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Updated: 19 जून, 2022 02:47 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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बिहार में सुशासन बाबू की हुकूमत है, यहां बुल्डोजर बाबा का राज होता तो शायद यहां हालात इतने बेकाबू न होते. समय-समय पर किसी न किसी बहाने बिहार में हिंसा भड़कती रही है. काश सुशासन बाबू बुल्डोजर बाबा की कानून व्यवस्था मॉडल को लेकर सख्त नीति को ही अपना लें तो हालात सुधरना शुरू हो जाएं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित देश के कई राज्यों ने योगी मॉडल अपनाकर अपने-अपने राज्यों की कानून व्यवस्था को और भी बेहतर बनाया है. किसी न किसी रूप में अपने मुखौटे बदल-बदल कर अशांति फैलाने और कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाली शक्तियों के हौसलों को योगी की बुल्डोजर जैसी मजबूत और सख्त नीति ने कुचला है. विरोधियों ने हिंसा की हर चिंगारी से यूपी को जलाने की कोशिश की लेकिन यहां की चुस्त-दुरुस्त कानून व्यवस्था से हर चिंगारी ठंडी पड़ गई. राम मंदिर के फैसले के बाद योगी के कानून राज में कहीं कहा-सुनी की घटना भी सामने नहीं आई, पुलिसिया तंत्र इतना मजबूत था कि परिंदा पर तक नहीं मार सका. इसके बाद हताश अराजक तत्वों ने एन आर सी, सीएए, किसान आंदोलन और फिर विवादित बयान पर पत्थरबाजी की घटनाओं से दंगा मुक्त योगी राज का टैग हटाने की कोशिश की, परंतु सख्त कानून व्यवस्था ने किसी भी नापाक इरादे को कामयाब न होने दिया.

Bihar, Agnipath Scheme, Agniveer, Indian Army, Jawan, Job, Oppose, Demonstration, Nitish Kumarसरकार की अग्निपथ स्कीम का सबसे बुरा विरोध बिहार में हुआ है

इसी तरह अब बिहार की तर्ज पर अंग्निपथ स्कीम के खिलाफ यूपी में उग्र आंदोलन के जरिए हिंसा की साजिशें धराशाई होती दिख रही हैं. ये दुखदाई इतिहास है कि समय-समय पर किसी न किसी बहाने बिहार को दंगों की आग में जलाने की कोशिश होती रही हैं, ये परंपरा अब भी जारी है. एक ज़माना था जब बिहार और यूपी कमज़ोर कानून व्यवस्था और गुंडा राज्य के लिए बदनाम था. अराजकता, दंगे, हिंसा और उग्र आंदोलन इन सूबों के विकास की राह के कांटे थे.

वक्त ने करवट ली और फिर बिहार में लालू यादव युग कमजोर पड़ा, यहां कांग्रेस भी हाशिए पर आई और नितीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड भाजपा के साथ आ गई. नितीश कुमार मुख्यमंत्री बने और सुशासन बाबू ने बिहार की पुरानी छवि को सुधारा, शराबबंदी की, भ्रष्टाचार कम किया और कानून व्यवस्था पहले की अपेक्षा बेहतर की. लेकिन फिर भी विपक्षी बूस्टर वाले हिंसक आंदोलन वक्त ब वक्त बिहार को बेहाल करने में सफल होता रहा है.

ऐसे उग्र आंदोलनों को लेकर यदि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सख्त होते तो शायद बिहार में इतनी हिंसा नहीं फैलती. बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी अशांति फैलाने का हर संभव प्रयास इसलिए असफल हो जाता है क्योकि यहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दंगाइयों को ही सबक नहीं सिखाते बल्कि दंगो की फसल देने वाले अशांति की साजिशों के हर दरख़्त की जड़ों में भी मट्ठा डाल देते हैं. उनका बुल्डोजर फसाद कि जड़ों को ही रौंद कर उखाड़ देता है.

विकास कि रफ्तार बनेगा योगी का पॉवर ब्रेक

ऐसा नहीं है कि उत्तर प्रदेश को पुरानी दंगा युक्त छवि में वापस लाने की साज़िश करने वाले बाज़ आ गए हैं, वे लगातार अपने मंसूबों पर काम कर रहे हैं. पत्थरबाजी की घटनाओं ने यूपी में हिंसा फैलाने की नाकाम कोशिशें की गईं थी. लेकिन अपने आकाओं के इशारों पर काम करने वाले अराजक तत्व बुल्डोजर के भय से दुबक गए.

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयानों से परहेज़ करने की हिदायत देकर प्रदेश भाजपा के कुनबे को बड़ा संदेश दिया. मुख्यमंत्री की मंशा है कि मंत्री, विधायक, सांसद, पदाधिकारी और तमाम कार्यकर्ता सूबे के विकास और अमन-शांति में ज्यादा-से ज्यादा भागीदारी निभाएं. विवादित बयान अशांति को जन्म देते हैं, विकास के रास्ते में बांधा डालते हैं. अराजक तत्वो को दंगा-फसाद और कानून व्यवस्था को चुनौती देने का मौका मिलता है.

अशांति फैलाने और दंगे करने का बहाना खोजने वाले पत्थर बाजों को सबक सिखाने और चेतावनी देने के साथ मुख्यमंत्री अब भाजपा परिवार को पूरी तरह से अनुशासित करने के लिए भी सख्त क़दम उठा रहे हैं. काश बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार उर्फ सुशासन बाबू योगी के सुशासन मॉडल को अपनाकर बिहार की कानून व्यवस्था को सख्त नीतियों से मज़बूत करें.

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नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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