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Updated: 10 दिसम्बर, 2019 12:47 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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साल 2019. जून का महीना. क्रिकेट वर्ल्ड कप (Cricket World Cup 2019) चल रहा था. मुकाबला भारत बनाम पाकिस्तान (India Vs Pakistan). बड़ी उम्मीद थी लोगों को इस मैच की. खेल शुरू होने से पहले क्रिकेट प्रेमी भारत पाकिस्तान के उस मैच को एक तारीखी मैच मान रहे थे. कहा गया था कि इस मैच में हर वो एलिमेंट होगा जिसकी तलाश हर उस दर्शक को रहेगी जो क्रिकेट पसंद करता है. मैच हुआ. पाकिस्तान की टीम की जबरदस्त बेइज्जती हुई. कप्तान सरफराज मैच के दौरान ही ग्राउंड पर जम्हाई लेते नजर आए. टीम पाकिस्तान (Team Pakistan) भारत (Team India) के हाथों मैच हार चुकी थी. उसी के साथ एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें सरफराज साथी खिलाड़ियों के साथ पिज्जा बर्गर पार्टी करते नजर आए. इस वीडियो का वायरल होना भर था मैच देखने Manchester आए पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों की हालत ऐसी की काटो तो खून नहीं. कप्तान सरफराज, हेड कोच इंजमाम, पीसीबी हर किसी को दर्शकों की आलोचना झेलनी पड़ी.

मिस्बाह-उल-हक, पाकिस्तान, श्रीलंका, सीरीज, Misbah Ul Haq लगातार पिछड़ती पाकिस्तान टीम के लिए समस्या मिस्बाह की कोचिंग नहीं टीम का अपना रवैया है

ये बातें जून की हैं. हम दिसंबर में पाकिस्तान और उसके क्रिकेट का जिक्र कर रहे हैं. अगर कैलकुलेट किया जाए तो जून से दिसंबर के बीच 7 महीने होते हैं. सवाल होगा कि क्या इन गुजरे हुए 7 महीनों में कुछ बदला? क्या हेड कोच और चीफ सिलेक्टर मिस्बाह उल हक (Misbah Ul Haq Head Coach Pakistan) के आने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट की स्थिति कुछ संभली? दोनों ही प्रश्नों का जवाब है नहीं.

हमारी आपकी छोड़िये. खुद मिस्बाह पाकिस्तानी क्रिकेट के गिरते स्तर को लेकर खासे परेशान हैं. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम को टेस्ट सीरीज में मिली शर्मनाक हार के बाद से ही मिस्बाह आलोचना का शिकार हो रहे हैं. लगातार उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं. आलोचनाओं से तंग आकर मिस्बाह ने दो टूक जवाब दे दिया है. आज 7 महीने बाद मिस्बाह का ये कहना है कि, मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जो तुरंत ही टीम की तकदीर बदल दे' इसके अलावा मिस्बाह का ये भी कहना है कि यदि टीम का प्रदर्शन ऐसे ही रहता है और वो नहीं संभलती है तो वो अपने पद से इस्तीफ़ा देकर ख़ुदा हाफिज़ कर लेंगे. टीम पाकिस्तान के हेड कोच मिस्बाह का कहना है कि वह टीम को रातों रात जादू की छड़ी घुमाकर टॉप पर नहीं पहुंचा सकते हैं.

कुछ और बात करने से पहले आपको बता दें कि ये सब बातें मिस्बाह ने उस वक़्त कहीं जब वो लाहौर में श्रीलंका के खिलाफ 16 सदस्यीय टीम के नाम पर फाइनल मोहर  लगा रहे थे. पाकिस्तानी कोच से जब ऑस्ट्रेलिया में टीम के खराब प्रदर्शन पर सवाल हुआ तो वो तिलमिला. हालांकि अपने हाव भाव से उन्होंने गुस्सा जाहिर नहीं किया लेकिन जो उनका अंदाज था वो ये साफ़ बता रहा था कि वो टीम की कार्यप्रणाली से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हैं. पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर मिस्बाह ने कहा कि खिलाड़ियों को एक प्रक्रिया से गुजरना होगा उसके बाद ही वो अपनी जगह पर स्थिर होकर अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे.

कुछ लोग पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं. लेकिन जब बात मिस्बाह जैसे व्यक्ति की हो तो वो ऐसे बिल्कुल नहीं हैं. उन्होंने बतौर हेड कोच और चीफ सिलेक्टर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में जॉइनिंग लेकर कुल्हाड़ी पर पैर मारा है और जब तक इनका पैर बुरी तरह जख्मी नहीं हुआ तब तक इन्होंने उसपर पैर मारा है. मिस्बाह ने वाकई कमाल किया है. इन्होंने एक ऐसी टीम की कमान संभाली है जिसके सभी खिलाड़ियों के दिमाग में एक फिल्म चल रही है और जिसके हीरो वो खुद हैं. यानी जैसे शोएब मलिक अपनी फिल्म के हीरो हैं वैसे ही सरफराज और बाबर आजम अपनी पिक्चर में हीरो का रोल निभा रहे हैं.

टीम चाहे जैसी भी हो, सामंजस्य या आपसी तालमेल बहुत जरूरी चीज है. अब जब बात पाकिस्तान की हो तो जुमे की नमाज के अलावा ऐसे कम ही मौके आते हैं जब टीम सामंजस्य या आपसी तालमेल का प्रदर्शन करती है. ये बातें हम महज टीम की आलोचना के तौर पर नहीं कह रहे. अपने कथन के पुख्ता सबूत हैं हमारे पास. वर्ल्ड कप में खेले गए मैचों से लेकर अब तक जितने भी मैच पाकिस्तान की टीम ने खेले हैं अगर उनका अवलोकन किया जाए तो बातें शीशे की तरह साफ़ हो जाती हैं. किसी भी मैच को उठाकर देख लिया जाए साफ़ पता चलता है यहां न तो कप्तान की कोई कद्र है और न ही बोर्ड और कोच की जिसका जैसा मन है जो जैसा चाय नाश्ता करके आया है वो वैसा गेम को पिच पर दिखा रहा है.

बाकी बात अगर मिस्बाह की हो तो तमाम आलोचनाओं के बावजूद उनका कहा एक एक शब्द सत्य है. मिस्बाह के पास वाकई ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है जो एक ऐसी टीम को साथ ले आए जिसके अन्दर रत्ती भर भी अनुशासन नहीं है. खिलाड़ियों की प्राथमिकता फिटनेस होती है और जो टीम पिज्जा बर्गर के भरोसे हो, आदमी जान भी दे दे तो उसे मोक्ष या निर्वाण का रास्ता नहीं दिखा सकता. बात सीधी और एकदम साफ़ है जिस टीम का अधिकांश वक़्त  अभ्यास में नहीं बल्कि जमात, नमाज, पिज्जा, बर्गर, होटल, रेस्टुरेंट में बीतता हो उससे क्या ही उम्मीद की जाए? भला कहां से हो पाएगी ऐसी टीम से प्रैक्टिस.

साफ़ बात है टीम पाकिस्तान की अपनी प्राथमिकताएं हैं और वो बिलकुल उसी के अनुरूप काम कर रही है. रही बात खेलने की तो बोर्ड पैसा दे रहा है थोड़ा बहुत खेल लेते हैं ये लोग. लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कोई कोच बनकर आए और इनसे इनके वो पिज्जा बर्गर खाने के वो अधिकार छीने जो इनकी मौज मस्ती का कारण हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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