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Updated: 30 सितम्बर, 2020 04:21 PM
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) में बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Case Verdict) मामले के मद्देनजर लखनऊ (Lucknow) की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement) के सूत्रधार और बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार माने गए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani Acquitted) और मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi Acquitted) यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके कल्याण सिंह (Kalyan Singh), उमा भारती (Uma Bharti), विनय कटियार (Vinay Katiyar) समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. बताते चलें कि 28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को आडवाणी पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप था. वहीं बात अगर कोर्ट (Court) की हो अपने फैसले में कोर्ट ने सभी मुख्य आरोपियों को पाक दामन बताया है.

Babri Masjid, Verdict, Ram Janmabhoomi Mandir, Ram Temple, LK Advaniबाबरी विध्वस मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपना फैसला पढ़ते हुए जज एसके यादव ने कहा गया कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, संगठन के द्वारा कई बार रोकने का प्रयास किया गया. जज ने अपने शुरुआती कमेंट में कहा कि ये घटना अचानक ही हुई थी. अदालत ने यहा माना है कि सीबीआई ने जो आरोप लगाए हैं उसके साक्ष्य नहीं मिले हैं.

बता दें कि फैसले से पहले कोर्ट पहुंचे भाजपा नेता विनय कटियार ने मीडिया से बात की थी और कहा था कि सजा होगी तो जेल जाएंगे, छूटते हैं तो देखेंगे. बेल होगी तो लेंगे. हमने कोई अपराध किया ही नहीं है. वहां पर मंदिर था और मंदिर बनेगा. सोमनाथ मंदिर की तरह बढ़िया मंदिर बनेगा, ऐसी कल्पना है. उसके लिए काम जारी है. 4 साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा.

वहीं बात अगर घटना में शामिल एक और व्यक्ति और रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती की हो तो उन्होंने पहले ही इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि हमने बाबरी ढांचे को तुड़वाया है और इसके लिए अगर उन्हें फांसी भी होती है तो वह तैयार हैं. उन्होंने कहा, 'हमको विश्वास है कि मंदिर था, मंदिर है और मंदिर रहेगा. हमने उस ढांचा को तुड़वाया, उस खंडहर को तुड़वाया, इसके लिए हमको गर्व है.

क्या हुआ था 28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को

ज्ञात हो कि 6 दिसंबर 1992 को आवेश में आए कारसेवकों ने विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को तोड़ दिया था. इस मामले के मद्देनजर उसी दिन यानी 6 दिसंबर की शाम राम जन्मभूमि थाने में दो अलग-अलग FIR दर्ज कराई गई थी. इन FIR में लाखों कार सेवकों के अलावा आडवाणी, जोशी, उमा भारती, विनय कटियार जैसे नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

अब जबकि बाबरी विध्वंस मामले के सभी आरोपी बाइज्जत बरी हो चुके हैं और 28 साल पुराने इस मामले पर विराम लग गया है तो हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम ट्विटर का रुख करें और ये समझें कि आखिर इस मामले को कैसे देख रही है देश की जनता.

इंटरनेट पर तमाम यूजर्स ने जिन्होंने इस लखनऊ की अदालत द्वारा दिए गए इस फैसले को सत्य की जीत बताया है और कहा है कि पूरे देश को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए.

फैसले को चंद लोगों के हाथों आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है मगर एक बड़ा वर्ग है जिसने फैसले पर संतोष जाहिर किया है.

इंटरनेट पर ऐसे भी तमाम लोग हैं जिनका कहना है कि चूंकि आडवाणी पहले ही निर्दोष थे लेकिन 28 सालों तक उन्हें बेवजह तनाव में रखा गया.

बाबरी विध्वंस मामले के तहत आए फैसले पर एक बार फिर से राजनीति की शुरुआत हो गयी है और देश दो वर्गों जिसमें एक वर्ग सही का साथ दे रहा है जबकि दूसरा वर्ग गलत के साथ है, में विभाजित हो गया है. फैसला आने के बाद लोग ये भी कह रहे हैं कि न्याय नहीं हुआ है. जब मस्जिद सबके सामने थोड़ी गयी तो आखिर ऐसा कैसे हो गया कि कोई भी दोषी नहीं है.

फैसले के बाद सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि फैसला सरकार की देख रेख में हुआ है.

अब जबकि फैसला आ गया है और लाल कृष्ण आडवाणी उमा भारती विनय कटियार कल्याण सिंह समेत अभी प्रमुख आरोपियों को कोर्ट द्वारा बरी कर दिया है. फैसले ने ट्विटर पर सियासत तेज कर दी है. फैसले के बाद तमाम लोग मुखर होकर इस बात को कह रहे हैं कि निष्पक्ष फैसला नहीं हुआ है.

जबकि ऐसे भी तमाम लोग हैं जिनका मानना है कि वो तमाम लोग जिन्हें घटना के मद्देनजर आरोपी बनाया गया उनके खिलाफ एक झूठा प्रोपोगेंडा चलाया गया जिसे आज 28 साल बाद कोर्ट ने चकनाचूर कर दिया और सच को सामने लाकर उसे जनता को दिखा दिया.

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