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Updated: 01 अक्टूबर, 2020 12:48 PM
रजत सैन
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बनारस (Banaras), कुछ के लिए शहर, कुछ के लिए बाबा की नगरी और कुछ के लिए एक भाव. आप इसका सम्बोधन कैसे भी करें, ये जगह आपके मन में एक छाप तो ज़रूर छोड़ती है. उगते सूरज के साथ हो रही पूजा पूरे वातावरण में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती है, फिर वहीं घाट पर बैठे लोग उस हवा को अपने ज़हन में बसाए पूरा दिन बनारसीमय तरीके से बिताते हैं. शाम की आरती होती है साथ साथ सूरज भी बिदाई लेता है इस वादे के साथ कि एक बार फिर प्रकाश होगा जो लोगों के जीवन में उजाला भर देगा. दिन भर की चहल पहल के बाद आप मनिकर्णिका घाट तक पहुंचते हैं तो जीवन शून्य सा जान पड़ता है. लोग दूर दूर से यहां आत्मा की मुक्ती के लिए दाह-संस्कार करने आते हैं. लेकिन बनारस रुकता नहीं. सभी तरह के रंग-तरंग से लिप्त बनारस आपमें ऊर्जा भरने के अनेकों दम भरता है. और सिर्फ आरती या घाट तक सीमत नहीं है बनारस. यहां चाय के ठेलों, कचौड़ी की दुकानों पर दर्जनों किस्सागों से आप वाकिफ होते हैं. इतना सब लिखते हुए बनारस का एक चित्र दिमाग में बनने लगता है. तो सोचा कि आपको भी चंद फोटों के ज़रिए कोरोना काल(Coronavirus) में बनारस की ऊर्जा और भाव से रू-ब-रू करवाते हैं.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographerबनारस में होती गंगा आरती का एक बेहद मनोरम दृश्य (सभी फोटो : रजत सैन )

दृश्य में गंगा की आरती हो रही है. विहंगम और आध्यात्मिक. हरिद्वार में हर की पौड़ी से जन्मी आरती परम्परा धीरे से हालफ़िलहाल बनारस आयी, और ज़्यादा बनारस की हो गयी. इस शहर के त्रिशूल पर बसे होने की मान्यता है. इस शाहर के दुनिया की सबसे आदिम सभ्यता होने की मान्यता है. इस शहर के महज़ शहर नहीं होने की भी मान्यता है.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographer,बनारस का शुमार भारत के प्रमुख में है (फोटो : रजत सैन )

बनारस के पूजापाठ में एक नया वैभव व्याप्त हुआ है पास के कुछ सालों में. बनारस में एक कॉरिडोर बन रहा है. विश्वनाथ मंदिर को गंगा से जोड़ने के वास्ते, जो केंद्र सरकार का एक अभीष्ट है. लोग कहते हैं कि अब पूजा बस पूजा नहीं रही है, उसमें बहुत कुछ समीकरण नत्थी होते गए हैं. नत्थी इतने कि अब वो एक गांठ सरीखी दिखने लगी है.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographer,बनारस के बारे में कहा जाता है कि ये एक पूर्ण शहर है (फोटो : रजत सैन )

इस चित्र, इस नाव, इस नदी और आधे चंद्रमा के साथ पसरे इन घाटों से अलग एक शहर है. एक कोलाहल है. मंडुआडीह मोहल्ला है, जहां जिस्मफ़रोशी का अवैध कारोबार होता था. जहां जिस्मफ़रोशी का अवैध कारोबार अब और ज़्यादा अवैध तरीक़े से होता है. संस्थाओं और पुलिस ने जब कारोबार को एक दिन बंद कराया था, तो इस शहर की जीभ थोड़ी किरकिरी हो गयी थी. इस शहर की जीभ हमेशा से थोड़ी किरकिरी होती ही रही है. हां. एक शहर इस सबसे दूर है.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographer,जब जब बात बनारस की होगी बिस्मिल्लाह खां का जिक्र जरूर होगा (फोटो: रजत सैन )

इस शहर में एक बिस्मिल्लाह खान हुए थे. खां साब जब माह-ए-मुहर्रम के दौरान आंसुओं का नज़राना पेश करते थे, तो लोग रोने लगते थे. संकटमोचन मंदिर में आयोजित संगीत समारोह में जब शहनाई में फूँकते थे, तो भी लोग रोने लगते थे. खां साब ख़ालिस बनारस थे. बनारस ख़ालिस खां साब है.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographer,पेंटिंग करते बीएचयू छात्र (फोटो : रजत सैन)

नामालूम अब वो दिन कब आयेंगे. वो गुलाबी ठंडी सुबहें. जब बीएचयू के छात्र चित्र उकेरते थे. इस शहर के चित्र. लोगों के चित्र. हवा के चित्र. पेड़ के चित्र. चिड़िया के चित्र. चित्रों के चित्र. नामालूम अब वो दिन कब आयेंगे. ये कम्बख़्त कोरोना कितनी ही शांति को खाता जा रहा है.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographer,बनारस वो शहर है जहां धर्म और अध्यात्म की लड़ाई है (फोटो : रजत सैन)

इस शहर में धर्म और अध्यात्म की अपनी अलग ही लड़ाई है. तुलसी हैं तो कबीर हैं. तुलसी हैं कि उनका एक सहज और ग्राह्य मूल्यांकन करने की अद्वितीय चेष्टाएं हो रही हैं. कबीर हैं, जिनके शव को लेकर हिंदू और मुसलमान ही आपस में भिड़ गए थे. धर्म को हावी होने दिए बिना, अध्यात्म को जीना, ये बात कविता सिखाती है. देखिए, कबीर और तुलसी को कवि रूप में सबसे आख़िर में ही पहचाना जाता है.

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographerतमाम दार्शनिकों का कहना है कि विविधताओं का अम्बार है बनारस (फोटो : रजत सैन )

इस शहर की विविधता है ही. सबसे ज़्यादा इस शहर में मस्तीखोर हैं. कोई गाड़ी पीछे मोड़ रहा होता है, तो उसे ये कहकर बेफ़िक्र होते हैं कि पीछे करो, देखने की ज़रूरत क्या है? गाड़ी लड़ेगी तो आवाज़ करेगी ही. ये वही लोग हैं. जो एक अड़ी, एक कुल्हड़ चाय, एक पावरोटी-मक्खन, और एक पान के दम पर देश की सरकार चुन लेते है. विदेश की भी सरकार चुन लेते हैं. युद्ध शुरू करके जीत भी लेते हैं. बनारस को सुधार भी देते हैं. बिगाड़ भी देते हैं. 

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographerये बनारस की खूबसूरती है कि शायद ही कोई यहां अपने को अकेला पाए (फोटो: रजत सैन )

इस शहर का अकेलापन अपने में है. इस शहर में कोई आकर नहीं जाता है. इस शहर से जाकर सभी ही लौट आते हैं. ये शहर लौट आने वालों का शहर है. यहां पर एक चौक थाना है. कहते हैं कि चौक में मौजूद थाने के बीचोंबीच जब गड्ढा खोदा जाए, तो बहुत ख़ज़ाना मिलेगा. लेकिन ऊपर तो पुलिस थाना है. पुलिस थाना अकेला है. गहराई में पड़ा सम्भावित ख़ज़ाना अकेला है. और शहर की ओर लौट रहा वो मज़दूर ट्रेन के जनरल डिब्बे में बैठकर भी अकेला है. 

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographerबनारस वो शहर है जिसकी हर चीज अपने में खास है (फोटो: रजत सैन )

जब कभी बात होगी इस शहर की तो ये शहर अपने वजूद में ख़ुद को ख़ुद से गिन लेगा. ख़ुद से आगे ख़ुद को ख़ुद से समझा देगा. ये शहर अपना बयान ख़ुद देगा. गिनेगा अपने लोग, अपनी दुकानें, अपने साहित्य, अपना खाना, अपना पानी, अपनी धार, अपना सूरज, अपनी शाम, अपनी-अपनी चेतना. (फोटो: रजत सैन)

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographer14 के लोकसभा चुनाव के बाद से बनारस की एक अलग ही सूरत दिख रही है (फोटो : रजत सैन)

2014 में इस शहर के होने के मानी बदल गए. ऐसे चुप-शांत-अकेले लोग कुछ कम महत्त्व रखने लगे. 2014 में एक बड़े नेता ने इस शहर से चुनाव लड़ा. नरेंद्र मोदी नाम. इस शहर की पहचान बदल गयी. रातोंरात. बनारस में सांस लिया जाना बचा हुआ है. 

Varanasi, UP, Tourism, Tourist, Photography, Photographerबात बनारस की हो और मणिकर्णिका का जिक्र न आए तो सब कुछ अधूरा छूट जाता है (फोटो : रजत सैन )

मणिकर्णिका. बनारस का वो घाट जहां हर वक़्त आग जलती रहती है. और सिर्फ़ बनारस ही क्यों, इस देश का अकेला ऐसा घाट. इस घाट और इसके वैभव के आसपास हिंदी के महान कवि केदारनाथ सिंह ने शायद इस शहर के बारे में कहा होगा कि (ये शहर) ‘आधा फूल में है, आधा शव में.

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लेखक

रजत सैन रजत सैन @rajatsain01

लेखक आजतक में पत्रकार हैं.

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