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Updated: 04 नवम्बर, 2020 08:12 PM
सर्वेश त्रिपाठी
सर्वेश त्रिपाठी
  @advsarveshtripathi
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आज करवा चौथ है. पत्नियों ने अपने अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए आज निर्जल उपवास रखा है. करण जौहर की डीडीएलजे देख कर हम भी शादी से पहले खूब सोचा करते थे कि न जाने कब वह शुभ घड़ी आएंगी कि हम भी पल भर के लिए छन्नी के पीछे वाले चंदा बनेंगे। वैसे अपना खुद का धर्म कर्म से ज्यादा नाता तो नहीं लेकिन करण जौहर की फिल्में और एकता कपूर के अलाने फलाने नाम वाले सीरियल ने करवा चौथ का इतना जबर ज़ोर टाइप का क्रेज बना दिया है कि औरतें तो औरतें भाई साहब डिजाइनर कुर्ते में हम जैसे घचोनर शक्ल वाले पुरुष भी अपने आप को इस दिन का शाहरूख खान समझने लगे. तो भैया कठिन तपस्या के बाद हमारी भी शादी हुई. कठिन तपस्या मतलब बेरोजगारों का बियाह ही कहां होता है समय पर. अब हम राहुल गांधी या सलमान खान तो है नहीं की 50 की उम्र में भी जवान ही लगेंगे. ख़ैर भला हो बाप दादा का कि थोड़ी मोड़ी खेती बारी के दम पर हम जैसे करोड़ों इस देश मे छन्नी के चांद बन जाते है.

Karva Chauth, Woman, Husband, WIfe, Hindu, Fastचाहे पति हो या फिर पत्नी कहीं न कहीं करवा चौथ को लेकर उत्साह दोनों में रहता है

तो भैया हम यानि प्यारेलाल जितने ढपोर हमारी धर्मपत्नी उतनी ही उच्चशिक्षित और प्रगतिशील विचारों वाली. शादी के बाद पहला करवा चौथ आने वाला था. पत्नी को कितना इंतजार था यह तो हम नहीं जानते लेकिन बाय गॉड की कसम हम छन्नी के पीछे शाहरूख बनने को जरूर उतावले थे. मतलब 'तेरे हाथ से पीकर पानी दासी से बन जाऊं रानी' वाला गाना भी दिमाग के बैकग्राउंड में बजना शुरू हो गया था.

पर हमारी धर्मपत्नी करवाचौथ के पहले अपनी दैनंदिन दिनचर्या यानि बिना किसी नागा के शांत भाव से अगरबत्ती वाली पूजापाठ कर के अपने कर्म और शिक्षा को भगवान की तरह पूजती रही. करवा चौथ के एकाध दो दिन पहले की बात थी. हमने डरते डरते अपनी पत्नी से पूछा कि तुम करवा चौथ नहीं करोगी? जवाब में श्रीमती जी ने पहले तो हमें घूरा और फिर कहा, क्यों? अब साहब हम इस क्यों का क्या जवाब देते.

आप ही बताइए खिसियानी हंसी हंसते हुए या हे हे हे करते हुए कोई इंसान कैसे खुद से कह दे कि श्रीमती जी हमारी लंबी उमर के लिए यह व्रत रख लीजिए. ख़ैर हमसे तो कहते न बन पड़ा और हमारी श्रीमती जी ने भी इस बात को हवा में उड़ा दिया. व्रत के एक दिन पहले बाज़ार में सब को मेहंदी लगवाते देख उन्हें भी शौक चढ़ गया और कोहनी तक मेहंदी रचवा ली. हम मन ही मन मुदित की शायद श्रीमती जी व्रत रखे. ख़ैर न आगे हमने कुछ कहा न ही उन्होंने. करवा चौथ के एक रोज़ पहले हम भी सोने के पहले कनखियो में बीबी का मूड भांपने की कोशिश की.

साड़ी या जूलरी लेने देने की बात पर कोई खास रेस्पॉन्स न मिलने पर हम करवट किए चुपचाप आंख बंद कर लिए. ख़ैर करवट लेकर जैसे ही मैं अपनी नींद के पहले चरण में था तब तक एहसास हुआ कि कोई जोर जोर से मेरा नाम प्यारेलाल प्यारेलाल पुकार रहा हो. मैंने हड़बड़ाहट में आंखे खोली तो देखा खुले बाल पर धर्मपत्नी मुकुट लगाए मुझे घूरे जा रही थी. मैंने उठकर देखा तो श्रीमती तो बगल में लेटी है. फिर ये कौन हैं जो देवी की मुद्रा में सामने बैठी थी. मैं सकपकाया सा कुछ कह पाता तब तक सामने वाली देवी जी ने कहा 'क्यों बेटा प्यारेलाल तू यही चाहता है न कि कल तेरी बीबी भी करवाचौथ रखे.'

मैंने जवाब में हां की मुद्रा में सिर हिला दिया. देवी मुस्कराई...'फिर बोली शादी को कितने दिन हो गए तुम लोगों के?' मैंने कहा 'करीब 10 महीने.' 

फिर देवी ने कहा 'चल कोई बात नहीं कल अपनी बीबी की जगह तू ही व्रत कर.' मैंने कहा पर देवी जी 'यह व्रत तो पत्नियां रखती है.' मेरा जवाब सुनकर देवी ठहाका मार कर हंस पड़ी और बोली...'प्यारेलाल यही सोच तो बदलनी है. देख जमाना कहां जा रहा है और तू एक परम्परा बदलने से डर रहा है. अरे न करवा चौथ तो साल में कोई भी दिन चुन ले जिसे पत्नी एकादशी , द्वादशी या चतुर्दशी बोलकर उसके लिए निर्जल उपवास कर और सुन शादी के पहले तो अपनी पत्नी को बहुत फोनियाता था और उसे बहुत चंदा चंदा कहता था.

एक दिन तू भी तो उसे सच मे चंदा मानकर छन्नी के पीछे से निहार ले. अरे आखिर उसकी भी सलामती को देखना तुम्हारा फर्ज है कि नहीं? और तू तो पढ़ा लिखा है जानता होगा फर्ज ही असली धर्म है.' मामला लॉजिकल था. 

मेरी तो बोलती न फूट रही थी. बचपन से दादी को दादा के लिए अम्मा को बप्पा के लिए चांद पूजते देखा. पुरुष ही क्यों स्त्री की लंबी उम्र की कामना कौन करेगा? पत्नी तो पत्नी बिटिया के लिए भी कोई ऐसा व्रत नहीं. पति परमेश्वर लेकिन पत्नी जगदीश्वर भी नहीं. सारे पर्व और त्योहार उसके मत्थे पर उसके खुद के लिए कोई दिन नहीं. कैसा ये दुनिया का रिवाज है कि न बेटा की तरफ से और न ही पति की तरफ से साल में एक भी दिन स्त्री के सलामती के लिए कोई दुआ या पूजा नहीं. 

सही बताएं मन अजीब सा खिन्न हो गया. शाहरूख खान बनने का नशा कपूर की तरह उड़ गया. मैं देवी के चरण पर लोट गया और ज़ोर ज़ोर से कहने लगा कि 'अब एक दिन नहीं पूरे साल पत्नी के लिए उसके सम्मान के लिए ईमानदार कोशिश करूंगा और व्रत अब मैं करूंगा.' तभी ऐसे लगा जैसे देवी मेरी बांह पकड़ कर झिझोंड रही हो. आंख खुली तो देखा श्रीमती जी हमें जगा रही थी.

पूछी 'कोई सपना देख रहे थे क्या? अच्छा सुनिए आज मैं करवा चौथ का व्रत रखूंगी. आपके लिए खाने में क्या बना दूं?' मैंने पूछा क्यों? 'श्रीमती जी गले लगते हुए बोली 'ताकि आप हर संकट से दूर रहे.' मैंने भी कहा 'तुम्हें भी महफूज रहना है.. आज तुम नहीं मैं तुम्हारे लिए व्रत रखूंगा. इस दुनिया और परिवार के लिए तुम भी उतनी कीमती हो जितना कि मैं.'

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लेखक

सर्वेश त्रिपाठी सर्वेश त्रिपाठी @advsarveshtripathi

लेखक वकील हैं जिन्हें सामाजिक/ राजनीतिक मुद्दों पर लिखना पसंद है.

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