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Updated: 26 मई, 2018 04:50 PM
मनीष जैसल
मनीष जैसल
  @jaisal123
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बतौर चाइल्ड एक्ट्रेस हमने उर्मिला मातोंडकर से लेकर श्री देवी, आयशा टाकिया, आलिया भट्ट, शाहिद कपूर, रितिक रोशन आदि को फिल्मों में जरूर देखा होगा. नहीं भी देखा होगा तो खबरों में अमूमन यह चर्चा रहती है कि इन्होंने किन किन फिल्मों में बतौर बाल कलाकार काम किया था. कई बार इन बाल कलाकारों को अभिनेताओं के बाल्य काल को दिखाने के लिए रखा जाता है तो वहीं बजरंगी भाईजान जैसी अन्य फिल्मों में ये बतौर सहायक भी दिखते हैं. लेकिन 2017 में बनी एक फिल्म पीहू की दो वर्षीय अभिनेत्री मायरा विश्वकर्मा ने बाल कलाकारों को लेकर बनाई गई अब तक की सभी फिल्मों से एक कदम बढ़ कर काम किया है.

पिहू, बॉलीवुड, फिल्म, फिल्म रिलीज   फिल्म का टीजर ये बताने के लिए काफी है कि फिल्म पर खूब मेहनत हुई है

फिल्म के रचयिता विनोद कापड़ी हैं जिन्होंने 'मिस टनकपुर हाजिर हों' से हिन्दी सिनेमा में पदार्पण किया था. वहीं उनकी एक डॉक्यूमेंट्री Can't Take This Shit Anymore के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है. फिल्म 'पीहू' अब तक ईरान, वैंकूवर, पाम स्प्रिंग्स, मोरक्को और जर्मनी के फिल्म समारोहों में अपनी धूम मचा चुकी है. इसे न सिर्फ फिल्म की कहानी के लिए सराहा गया बल्कि दो वर्ष की मायरा के अभिनय ने भी दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया. 'पीहू' पिछले वर्ष इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में इंडियन पैनोरमा श्रेणी में भी सेलेक्ट हुई थी. जहां दर्शकों ने फिल्म की संवेदनशीलता के लिए उसे काफी पसंद किया था.

फिल्म 2 साल की बच्ची पीहू की कहानी कहती है जो सुबह से लेकर शाम तक लगभग 12 घंटे की उसकी अन्तः मन की उथल पुथल और उसके क्रियाकलापों के जरिये आगे बढ़ती है. परिवार के सदस्यों के बीच कम्यूनिकेशन गैप के कारण नए स्वरूप में जिस प्रकार की स्थिति आज परिवारों में उत्पन्न हो रही है उस ओर पीहू की कहानी सचेत करती है.

पिहू, बॉलीवुड, फिल्म, फिल्म रिलीज ये कहना गलत नहीं है कि विनोद कापड़ी की ये फिल्म एक बड़ी हिट साबित होगी

पीहू को उसके माता पिता एक घर में अकेले छोड़ कर चले जाते है ऐसे में वह काफी वक्त घर पर अकेले रहती है. वह क्या क्या करती है और किन किन मुसीबतों में फंसती है इसका जिक्र ही फिल्म का मूल संदेश है. फिल्म का एक ही दृश्य जिसमें छोटी बच्ची मायरा फ्रिज से सामान निकालते निकालते खुद को उसमें बंद कर लेती है, इसके बाद फ्रिज का दरवाजा नहीं खुलता. आपके रोंगटे खड़े कर देगा. आगे की कहानी आम दर्शकों को देखने के लिए भले ही अभी इंतजार करना पड़ेगा लेकिन इतना तो तय है कि भारत में विनोद कापड़ी जैसे फ़िल्मकारों ने फिल्म माध्यम को शैक्षणिक आदान प्रदान की दिशा में लेना शुरू कर दिया है.

विनोद कापड़ी जब इस फिल्म को शुरू कर रहे थे उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती फिल्म की अभिनेत्री मायरा को लेकर ही थी. कैसे 2 साल की बच्ची पर्दे पर अनुभव करेगी. साथ ही 44 वर्ष के निर्देशक का 2 साल की बच्ची के साथ ताल मेल बैठना भी अहम मुद्दा था. हालांकि निर्देशक अपनी सूझबूझ से बच्ची के साथ कुछ दिन बिताते हैं. उसकी मनोवैज्ञानिक स्थिति से रूबरू होते हैं, फिर कहीं जाकर फिल्म की शूटिंग शुरू होती है. बच्चों के साथ बच्चों जैसा मन लेकर शुरू की गई फिल्म 'पीहू' बड़े बड़ों को ऐसा संदेश देने को तैयार है जो भविष्य की ओर सोचने पर मजबूर करेगी.

फिल्म की शुरुआत में तो विनोद को निर्माता नहीं मिले लेकिन अलग-अलग फिल्म समारोह से मिली कामयाबी के बाद रोनी स्क्रूवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर जैसे निर्माता अब विनोद के साथ हाथ मिला चुके हैं. फिल्म अब बड़े दर्शक समूह के लिए तैयार की जा रही है. 3 अगस्त को यह फिल्म सिनेमाघरो में दिखाई जाएगी.

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लेखक

मनीष जैसल मनीष जैसल @jaisal123

लेखक सिनेमा और फिल्म मेकिंग में पीएचडी कर रहे हैं, और समसामयिक मुद्दों के अलावा सिनेमा पर लिखते हैं.

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