस तरह के हैं वो इस बात से समझा जा सकता है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी आरोपों के बाद भी उन्हें 'माननीय' कहकर बुलाते हैं. जाहिर है जेल में बदं सेंगर को पीड़िता की गतिविधियों के बारे में खबर रखना मुश्किल नहीं था. इन सभी इत्तेफाकों को जोड़ें तो घटना तभी क्यों हुई जब परिस्थितियां विपरीत थीं. यानी सबको पता था कि वो कहां जा रही थी, कैसे जा रही थी और कब लौटेगी.

unnao-victim-accidentपिता की मौत के बाद पीड़िता को अपने चाचा की जान की फिक्र थी

और सबसे बड़ी बात कुछ दिन पहले ही पीड़िता ने जिला प्रशासन को शिकायत सौंपते हुए कहा था कि उसपर मामला वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. क्योंकि जांच CBI कर रही है, इसलिए 20 जुलाई को CBI पीड़िता के गांव पहुंची थी. पीड़िता ने CBI के सामने ऐसा हमला होने का अंदेशा जता दिया था.

इत्तेफाकों का सिलसिला पुराना है

ऐसा नहीं है कि इस दुर्घटना से जुड़े इत्तेफाक इसपर शक पैदा कर रहे हैं. इससे पहले भी इस मामले में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जो सिवाय साजिश के कुछ और नजर नहीं आता. 2018 में पीड़िता के पिता जब पुलिस के पास शिकायत लेकर गए थे तब पुलिस ने उनपर आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया और उन्हें इतना मारा कि जेल में ही उनकी मौत हो गई थी. ख़बरें आई थीं कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर ने जेल में पीड़िता के पिता को पीटा था. अब वो भी रायबरेली जेल में बंद हैं. पिता की मौत से जुड़े मामले में गवाह रहे यूनुस खान की भी मौत संदिग्ध हालातों में हुई थी. पीड़िता के पिता को फंसाने के मामले में भी कुलदीप सेंगर आरोपी है.

पुलिस को भले ही पहली नजर में ये हादसा नजर आ रहा है, लेकिन इसके साथ इतने सारे इत्तेफाक जुड़े हुए हैं कि इससे अब साजिश की बू आ रही है. जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. फिलहाल इस मामले पर राजनीति गर्म है. योगी सरकार को विपक्षी पार्टियों नें घेरना शुरू कर दिया है. यूपी डीजीपी ओपी सिंह ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कहा है कि यदि इस हादसे की जांच सीबीआई से कराने की मांग आती है, तो उन्‍हें कोई ऐतराज नहीं है. फिलहाल पुलिस ने हिरासत में लिए गए ट्रक ड्राइवर से पूछताछ शुरू कर दी है, और उसकी कॉल डिटेल निकलवाई जा रही है. यदि दुर्घटना किसी साजिश का नतीजा है तो उम्‍मीद है कि ड्राइवर की कॉल डिटेल से साजिशकर्ताओं के बारे में अहम जानकारी मिलेगी.

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