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Updated: 28 जून, 2022 10:10 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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नयी नवेली शादी के अपने एक्साइटमेंट होते हैं. ऐसा ही एक एक्साइटमेंट है फेसबुक या इंस्टाग्राम पर हनीमून की 'मैगी' वाली फोटो शेयर करना. मतलब मैगी को लेकर जैसा क्रेज हम भारतीयों में है 15-20 % लोग शादी ही इसलिए करते हैं ताकि वो होनेमून पर गोवा या मनाली जाएं और रिश्तेदारों के, दोस्तों के व्हाट्सएप पर मैगी वाली फोटो भेजकर अपने को आदर्श और लविंग न्यूली वेडेड सिद्ध कर सकें. चाहे वो लेट नाईट हंगर हो या फिर ग्रुप स्टडीज, पिकनिक और वेकेशन से लेकर कुछ हल्का फुल्का खाने तक मैगी में ऐसा बहुत कुछ है जो उसे सिर्फ एक नार्मल डिश नहीं बल्कि इमोशन बनाता है. लेकिन बात फिर वही है आदमी मैगी कितनी और कब तक खा सकता है? या फिर सवाल ये भी हो सकता है कि एक शादी शुदा मैगी कब तक खा सकता है? जवाब कई हो सकते हैं जैसे जब घर पर राशन / गैस ख़त्म हो जाए. बीवी बीमार पड़ जाए. घर पर कोई न हो. अब इन बातों के बाद उस परिस्थिति की कल्पना कीजिये कि व्यक्ति सुबह, दोपहर, शाम मैगी खा रहा है. यानी उसकी सुबह भी मैगी से हो रही है और शाम भी. ऐसी स्थिति में क्या होगा? जवाब है तलाक.

Maggie, Divorce, Karnataka, Wife, Husband, Judge, Family, Controversyकर्नाटक के बेल्लारी में मैगी ने एक शादी शुदा जोड़े की पूरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी है

जी हां दिन के तीनों पहर मैगी खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो न हो. लेकिन इससे वैवाहिक जीवन की लंका जरूर लग सकती है और नौबत तलाक की आ सकती है. ऐसा ही कुछ हुआ है कर्नाटक के बेल्लारी में. जहां मैगी के कारण एक नव दंपत्ति की हंसती खेलती खुशरंग ज़िंदगी बदरंग हो गयी है और नौबत अलगाव की आ गयी है. मामले की जानकारी किसी और ने कही बल्कि मैसूर के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट जज एम एल रघुनाथन ने दी है जो खुद सकते में हैं.

जज साहब ने केस को मैगी केस का नाम दिया है. मैट्रिमोनियल केसेज पर हुई एक वार्ता के दौरान रघुनाथन ने पत्रकारों को बताया कि उनके पास एक शिकायत आई थी जिसमें पति ने जानकारी दी थी कि उसकी पत्नी को मैगी के अलावा और कुछ बनाना बिलकुल भी नहीं आता. अपनी अर्जी में युवक ने इस बात का भी जिक्र किया था कि जब पत्नी राशन लेने ग्रॉसरी स्टोर जाती है तो वो वहां से सिर्फ और सिर्फ मैगी ही लेकर आती है. 

युबक की शिकायत थी कि चाहे वो सुबह का नाश्ता हो या फिर रात का डिनर जब भी वो भूख की बात बीवी के सामने रखता वो मैगी उबालती और उसके सामने लाकर रख देती. युवक का आरोप था कि उसकी पत्नी को मैगी के अलावा कुछ पकाना नहीं आता और न ही वो कुछ पकाना सीखना ही चाहती है. शिकायत सुनकर भले ही आपको और हमें एक बार के लिए हंसी आए लेकिन ये बात उतनी भी छोटी नहीं है जितना इसे समझा जा रहा है. कोर्ट ने इस बात की गंभीरता को समझा और तलाक को मंजूरी दे दी. 

देखिये बात बहुत सीधी और शीशे की तरह साफ़ है. भले ही मैगी को हम भारतीय एक इमोशन की तरह ट्रीट करते हों लेकिन सातों दिन और चौबीसों घंटे मैगी खाना कई मायनों में सोच और कल्पना से परे है. कह सकते हैं कि ये अपनी तरह का एक अलग साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है. ठीक है. कभी कभी मैगी खा लेने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन अगर कोई ये कहें कि सिर्फ मैगी ही खानी है तो भइया ऐसे जीवन कहां ही चल पाएगा. और पति पत्नी का जीवन तो शायद ही चल पाए. 

बेल्लारी के इस मामले में भी अगर गौर करें तो युवक का तर्क था कि उसकी पत्नी को कुछ बनाना नहीं आता था. ऐसे में सवाल ये है कि एक ऐसे वक़्त में जब नेट सस्ता हो और यूट्यूब पर हर दूसरा व्यक्ति खुद को शेफ कहकर अपना अपना यूट्यूब चैनल बना चुका हो तो क्या महिला ने एक बार भी वहां का रुख नहीं किया. देख लेती दो चार वीडियो क्या पता खिचड़ी, तहरी या दाल चावल टाइप का ही कुछ बनाना सीख जाती.

सुविधाएं होने के बावजूद महिला ने नहीं सीखा यानी ये अपने में साफ़ है कि उसके अंदर सीखने की चाह थी ही नहीं. बहरहाल अब जबकि जज साहब के हस्तक्षेप के बाद महिला पुरुष अलग अलग हो ही गए हैं तो हम सिर्फ मैगी बनाकर पति को खिलाने का अपराध करने वाली महिला से बस ये कहकर अपनी बात को विराम लेंगे कि भारत में 70% भारतीय स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते हैं, और हर साल 17 लाख लोग खराब आहार के कारण होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं. इसलिए वो अपना देख लें.

हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि अगर जान हैं तो ही जहान है. बाकी मैगी ने आज शादी तोड़ी है क्या पता कल जिंदगी की डोर ही तोड़ दे.   

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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