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भाई का दोस्तों के साथ मिलकर विक्षिप्त बहन का रेप करना, असली पतन तो कृत्य का कुतर्क है

    • अंकिता जैन
    • Updated: 22 अगस्त, 2020 09:15 PM
  • 22 अगस्त, 2020 09:15 PM
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बीते दिनों एक भाई ने बहन का बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी. इस घृणित कृत्य में उसका साथ उसके दोस्तों ने दिया. जब इन अपराधियों को पकड़ा गया तो भाई का कहना था 'वह मानसिक विक्षिप्त थी और परिवार पर बोझ थी. ऐसी घटनाएं बताती हैं कि एक समाज के रूप में हम अपना पतन खुद कर रहे हैं.

मैं दस-ग्यारह साल की रही होउंगी. सुबह-सुबह दूध लेने जाती थी. एक ग्वाला बांध रखा था. वह पूरा मोहल्ला किसी छोटे से गांव जैसा ही था. शहरों में जब गांव मिलकर मोहल्ला बन जाते हैं, वैसा ही मोहल्ला. उसी मोहल्ले की शुरुआत में एक घर था. घर के बाहर एक औरत (Woman ) लोहे की सांकल से बंधी रहती थी. वह अक्सर ही नग्न (Nude ) रहती. अपने अंगों पर चोट करती. कभी मौका मिलता तो भाग निकलती. अगर वह पागल (mentally Ill) ना होती तो उसके रूप-रंग पर जाने कितने ही पुरुष (Men) मोहित हो जाते. लेकिन वह पागल थी. हालांकि देह के भूखे भेड़ियों को उसके पागलपन से कोई फ़र्क ना पड़ता. जब-जब वह नग्न रहती उसे देखने पुरुषों की भीड़ वहां दिखती जो कभी सीधे तो कभी कनखियों से उसे देखते. कौन जाने नीम-अंधेरे वे उसे नोंचते-खसोटते (Eve Teasing) भी हों.

एक भाई का मानसिक विक्षिप्त बहन का बलात्कार फिर हत्या इंसानियत को शर्मसार करती है

मेरे बालमन पर पड़ी वह ऐसी छवि है जो मैं शायद ही कभी भूल पाऊं. जो मुझे अक्सर व्याकुल कर देती है. दूध लेने हमेशा मम्मी ही जाती थीं लेकिन कभी-कभी अगर मुझे जाना पड़ता तो मेरे लिए यही कौतूहल का विषय रहता कि आज वह क्या कर रही होगी? मैं उसे देखती, उसकी पीड़ा को महसूस करती और भय-बेचैनी में चुपचाप आंसू गिराती आगे बढ़ जाती.

बीते दिन एक ख़बर पढ़ी. एक भाई ने बहन का बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी. इस घृणित कृत्य में उसका साथ उसके दोस्तों ने दिया. जब इन अपराधियों को पकड़ा गया तो भाई का कहना था 'वह मानसिक विक्षिप्त थी और परिवार पर बोझ थी, पूरी तरह परिवार पर निर्भर थी.'

अपनी पागल बहन को मारने के लिए उस दरिंदे ने जो वजह बताई उससे मुझे वही पागल औरत याद आ गई जो दूध लेने जाने वाले रास्ते में मुझे दिखती...

मैं दस-ग्यारह साल की रही होउंगी. सुबह-सुबह दूध लेने जाती थी. एक ग्वाला बांध रखा था. वह पूरा मोहल्ला किसी छोटे से गांव जैसा ही था. शहरों में जब गांव मिलकर मोहल्ला बन जाते हैं, वैसा ही मोहल्ला. उसी मोहल्ले की शुरुआत में एक घर था. घर के बाहर एक औरत (Woman ) लोहे की सांकल से बंधी रहती थी. वह अक्सर ही नग्न (Nude ) रहती. अपने अंगों पर चोट करती. कभी मौका मिलता तो भाग निकलती. अगर वह पागल (mentally Ill) ना होती तो उसके रूप-रंग पर जाने कितने ही पुरुष (Men) मोहित हो जाते. लेकिन वह पागल थी. हालांकि देह के भूखे भेड़ियों को उसके पागलपन से कोई फ़र्क ना पड़ता. जब-जब वह नग्न रहती उसे देखने पुरुषों की भीड़ वहां दिखती जो कभी सीधे तो कभी कनखियों से उसे देखते. कौन जाने नीम-अंधेरे वे उसे नोंचते-खसोटते (Eve Teasing) भी हों.

एक भाई का मानसिक विक्षिप्त बहन का बलात्कार फिर हत्या इंसानियत को शर्मसार करती है

मेरे बालमन पर पड़ी वह ऐसी छवि है जो मैं शायद ही कभी भूल पाऊं. जो मुझे अक्सर व्याकुल कर देती है. दूध लेने हमेशा मम्मी ही जाती थीं लेकिन कभी-कभी अगर मुझे जाना पड़ता तो मेरे लिए यही कौतूहल का विषय रहता कि आज वह क्या कर रही होगी? मैं उसे देखती, उसकी पीड़ा को महसूस करती और भय-बेचैनी में चुपचाप आंसू गिराती आगे बढ़ जाती.

बीते दिन एक ख़बर पढ़ी. एक भाई ने बहन का बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी. इस घृणित कृत्य में उसका साथ उसके दोस्तों ने दिया. जब इन अपराधियों को पकड़ा गया तो भाई का कहना था 'वह मानसिक विक्षिप्त थी और परिवार पर बोझ थी, पूरी तरह परिवार पर निर्भर थी.'

अपनी पागल बहन को मारने के लिए उस दरिंदे ने जो वजह बताई उससे मुझे वही पागल औरत याद आ गई जो दूध लेने जाने वाले रास्ते में मुझे दिखती थी. दुनिया में कई तरह के अपराधी हैं लेकिन ऐसे अपराधी जो नीचता की सारी हदें पार करके कोई अपराध करते हैं वे मन में भय, व्याकुलता, तड़प और समाज के प्रति कई सवाल छोड़ देते हैं.

ऐसे दरिंदे भी तो इसी समाज में रहते हैं ना, कौन पालता है इन्हें? क्या कमी रह जाती है इनकी परवरिश में? हम कैसे इन घटनाओं को होने से रोक सकते हैं? क्या यह संभव है भी? जाने कितने सवाल घूमते रहते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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