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Updated: 22 फरवरी, 2019 04:49 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
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बा ख़िदमत

वज़ीर-ए-आला मोहतरम आली जनाब योगी आदित्यनाथ साहब

नमस्कार,

उर्दू अखबारों से मुतालिक आपसे एक इल्तिजा है. आपकी सरकार सबका साथ-सबका विकास वादे पर बखूबी अमल कर रही है, इस बात के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया. हिन्दुस्तान की सहाफत की तरक्की और सहाफियों की सहूलियतों के लिए आपकी सरकार का ताआऊन क़ाबिले तारीफ है. माली तौर पर कमजोर और खस्ताहाल अखबारात को बीजेपी हुकुमतों ने मदद पंहुचाने की हर मुमकिन कोशिश की है. इन अखबारों को सरकार इश्तिहार के जरिये मौका-बा-मौका माली मदद करती रही है.

ये बदकिस्मती रही है कि आजादी की लड़ाई में अपनी खिदमात (सेवायें) पेश करने वाले उर्दू अखबारों को हर दौर और हर जमाने में कुछ लोग शक के नजरिए से देखते हैं. जबकि हिन्दी समेत तमाम भाषाओं के अखबारों की तरह उर्दू अखबारात मुल्कपरस्ती के जज्बे से लबरेज होते हैं. हो सकता है अपवाद के तौर पर कुछ अखबार ऐसे हों भी जिनके दिल में मुल्क की मोहब्बत कम हो. इसे मापने का एक पैमाना है। वो पैमाना इस्तेमाल किया जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.

अपने हिन्दुस्तान से मोहब्बत करने वालों के लिए पाकिस्तान से नफरत करना लाजमी है. अनिवार्य कर दीजिए कि जो उर्दू अखबार अपने पहले सफे(पेज) पर अखबार के टाइटिल के नीचे पाकिस्तान मुर्दाबाद की स्ट्रिक लगायेगा उसे ही सरकारी इश्तिहार की मदद मिलेगी. वतन से जज्बाये मोहब्बत को जाहिर करने के लिए जनहित में इस तरह के विज्ञापन को हर रोज जनहित में जारी किया जाये.

उर्दू अखबार, योगी आदित्यनाथ, मीडिया, खुला खत, यूपी, पाकिस्तान मुर्दाबाद  लखनऊ के उर्दू अखबारों के मुद्रक-प्रकाशकों ने कुछ यूं लिखा योगी आदित्यनाथ को खत

लखनऊ से शाया (प्रकाशित) करीब एक दर्जन डेली उर्दू अखबारों के हम पब्लिशर्स ने तो ये फैसला कर लिया है कि हम अपने-अपने अखबारों में 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' की स्ट्रिक लगायेंगे. उर्दू ही क्यों हर भाषा के भारतीय अखबार ये कदम उठाकर अपने देश के दुश्मन पाकिस्तान के खिलाफ मुजाहिरा (प्रदर्शन) कर सकते है. भारत के प्रति पाक की नापाक हरकतों के खिलाफ देश के अखबार ये कदम उठा कर दुनिया के सामने एक मिसाल पेश कर सकते हैं. हम पब्लिशर्स की इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए यूपी सरकार अगर उर्दू अखबारों को 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' स्ट्रिक का विज्ञापन ही मुसलसल जारी कर दे तो क्या कहना. मजा आ जायेगा.

ऐसी स्कीम चला दी जाये कि इस तरह के इश्तिहार(पाकिस्तान मुर्दाबाद) हासिल करने के लिए एडोटोरियल के जरिये पाक का असली चेहरा बेनकाब किया जाये. उर्दू अखबार के पाठकों को इस हकीकत से बेदार (जागरुक) किया जाये कि पाकिस्तान हमारे देश भारत का ही दुश्मन नहीं बल्कि भारतीय मुसलमानों का ज्यादा बड़ा दुश्मन है.  इस तरह की जागरुकता फैलाने वाले अखबारों को पाकिस्तान मुर्दाबाद का विज्ञापन का लाभ नियमित दिया जाये. इन्हें अन्य सरकारी विज्ञापन भी ज्यादा मिलें. या फिर जो अखबार किसी ना किसी रूप में पाकिस्तान से नफरत का इजहार कर रहा.

पाक की नापाक साजिशों से पाठकों को आगाह कर रहा हो ऐसे अखबारों को ही सरकारी विज्ञापनों या पार्टी विज्ञापनों का अधिक से अधिक लाभ दिया जाये. जो अखबार पाकिस्तान से नफरत का इजहार ना करें या पाकिस्तान मुर्दाबाद की स्ट्रिक जो अखबार नहीं लगाये या ऐसे इश्तिहार छापने से इंकार कर दें उन अखबारों को कोई भी इश्तिहार ना दिया जाये.

मोहतरम वजीर-ए-आला साहब सच ये भी है कि उर्दू अखबार आर्थिक संकट मे हैं. इसके एक नहीं तमाम वुजुहात(कई कारण) है. अब इन अखबारों को सरकारी इमदाद (सहायता) ही बचा सकती है. उर्दू पाठक कम होते जा रहे हैं इसलिए इन अखबारों की रीडरशिप /प्रसार कम होता जा रहा.उर्दू अखबार मल्टी एडीशन नहीं है. और अगर इक्का-दुक्का मल्टी एडीशन हैं भी तो इनका वास्तविक प्रसार अधिक नहीं है. इसलिए इन अखबारों को कार्पोरेट जगत के व्यवसायिक विज्ञापन नहीं मिलते. ये केवल सरकारी इश्तिहार के सहयोग पर जिन्दा हैं.

उर्दू अखबारों के जरिए ये एहसास जगाया जा सकता है कि पाकिस्तान हमारे देश का दुश्मन है इसलिए यहां की अकलियत का भी दोस्त नहीं हो सकता. दुश्मन के साथ मोहब्बत नहीं हो सकती. भारत में पाकिस्तान परस्ती करने वाले का कोई स्थान नहीं. हम सबको एक होकर देश की मजबूती बनकर पाकिस्तान, आतंकवाद और हिन्दुस्तान के हर मुख़ालिफ को सबक सिखाना है.

इस कंटेंट को आगे बढ़ाने वाले उर्दू अखबारों को प्रमोट करने के लिए यूपी सरकार एक स्कीम चलाने की पहल कर सकती है. और इस स्कीम की थीम 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' स्ट्रिक हो. यानी जिन अखबारों के मास्टर हैड के नीचे पाकिस्तान मुर्दाबाद की स्ट्रिक लगी हो उन्हें माना जाये कि ये वतनपरस्ती कंटेंट को आगे बढ़ा कर सहाफत का फर्ज अदा कर रहे हैं. वजीर आला साहब उम्मीद है कि आपकी सरकार उर्दू अखबारों के हम पब्लिशर्स की तरफ से इस मशविरे पर रद्दए अमल करेंगे.

एक बात और- क्योंकि चंद दिनों में आचार संहिता लगने वाली है इसलिए अभी करीब तीन महीने सरकारी विज्ञापनों का सिलसिला बंद रहेगा. यदि आपकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी इलेक्शन कैम्पेन में विज्ञापन प्रदान करने के लिए उर्दू  के उन अखबारों को ही शामिल करें जो 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' कंटेंट/थीम पर आधारित हों.

शुक्रिया

बा जानिब - 'वतनपरस्त उर्दू अखबार पब्लिशर्स संघ'

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लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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